मुक्ति दिवस समझके रोइलै
लखन चौधरी
धनगढी, ४ सावन । पश्चिम नेपालस्थित टमान वस्तीके मुक्तकमैयाहुक्रे आ–आपन ढंगसे सावन २ गते २० औं कमैया मुक्ति दिवस मनैलै । आर्थिक हैसियत अनुसार खानपान कर्लै । राहरंगी कर्लै ।
मने, मुक्तकमैया आन्दोलनके प्रमुख पात्रके परिचित मुक्तकमैया सीताराम डंगौरा थारु (५९) हे भर सावन २ गते जीवनके बहुट कष्टकर ओ लम्मा दिन लागल बा । उहाँ दिनभर धनगढी–पथरी सडक खण्ड अन्तर्गत खुटिया लडियामे बन्टी रहल पुलमे ढुंगा, गिट्टीलगायत निर्माण सामग्री सैट्नामे बिटैलै । घरिघरि सम्झै आपन कमैया रूपी करिया जीवन, क्रान्तिकारी नारासे अकाश मन्कना मुक्ति आन्दोलन ओ हालके जर्जर विवस्ता ।
मने सबसे पीडा उहाँहे मुक्ति दिवसमे कोइ नैसम्झलपाछे हुइल बा । घरिघरी उहाँक् आँखी रसाए । आपनमे सम्हारटी कहलै– ‘रातदिन मै कमैयाहुकनके किल चिन्ता लागठ । बिगतमे बराबर आन्दोलन मोरे नेतृत्वमे हुइल । योजनाकार रहु । २ दिन याहोर मुक्ति दिवसके वारेमे कोइ कुछ खबर डेहे अइही ओ जैम कहिके सोच्ले रहु । धनगढी जैना डगर हेरके बिटल । मने कोइ नाई अइलै (मलिन स्वरमे), कौनो खबर नैपैनु । हे भगवान ! जीवनमे का पाप कर्ले बाटु जसिन लागठ (थुक निल्टी) । मनमने सक्कु जहन मुक्ति दिवसके शुभकामना डेनु ।’
ओहे सीतारामलगायतके नेतृत्वमे कमैया मुक्ति आन्दोलनके सुरुवात हुइल हो । आन्दोलन निष्कर्षमे पुगल । तत्कालीन सरकार २०५७ साल सावन २ गते मुक्तिके घोषणा करल । २७ हजारसे ढिउर मुक्तकमैया दासताके जञ्जिरसे मुक्त हुइलै । पुनस्र्थापना हुइलै ।
मने अप्नही पुनस्र्थापनासे बिमुख हुइल सीताराम हाल धनगढी उपमहानगरपालिका–१७ पथरीस्थित ऐलानी जग्गामे बैठ्टी आइल बाटै । पुनस्र्थानाके कार्यक्रम नैओरैटी सरकारी संयन्त्र भंग करलपाछे उहाँसहित संयौ मुक्तकमैया परिवार अभिन अस्थायी टहरामे कष्टकर जीवन जिना बाध्य बाटै ।
मोर ठनसे सुरुवात, मही खतम करम
पुनस्र्थापनाके कार्यक्रम नैओराइटी प्रभावित हुइनामे उहाँ आपनहे फेन जिम्मेवार मन्ठै । राजनीतिक दल, कमैयान्के नाउमे डलरके खेती कर्र्ना संघसंस्थाहे ओत्रही जिम्मेवार मन्ठै उहाँ ।
‘आब टे पुनस्र्थापनाके बारेमे किहुहे मतलबे नाई हो । सक्कुहनके अप्ने स्वार्थ बा । पद ओ पैसाके । मै फेन दुई छाक जोरक लाग डौरल बाटु’, उहाँे निराशा व्यक्त कर्लै– ‘आब टे महिन लागठ, जबसम मै घरसे निक्रे नैसेकम टबसम बाँकी कमैयान्के पुनस्र्थापना हुइही नैसेकी ।’
निर्माधिन खुटिया पुलमे रहल इन्जिन किनारा लगैटी उहाँ समय–समयमे आक्रोशित फेन हुइठ । अप्ने नेतृत्वसे हटलपाछे पुस्र्थापना प्रभावित हुइटी गैल बैटैटी उहाँ अप्ने नेतृत्वमे फेरसे आन्दोलन हाँके सेकम कना आत्मविश्वास व्यक्त कर्लै ।
‘मोरेसे आन्दोलनके सुरुवात हुइल, मोरे ठनसे निष्कर्षमे पुगैना जाँगर फेन आइठ । ५ जिल्लास्थित कमैयाहुकनके नेतृत्व अभिन लेहे सेकम कना आँट आइठ । अस्टे परी टे, एक दिन घरसे निक्रम । सरकारहे दवाव सिर्जना करके पुनस्र्थापनाहे निष्कर्षमे पुुगाइ सेकम कना लागठ ।’
जिविसके उधारी पुरस्कार
सीतारामके जीवन बहुट संघर्षमय बिटल बा । उहाँके जीवनमे असिन घटना फेन घटल बा, जौन घटनासे उहाँहे पुनस्र्थापनासे हात धोइ परल बा । तत्कालीन जिल्ला विकास समिति कैलाली उहाँके योगदानके कदर स्वरूप पुनस्र्थापनाके अन्त्यमे उहाँहे पुरस्कार स्वरुप १० कठ्ठा जग्गा डेना निर्णय करल रहे । मने हाल जिविस समेत भंग हुइल ओ पुनस्र्थापनाके कार्यक्रम समेत प्रभावित हुइलपाछे उहाँ पुनस्र्थापनासे हात धोइ परल बटैठै । आपनठन कमैया परिचयपत्र समेत नैरहल उहाँ दुखेसो सुनैठै ।
भावुक हुइटी सीताराम कहठै– ‘आन्दोलन संगे कमैयाहुकनके लगत संकलनमे सरकारहे सहयोग करे लग्नु । मने अप्नही छुट गैनु । तत्कालीन जिल्ला वनअधिकृतलगायत मनै कहे लग्नै, सीताराम अप्नही कमैयान्के नेता हो । यहिहे पुनस्र्थापना अभियानके ओरौनीमे पुस्र्थापना करेक परी । पहिले पुनस्र्थापना कर्लेसे अभियानमे ध्यान नैडी । महिन फेन पाछे पुनस्र्थापना होजिम कना लागल ।’
०५८ ओहोर तत्कालीन राजा ज्ञानेन्द्र शाहके शासनकालमे जिल्ला विकास समिति कैलालीके सभापति छेदालाल चौधरी रहिट । जिल्ला सभापति चौधरीके अध्यक्षता कमैया पुस्र्थापना समितिके बैठक बैठल । बैठकसे पुनस्र्थापनाके काम ओराइलपाछे परिचयपत्रसहित पुरस्कार स्वरूप १० कट्ठा डेना निर्णय हुइल बटाजाइठ ।
पुस्तौं–पुस्तासम कमैयाके जञ्जिर ओ विद्रोह
डाई चुन्की ओ बाबा गोपीलाल डंगौराके कोखसे सीतारामके २०१८ सालमे गौरीगंगा नगरपालिका (साविक चौमाला गाविस–१, खुरखुरिया) मे जलम हुइल । जन्मजात कमैयाके छावा रहल उहाँ फेन कमैया जीवन बिटैनाके विकल्प नैरहे ।
उहाँ आपन बाल्यकाल सम्झटी कहलै– ‘बाबाडाई जमिनदार फलिराम डंगौराके घरमे कमैया लागल रहिट । ओहै मोर जलम हुइल । ओहै सयान हुइनु । ७÷८ बरसके उमेरमे जिमडरुवाक् घर छेग्रहुवा, गयारुवा हुइटी कमैया बन्नु ।’
उ बेला श्रमशोषण बहुट हुइल सीताराम बटैठै । गोरु छेग्री सेहरल बाफत खाना ओ बरसमे एक जोर कपडा किल मिले ओ कमैया बैठल बाफत बरसमे ३० किलो धान पाइल उहाँ सम्झठै ।
गयारुवा हुइलपाछे गयारुवाहुकन संगठित करे लग्नै । अप्ने जसिन २५ जाने गयारुवान्के मुख्य रहिट । वनुवाईमे मल बनाइठ । ओ बेचके पैसा कमाइठ । उ पैसा आपसी हितमे खर्च करै ।
सौकी लेके भोज
उ बेला उहाँ साविक उर्मा गाविसस्थित ठग्गु प्रधानके घरमे कमैया बैठ्लै । जहाँ वार्षिक ४० किलो धान ज्याला बाफत पाउ । काम भर सक्कु करे परे । २ बरसपाछे आपन ६० किलो हुइक पर्र्ना माग राख्लै । जिम्डरुवा सहमतिमे अइल । उ जिम्डरुवाक् घर लगातार १४ बरससम कमैया बैठ्लै । मालिकसे ९ हजार रुपैयाँ सौकी (ऋण) लेके २०४८ सालमे साविक चौमाला गाविस–१ के जोख्नी डंगौरासे भोज कर्लै सीताराम । ३ सन्तान हुइलिन् । ऋण लेहल ४ बरसपाछे ३२ हजार सौकी पुगल ।
२०५२ ताका लुथरन कना गैरसरकारी संस्था कमैयाहुकनके सवालमे सचेतनामूलक कार्यक्रम सञ्चालन करल । सचेतना बह्रटी गैलपाछे उहाँ घरमे रहल जिन्सी सामान बेचके सौकी चुक्ता करल ओ कमैया जीवनसे मुक्त हुइल उहाँ बटैठै । उ बेला लुथरनके सहयोग तथा व्यक्तिगत प्रयाससे उहाँसहित ६३ जाने कमैया मुक्त हुइल उहाँ सुनैठै ।
कमैया बने छोरलपाछे उहाँ ज्याला मजदुरी कर्ना ओ बाँकी समय गाउँक् कमैयान् मुक्त करैना अभियानमे लागगिलै । लुथरनके सहकार्यमे साविक चौमाला, गदरिया, उर्मा ओ फूलबारी गाविसके कमैयाहुकनके अध्यक्ष समेत हुइलै ।
२०५४ सालमे कमैया प्रथा उन्मूलन समाज स्थापना करके अप्नही अध्यक्ष होके सीताराम अभियान चलैलै । उहाँके नेतृत्वमे २०५५ माघमे साविक गदरिया गाविसके ७ जाने कमैयान्के १० हजारसमके सौकी (ऋण) मिनाही कर्लै ।
कमैया आन्दोलन उत्कर्षमे पुगल । कमैयान्के सवाल सडकसे सदनसम पुगल । राष्ट्रिय किल नाई अन्तर्राष्ट्रिय मुद्दाके रुपमे स्थापित हुइल । तत्कालीन सरकार कमैया मुक्तिके घोषणा करल ।
कमैया आन्दोलनके दवाव स्वरुप सरकार कमैयाहुकनके लगत संकलन करके पुनस्र्थापनाके कार्यक्रम बह्राइल । दाङ, बाँके, बर्दिया, कैलाली ओ कञ्चनपुर जिल्ला सम्मिलित संघर्ष समितिके अध्यक्ष फेन सीताराम अप्नही बनैलै ।
अन्तर्राष्ट्रिय अवार्ड
उहाँके संघर्षके कदर करटी २०६५ सालमे युनिभर्सल पिस फेडेरेसन कना संस्था उहाँहे एम्बासडर फर पिस एवार्डसे सम्मानित करल ।
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