मुक्त कमैया थारु, परम्परागत पेशा ओ प्रभाव

कमैया प्रथा पश्चिम नेपालके दाङ से कञ्चनपुर सम फैलल दास प्रथा जस्ते हो । कमैया विशेष कैके घरके काम ओ खेतीपाती कामके लाग रख जाए । कमैया बैठ वेर मुक्त कमैया थारुनके अवस्था एकदमै नाजुक रहे । घर खर्च, गास वास कपास सबकुछ जमिन्दार ओ मालिकके भर रहे । कमैया बैठ वेर मुक्त कमैया थारुनके जिवन मालिक ओ जमिन्दारके ईसारामे चलत रहे । ओइने एक प्रकारके बधुंवा मजदुर जैसिन रहैं । मुक्त कमैया थारुनके जिवन बहुत कष्टकर रहे । यिहे कारणसे मुक्त कमैया थारु हुक्रे मालिक जमिन्दारके सेवा मे तल्लिन रहित, एक प्रकारके बधुवा मजदुर जैसिन । यिहे अवस्थामे मुक्त कमैया थारु हुक्रे खेतीपाती बाहेक अन्य कौनो काम करे नाई पाईत । और कोई सिप तालिम ओ आयआर्जने काम करे नाई पाईत जेकर कारणसे ओईनके आर्थिक अवस्था और कमजोर हुईती गईल, ऋण के उपर ऋण बह्रती गईलीन, जहाँसे बाहिर निकरना असम्भव जस्ते हुई गईल रहिन । आपन छार्ईछावन मजा शिक्षा दिक्षा देह नाई पाईत । आझुक दिन सम सरकारसे कमैया मुक्ती घोषणा करल दुई दशक.हुईल बा तर फे मुक्त कमैया थारुनके अवस्थामे मजा सुधार आईल नाई विल्गठ । कोई–कोई मुक्त कमैया थारु लोगनके आर्थिक अवस्थामे मजा सुधार अईलेसे फेन ओईनके सामाजिक अवस्था विगतके जस्ते विल्गठ । वर्तमान समयमे मुक्त कमैया थारु हुक्रे दैनिक ज्यालादारी लेवर, ईट्टा भट्ठा, ओ अन्य निम्न दर्जाके कामदरके रुपमे काम करती गुजारा करत बातैं । कमैया रहे बेर मुक्त कमैया थारु हुक्रे केवल खेतीपाती गाई भैंस किल हेरैं और ओहे काममे अभ्यस्त हुईती गईनै ओ हुई फेन गईनै जेकर कारणसे वर्तमान समयमे फेन विगतके समय जैसिन जिवन वितैना बाध्य हुईल बातै । मुक्त कमैया थारुनके परम्परागत पेशासे वर्तमान अवस्थामे ओइनके सामाजिक जिवन प्रभावित हुईल देखा परठ ।
नेपालके मध्यपश्चिम ओ सुदूरपश्चिम क्षेत्रके दाङ, बाँके, बर्दिया, कैलाली ओ कञ्चनपुर जिल्लामे कृषि मजदुरके रुपमे देशके अन्य क्षेत्रसे फरक किसिमले कमैया राख्ना चलन रहे । नेपालमे अन्य कृषि मजुदर नगद वा जिन्सिके रुपमे आपन ज्याला लैके काम करीत तर कमैया हुक्रे फरक किसीमले आपन ज्याला वा पारिश्रमिक बाफत वार्षिक ज्यालाके रुपमे लैके जमिन्दारके घरमे काम करीत । ओईन हे खेतीपाती बाहेक अन्य घरायसी काम फेन करेक लगा जाए, आपन जग्गा जमिन नाई हुईलेक ओरसे परिवारके पेत भरेक लाग ओ अन्य खर्चके लाग रकम अभाव हुईल ओरसे जमिन्दार साहु ओईनसे ऋण लेहत रहैं, मुक्त कमैया थारु हुक्रे निरक्षर रहित, जन्दिारके आघे बोले डराईत । जमिन्दार साहुसे लेहल ऋण तिरे नाईसेकतसम उहे जमिन्दारके घरमे वर्षौ वर्ष काम करेक पर्ना हुईल ओरसे यिहे मुक्त कमैया थारु हुक्रे पुस्तौंसम कमैयाके जिवन वितैना बाध्य हुईल रहित ।
मानव सभ्यताके लाग कलंकके रुपमे रहल कमैया प्रथाके सुरुवात कहिया से सुरुवात हुईल कहना एकीन तिथि मिति किटान करे नाई सेकले से फेन सन् १९६० मे नेपालमे औलो उन्मुलनसंगे कमैयाके सुरुवात हुईल कना विद्वान ओईनके अनुमान बातिन । यी अनुमान सत्यताके लग्घु काहे बा कलसे औलो उन्मुलनसंगे तराईके क्षेत्रमे तत्कालीन शासकहे फकैना फुस्लैना ओ राज्य सत्ता शक्तीके पहुंच हुईल लोगन बहुत धिउर उर्वर भूमि राज्यके तरफसे विर्ता स्वरुप प्राप्त करल ओ ओईसिन जग्गामे खेती कर्ना किसानहुक्रन कुछ लेना ओ देना शर्तमे काम लगाईल प्रमाण फेला परठ । साथे आपन जमीनमे किसानके बैठेक लाग झोपरी बुकरा समेत बनाके देहित । पाछे पाछे दिन भर खेतुवाके काम करके बचल समय जमीन्दारके घरायसी काम करेक पर्ना फेन नियम लगाईल प्रमाण फेला परठ । परिवारके सक्कु सदस्य हुक्रे जमिनदारके निर्देशन बमोजिम काम करेक पर्ना ओ काम करल वापत मूलीसे वार्षिक रुपमे तोकल ज्याला मुक्त कमैया थारु लोग पाईत कलेसे औरजे खाना लुगा के हिसावमे चुक्ता हुईना ओ औषधी उपचार लगायतका आवश्यक चिजके लाग समय समयमा दिहल रकम ऋणमे परिणत करके आजीवन काममे बैठना बाध्य बनाजाए । अस्तेके जमिन्दार लोगनके जमीनमे पसिना चुवाके जमिन्दारके आम्दानी बढुईया परिश्रमी व्यक्ती ओ परिवार क्रमसः बधुवा मजदुर अर्थात् कमैयामे परिणत हुई पुगलैं । अर्जुन गुणरत्ने (२००२) थारु लोगनके बारेमे असिक लिख्थ, नेपालके प्रत्येक राजनीतिक ऐतिहासिककालमे थारु लोगन महत्वपुर्ण योगदान देख मिलठ, चाहे पञ्चायतकाल होए या अन्य कौनो आन्दोलन । तर जब तराईमे मलेरिया उन्मुलन हुईल गैर थारु लोगनके बसाईसराई तराईमे जोरडार रुपसे बढल । राजनितिक, आर्थिक दृष्टिकोणसे ओ जालझेलमे माहिर गैर थारु लोग तराईमे सोझ थारु लोगन उपर आपन हैकम बनैना सफल हुईलैं जौन कारणसे थारु लोगनके करीया दाग कमैया कमलहरीके समय सुरु हुईल ।
मुक्त कमैया थारु लोगन पर मालिक जमिन्दारनके अन्याय अत्याचार चरम अवस्थामे पुगती रहे जौन मुक्त कमैया थारु लोगनसे सहना क्षमता ओराई लागल रहे । मालिक जमिन्दार ओ मुक्त कमैया थारु लोगन बिच बहुत दुरी हुगईल रहे । यीहे बिचमे थारु अगुवा लोगनसे वर्ग सङ्घर्षके आवश्यकता महसुुस हुईल ओ कमैया आन्दोलन सुरु हुईल । वर्ग सङ्घर्षके सिद्धान्तमे कार्ल माक्र्स (१८४८) सामाजिक वर्गके अवधारणा ओ वर्ग सङ्घर्षके सार्वभौमिकताहे ऐतिहासिक आधारमे स्पष्ट करती पूँजीवादी व्यवस्थामे वर्ग सङ्घर्षके प्रक्रिया ओ यकर कारणबारे विस्तारपुर्वक स्पष्ट परले बातै । माक्र्सके अनुसार पूँजीवादी व्यवस्थामे अल्पसंख्यक पूँजिपति लोग श्रमिक लोगनके मनोमानी रुपसे शोषण कर्ठै । पूँजि ओ उत्पादनके साधनमे आपन स्वामित्वके कारण राजनितिमे फे पूँजिपति लोगनके प्रभुत्व रहथ ओ राज्य कानुन फे पुँजीपती लोगनके पक्षमे बोल लागठ ।
अस्ते परिस्थितिमे माक्र्स सर्वहारा वर्ग हे सङ्गठित करके वर्ग सङ्घर्षको चेतना उल्लेख कर्ना आवश्यक हुईना बतैले बातै । कमैया मुक्तिके आन्दोलन हे फेन यीहे वर्ग सङ्घर्षके रुपमे लिहे सेकजाईठ । कमैया मुक्ती पाछे फेन मुक्त कमैया थारु लोग वर्गीय विभेदके सिकार हुईती बातै । हातमे सिप ओ लगानीके अभावके कारण मुक्त कमैया थारु लोगनके अवस्था विगतके जस्ते बा ओ परम्परागत पेशा हे नै अंगीकार कर्ना बाहेक और उपाय नाई विल्गठ । यीहे कारणसे ओईनके जिवनशैली विगतके जस्ते बा । आर्थिक गतिविधिमे बहुत पछाडी परल मुक्त कमैया थारु लोगनके परम्परागत पेशा अपनैईना बाध्य हुईल बातै जीहिसे मुक्त कमैया थारु लोागन पर आर्थिक निर्धारणवाद हावी हुईल बा । कमैया मुक्ती फे वर्ग सघंर्षके एक ठो रुप हो । कयौं वर्ष से जमिन्दार ओ पुँजीपति वर्ग लोगनसे शोषित हुईल मुक्त कमैया थारु लोग उ शोषण दमनके पराकाष्ठाहे चिरके आपन ओ परिवारके उज्जवल भविष्यके लागी अन्ततः संघर्षके बाटो रोज्नै, कमैया आन्दोलन कर्नै, कमैया बधुंवा मजदुरसे मुक्त हुईनै ।
कमैया प्रथा कहलेक विशेष करके कृषि कार्यके लाग जमिन्दार लोग मौखीक सहमतिमे मजदुर राख्ना चलन हो । जमिन्दार लोग जो सायौं विघा जमिनके मालिक रहित ओईने भुमिहिन ओ गरिब परिवारके व्यक्तिहुक्रन कृषि कार्य करेक लाग मजदुर राखै जिहीन कमैया कमैया कहजाए । कमैयाहुक्रे खास करके जमिन्दार लोगनके कृषि मजदुर हुईत् । कमैया लोग जमिन्दार लोगनके ऋणि रहैं जौन ऋण तिरेक लाग ओ कोई ऋण तिरे नाई सेकके बाध्यात्मक रुपमे कृषि मजदुर हुके बैठल रहैं । वास्तवमे थारु समुदायमे आपन संस्कृति ओ सामाजिक परिवेश भित्तर प्रयोग हुईल कमैया शब्द आदरसूचक मानजाए । कमैयाके अर्थ दास नाई हुके काम कर्ना मनैया हो ओ स्वभावैसे कमैया लोग बहुत मेहनती हुईलेक ओरसे कर्मशील परिश्रमी कहना अर्थमे प्रयोग हुईती आईल कमैया शब्द समय क्रममे बधुवा मजदुरके अर्थमे प्रयोग हुई लागल रहे । तत्कालीन समयमे फोकतमे श्रम लगैईना प्रथा, विर्ता, गुठी, जागीर जैसिन भूमि व्यवस्थाके कारण बधुवा मजदुरके रुपमे पुस्तौ पुस्ता काम करेक पर्ना बाध्यतासे जन्म हुईल एक प्रकारके दास प्रथाके रुपमे देखा परल । सोझ प्रवृत्तिके आदिवासी थारु, जमिन्दार लोगनके चलाकी ओ मालिकीय स्वभाव, कमैया वैठना खर्चिला व्यवहार, गरिवी, भुमिसुधार कार्यक्रममे कमैया नाई पर्ना, दण्डहीनता जैसिन कारण से यी प्रथा जोरदार रुपसे फैलती गईल रहे ।
कमैया खास कैके खेतीपाती कर्ना उद्देश्य से केल रख्ना चलन रहे । कमैया लोगन दिनभर कृषि काममे सिमित रखजाए जेहीसे ओईने कृषि बाहेक थप आर्जन ओ अन्य सिपमुलक काम ओर आपन ध्यान लगाई नाई सक्नै । यीहे कारणसे मुक्त कमैया थारु लोग आपन ओ परिवारके पेट भरेक लाग ओ अन्य दैनिक आवश्यकता पुरा करेक लाग पुर्ण रुपसे जमन्दिार उपर निर्भर हुगईल रहित ओ कमैयाके रुपमे बैठना मजबुर हुईल रहैं । अस्तेके पुरुष कमैया हुक्रे मालिक जमिन्दार लोगनके खेतीपातीमे व्यस्त हुईगैईने कलेसे ओईनके लर्का, जन्नि हुक्रे जमिन्दार लोगनके घरभन्सा चुलाचौकीमे सिमीत हुई गईल रहैं । कमैया बैठलसम मुक्त कमैया थारुनके गास वास कपास जमिन्दार लोगनसे चलत रहे तर दुई दशक आघे तत्कालीन सरकारसे कमैया मुक्ति घोषणा करल पाछे मुक्त कमैया थारु लोगन घर न घाटके हुईल रहैं । तत्कालीन सरकारसे न मुक्त कमैया लोगनके व्यवस्था करल न त ओईन ठन कुछ रहे । मुक्त कमैया लोगनके समस्या ओर विकराल रुप धारण कर लेहल रहे । मुक्त कमैया थारु लोगनके लाग बुहतसे सरकारी गैर सरकारी परियोजना आईल तर फेन मुक्त कमैया लोगनके समस्या दुखः जस्ते रहे ओस्ते रहगईल ।
कमैया मुक्ति पाछे मुक्त कमैया थारु लोग बहुत दुखः पईनै ओ अभिन फे बहुत से मुक्त कमैया थारु लोगनके परिवार विगतके जस्ते दुखः पाइत बातै, ओईनके जिवनस्तर एकदमै दयालाग्दो प्रकृतिके बा । मुक्त कमैया थारु लोगनके वर्तमान जिवनस्तर न्युन हुईनाके कारण ओईनके परम्परागत पेशा रहल मिलल बा । अन्य आयआर्जनके सिप विना सामाजिक दृष्टिसे न्युन स्तरके काम करेक पर्ना बाध्य हुईल बातैं । वर्तमान समयमे मुक्त कमैया थारु लोग ईटा भट्टा, लेवरी मजदुरी करती आपन दैनिक गुजारा करत बातैं । ओईनके लर्का मजा शिक्षासे वञ्चित बातैं जौन कारणसे मुक्त कमैया थारु लोगनके छाई छावा फेन से कमैया कमलहरी बन्ना अनुमान करे सेक्जाईथ । मुक्त कमैया थारु लोग वर्तमान अवस्थामे विभिन्न आर्थिक क्रियाकलापमे संलग्न बातैं, मने फे ओईनके सामाजिक जिवनशैलीमे कुछ फे परिणाममुखी सुुधार नाई देख मिलठ । कमैया रहत सम मुक्त कमैया थारु लोग आपन जमिन्दार मालिकके खेतीपाती बाहेक अन्य कौनो काम करे नाई पईनै यीहे कारणसे ओईनके कृषि मुख्य पेशा बनल । यीहे कारणसे आभिनफे मुक्त कमैया थारु लोग कृषी बाहेक और पेशामे सन्तोषजनक तरिकासे अटाए नाई सेकल हुईत ।
परम्परागत पेशाके काराणसे मुक्त कमैया थारु लोगनके आम्दानी न्युन बातीन ओ आम्दानी न्युन हुईलेक कारणसे मजा शिक्षा, गुणस्तरीय औषधी उपचार, सन्तुलीत भोजनसे ओईने बञ्चित हुईल बातै । साथे राजनीतिक तवरसे फेन पछाडी परल बातै ।(बाँकी ३ पेजमे) परम्परागत पेशा मुक्त कमैया थारु लोगनके केल नाई हुके अब सक्कु थारु समुदायके चुनौतीके रुपमे आघे आईल बा । बहरीत रहल शहरीकरण ओ कृषी उत्पादनके बजार अभाव ओ न्युन बजार मुल्यके कारण थारु लोगन अन्य आय आर्जन ओर फे ध्यान देहना जरुरी देख मिलठ । आपन छाई छावन बजारमे प्रतिस्पर्धा कर्ना मेराईक शिक्षा देहना जरुरी देख मिलठ । थारु लोगनके सम्पत्ती, आय स्रोत कहलेक जमिन हो तर अब्बेक समयमे महंगा भुमी कर ओ कृषीसे न्युन आम्दानीके कारण थारु लोगनसे जमिन बिक्री कर्ना कार्य बढल बा जीहिसे भविष्यमे थारु राजनैतिक रुपमे अल्पमतमे पर्ना, संस्कृतीमे परिवर्तन अईना ओ पहिचानमे प्रश्न चिन्ह खडा हुईती अस्तित्व समेत ओराईजईना खतरा बढल बा । थारु लोगनके अस्तित्व ओ पहिचान बाचाईक लाग थारु लोगनके जमिन बचाई पर्ना ओ मजा आर्थिक गतिविधिके लाग पेशा परिवर्तन कर्ना जरुरी देख मिलठ ।
