थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत ३० कुँवार २६४८, बुध ]
[ वि.सं ३० आश्विन २०८१, बुधबार ]
[ 16 Oct 2024, Wednesday ]
‘ हिन्दी गाना बोजे छोरल गाउँमे ’

जहाँ फेन ‘जोरसे बजैबु मन्ड्रा…’

पहुरा | २५ आश्विन २०७७, आईतवार
जहाँ फेन ‘जोरसे बजैबु मन्ड्रा…’

लखन चौधरी
धनगढी, २४ कुवाँर ।
३ बरस आघेसम तराईके सक्कु वस्तीमे हिन्दी ओ भोजपुरी सलिमाके गाना किल मन्के । भोज भटेर, मेला महोत्सव होए या टरटिहुवारमे ओहे हिन्दी गाना बोले । नेपाली, थारुलगायत अन्य भाषाके गाना बरा कम सुनजाए ।

मने समय फेरगिल बा । हिन्दी गाना मन्कना वस्तीमे आजकाल स्थानीय भाषाभाषीके गीतसे चैनार रहठ । उदाहरणके लाग जोरसे बजैबु मन्डरा टु नचहो लेहेंगा फार फार… ।

स्थानीय भाषाभाषीभिट्टर फेन लोपोन्मुख गीत आधुनिक प्रविधिमार्फत मन्के लागल हो ।
थारु गायिका समीक्षा चौधरी कहठी,‘ढिउर बरस नाइ हुइल हो ।

हरेक वस्तीमे, खास कैके तराईके जिल्लामे हिन्दी फिल्मी गीत बोले । कहु–कहु किल नेपाली ओ आउर भाषाके गीत सुने मिले । मने, आजकाल स्थानीय भाषा भाषीके गीत बहुट बोलठ । थारु वस्तीमे थारु गीत ढिउर, पहाडी बस्तीमे नेपाली गीत ढिउर बोलठ । बहुट खुशी लागठ, थारुलगायत स्थानीय भाषाभाषीके गीत बहुट रुचागिल बा ।

हालसम करिब २ सय ठो थारु गीतमे किल स्वर डेसेकल गायिका समीक्षा चौधरीके डसिया ओ डेवारीके अवसरमे किल आधा दर्जन थारु भाषाके आधुनिक ओ सांस्कृतिक गीत बजारमे अइना तयारीमे बावै ।

राष्ट्रिय थारु कलाकार मञ्चके सहसचिव समेत रहल गायिका समीक्षा डसियाके अवसरमे अइना आधुनिक थारु झुमरा (सांस्कृतिक) गीत असिके गुनगुनैठी–

ए हो ढानी टुही बरा सुग्घर,
टुहि डेखके भौरा लोभाए…।

ओस्टके उहाँके मडुवा भाग २ अन्तर्गत कमेडी गाना, ‘जाँर डारु पिना लागल बानी, भकरी बोतल डेख्टी किल मुहम पानी…’, ‘चोरी चोरी नयना लरल…’ आधुनिक गीत, ‘लमहीक् बजारम ठण्डा प्वाक प्वाक, मोरिक साली डेखो हुइटीन् बरा च्वाकु…’ ओ ‘छल्को छल्को नेंगठो छैली मुसुमुसु हस्ठो, थारु गाउँके सक्कु ठ¥र्यान् मोहनी लगैठो…’ कना बोलके मघौटा गीत आइल लागल जानकारी करैली ।

माेडल वीर चाैधरी

स्थानीय भाषाभाषीके गीत संगीत आधुनिक प्रविधिमार्फत धमाधम बजारमे आई लागलपाछे हिन्दीलगायत बाह्य साँगीतिक दबदबा हटे लागल हो । आजकाल खासकैके गीतके रेकर्ड संगे म्युजिक भिडियो व्यावसाहिक युट्युब च्यानलमार्फत बाहेर नन्ना ट्रेन्ड चलल बा ।

राष्ट्रिय थारु कलाकार मञ्चके उपाध्यक्ष समेत रहल गायक रोशन रत्गैंयाँ टमान भाषाभाषीहुकनके विकास क्रम संगे उहाँहुकनके गीत संगीतके विकास फेर फड्को मारल बटैठै ।

स्थानीय भाषा, कला, संस्कृतिके संरक्षण, सम्वद्र्धन करेक परठ कना चेतनाके विकास संगे स्थानीय स्रजकहुक्रे फेन व्यावसायिक रुपमे आई लागल उहाँके कहाइ बा ।

‘कौनो जमाना रहे, हम्रे आपन शौक पूरा करेक लाग गीत गाइ । आजकालके जसिन पहिले सूचना प्रविधिके विकास फेन हुइल नैरहे । जनचेतनाके अभाव ओस्टे रहे । जौनकारण स्थानीय कला, संस्कृति, गीत संगीत लोपोन्मुुख अवस्थामे रहे,’ मञ्चके उपाध्यक्ष रत्गैंयाँ कहलै, ‘आब चाँही चेतनाके विकास संगे साँगीतिक क्षेत्रके व्यावसायिक विकास हुइटी गैल बा । पुरुबके मेचीसे लेके पश्चिउ महाकालीसम साँगीतिक विकासके लहर चलल बा ।’

उहाँके अनुसार दैनिक २ से ५ ठो सम थारु भाषाके गीतसंगीत रेकर्ड हुइटी आइल बा । कलेसे करिब ४० ठो यूट्युब च्यानलमार्फत टमान भाषाभाषीके गीत संगीत प्रशारण हुइटी आइल बा ।

गायक रत्गैंयाँ फेन डसियाक् अवसरमे आई लागल थारु गीत गुनगुनैलै–

ओई छैली आँखीम् कजरा कत्रा सुहावन,
टुहार उ लाली जोबल बरा लोभावन…।

गायिका अन्नु चौधरी फेन आजकाल गीत रेकडिंगमे बहुट व्यस्त बाटी । छोट अवधीमे नेपाली ओ थारु गीत गाके बहुट चर्चामे रहल उहाँके आवाजमे सजल ९ ठो थारु आधुनिक तथा सांस्कृतिक गीत डसियासे आघे सार्वजनिक हुइना तयारीमे रहल बा ।

डसिया आइलागल गीत मध्ये आधुनिक थारु गीत गायिका अन्नु चौधरी असिक् सुनैठी–

बिन्दिया बोलाइ सजना
टु अजा अजा रे सजना…।

उहाँ खिट्का मारके हस्टी कहली, ‘आम स्रोताहुक्रे फेन आजकाल बरा सचेत बाटै । साँस्कृतिक जागरण प्रति बहुट जागरुक बाटै । ओहेकमारे सक्कु जे गीत संगीतमे आपन मौलिकता खोज्ठै । दर्शक ओ स्रोताहुकनके माग अनुसार संगीत परोसेबर मिठ प्रतिक्रिया आइठ ।’

पछिल्का समय नेपाली वस्तीसे हिन्दी गीत प्रतिष्ठापन हुइना किल नाई, नेपालके सीमा जोरल भारतीय वस्तीमे फेन यहाँके गीत संगीत डेरा जमाई लागल बा । मोडल वीर चौधरी नेपाली भाषाभाषीके गीतसंगीतके विकास ओ प्रभाव नेपालमे किल नाई सीमावर्ती भारतीय क्षेत्रमे फेन फैलटी गैल बटैठै ।

एक अठ्वार आघे भारतके उत्तरप्रदेशके टमान क्षेत्रमे भोजपुरी म्युजिक भिडियो छांयाकनके क्रममे पुगल मोडल वीर कहठै, ‘भारतमे फेन हमार गीत संगीत रुचैना स्रोता ओ दर्शक बहुट मजा पैनु । बहुट खुशी लागठ ।’

मने, पछिल्का समय भाषाभाषीके गीतसंगीतके विकासके क्रममे लौव–लौव सर्जकहुुकनसे गीतसंगीत उत्पादनके क्रममे बरा लैलाहा ओ समाजमे पचाई नैसेक्ना मेरिक गीत संगीत आई लागल बा । शब्द चयनमे ध्यान नैडेना ओ संवेदनशिलता नैअप्नाइलओरसे भाषाके मौलिकतामे उसिटपन नन्टी रहल स्वयम् गायिका समीक्षा स्वीकार करठी ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू