थारु राष्ट्रिय दैनिक
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थारू लोकगीत संकलनमे जुटल थारु आयोग

पहुरा | १९ आश्विन २०७७, सोमबार
थारू लोकगीत संकलनमे जुटल थारु आयोग

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १९ कुवाँर ।
थारु आयोगसे मातृभाषाके लोक गीत संकलन करना हुइल बा । आयोग ओकर लाग प्रस्ताव पेस करना संकलनकर्ताहे आव्हान करले बा । गिल ५ असोजमे सूचना प्रकाशन करटी हालसम प्रकाशित नैहुइल थारु मातृभाषाके लोक गीत प्रकाशन करना आयोग जनैले बा ।

‘थारु समुदायके पुरान परम्परागत लोक साहित्यके संरक्षण ओ प्रबद्र्धन करना उद्देश्यसे प्रथम चरणमे यी आयोग समुदायमे रहल लोक गीत संकलन कैके प्रकाशन करे लागल ओरसे इच्छुक संकलनकर्ताके संक्षिप्त सूची तयार करना प्रयोजनार्थ देहायके शर्त पालना करना मेरिक तोकल समयभित्तर प्रस्ताव पठैना सम्बन्धित सबके लाग यी सूचना प्रकाशन करल बा,’ आयोगके सूचनामे कहल बा ।

आयोगके सूचना अधिकारी जागुराम चौधरीके अनुसार संकलनकर्ताहे उचित पारिश्रमिकके समेत व्यवस्था करल बा । मने कत्रा पारिश्रमिक कना नैखुलाइल उहाँ बटैलै । ‘आयोगसे लोक गीत संकलन कैके बुझुइयाहे उचित पारिश्रमिक फेन डिइ । उ पारिश्रमिक भर संकलनकर्तासे बुझाइल गीतमे निर्भर रही,’ उहाँ कहलै ।

जागुरामके अनुसार संकलनकर्ता कुछ शर्त भर पालना करेपरना बा । उहाँक् अनुसार नेपालके पूर्वसे लेके पश्चिमसमके थारु मातृभाषाके अप्रकाशित लोक गीत (गुर्बाबक् जलमौती, बर्कीमार, जितिया, सखिया÷अष्टिम्की ओ भोजमे गाजिना गीत मांगर लोक गीत बाहेक) संकलनके लाग संकलनकर्ताहुकनके संक्षिप्त सूची तयार करजाइ ।

इच्छुक संकलनकर्ताहुक्रे लेखनके विषय ओ सन्दर्भ, विगतमे लेखनसम्बन्धी अनुभवसहितके प्रस्ताव यीसाथ संलग्न ढाँचामे भरके २०७७ कात्तिक मसान्तभित्तर पेस करेपरना बा ।

अस्टेक संकलनकर्ताहुकनके नामावलीसहितके संक्षिप्त सूची आयोगसे प्रकाशन करना ओ प्राप्त प्रस्ताव स्वीकृत हुइलपाछे ओकर जानकारी सम्बन्धित व्यक्तिहे डेना सूचना अधिकारी जागुराम बटैलै ।

संक्षिप्त सूचीमे परल संकलनकर्ताहुक्रे स्वीकृत प्रस्ताव बमोजिम लोक गीत संकलन कैके २०७७ फागुन मसान्तभित्तर पठाइ परना ओ प्रस्ताव पठाइबेर आयोगके इमेल ठेगानामे पठाइपरना उहाँ बटैलै ।

लोक गीत संकलन तथा लेखनके भाषा थारु मातृभाषामे हुइपरना उहाँ बटैलै । संकलित लोक गीतके स्रोत ओ सन्दर्भ खुलाइपरना उहाँ बटैलैं ।

२ बरस आघे गठन हुइल आयोग थारु समुदाय सवालमे वकालत करटी रहल बा । साठे थारु मातृ भाषाके विकास, कला, संस्कृतिलगायत संरक्षण ओ सम्वद्र्धनके लाग काम करटी आइल बा । नेपालके संविधानमे रहल व्यवस्था अनुसार गठन हुइल आयोग थारु वस्तीमे टमान मेरिक सचेतीकरण कार्यक्रम करटी आइल बा । जौन अनुसार आयोग थारु लोक संस्कृति, गीतबासके संरक्षणमे जुटल हो ।

मने थारु अगुवाहुक्रे आयोगसे कला संस्कृतिसे फेन राज्यके निकायमे पूर्ण समावेशिताके लाग लागेक पर्ना जरुरी रहल औल्याले बाटै । थारु अगुवा सुखलाल चौधरी आपन कहठै, ‘थारु आयोग मक्काइल आयोग हो काहुन । यि बेला राज्यमके हरेक निकायमे जातिय जनसंख्याके आधारमे समावेशी, सहभागिताके अधिकारके लाग लरेक पर्ना बा । लोक सेवा, न्याय, प्रशासन, तथा राज्यसे कर्ना नियुक्ती प्रक्रियामे पहुँच पुगाइक लाग दवाव डेहक पर्नामे लोक गीत संकलन ओहोर लागल बा । भले लोक साँस्कृतिक बचाइक पर्ना सक्कु थारु समुदायके कर्तव्य रहलेसे फेन अब्बा अधिकारके लाग लरेक पर्ना बेला हो ।’

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