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धानमे रहल ढर्रा उखर्नासे विषादी छिट्ना सहज

पहुरा | १४ श्रावण २०७७, बुधबार
धानमे रहल ढर्रा उखर्नासे विषादी छिट्ना सहज

पहुरा समाचारदाता
टीकापुर, १३ सावन ।
कैलालीमे धानखेतीमे ढर्रानाशक विषादीके प्रयोग बह्रटी गैल बा । अनावश्यकरुपमे जम्ना ढर्रासे उत्पादनमे असर पारल ओरसे विषादीके प्रयोग बह्राइल किसानन्के कहाइ बा । टीकापुरके वनगाउँके सुन्दरबहादुर चौधरी एक बिघा जमिनमे विषादी छिटलै । ‘धानमे ढर्रा जामे लागल रहे । पशु प्राविधिकसे सल्लाह कैके विषादी छिटनु,’ उहाँ कहलै, ‘ढर्रा पनाइक लाग कामदार लगैनासे विषादी छिट्ना सहज लागल ।’

कृषि क्षेत्रके प्रविधिके विकाससंगे किसानहे खेती कैना सहज फेन हुइल बा । किसानहे आवश्यक मल, बीउ, विषादी ओ खेतीके लाग आवश्यक प्राविधिक ज्ञान सहज पाइलमे कृषिमे किसानके जाँगर थपजैना किसान रामलाल डगौरा बटैलै । ‘खेतुवा जोत्ना मेशिन बावै, धान काट्न, डैना फेन मेशिन आइल बावै,’ उहाँ कहलै, ‘आब खेती कैना सजिल हुइल बा । खेती करेबर आवश्यक विषादी फेन सहजे मिलठ् । कृषि कार्यालय फेन सहयोगी बावै ।’

जानकी गाउँपालिके कृषि शाखाके प्रमुख लालवीर चौधरी किसान धान खेतीमे जामल ढर्रा उखर्नासे बिषादी प्रयोग सहज माने लागल बाटै । ‘विगतके बरस धानमे जामल ढर्रा उखर्ना चलन रहे, झार तथा घाँस ढिउर जम्लेसे धान उत्पादनमे असर पारठ्,’ उहाँ कहलै, ‘अब्बे किसान जामे लग्टी किल विषादी छिट्ठै । अनि घाँसके फेन अभाव हुइठ् ।’

झारनाशक विषादीके प्रयोगसे धान उत्पादनमे वृद्धि हुइना करल किसान बटैठै । धान उत्पादन किल नाइहोके धानमे जामल ढर्रा उख्टाइक लाग आवश्यक जनशक्ति फेन नाइ चाहठ् । ढर्रा पनैना समस्या नै टर्ना हुइल ओरसे झारनाशक विषादीके प्रयोग बह्रल क्षेत्रीय बीउविजन प्रयोगशाला कञ्चनपुरके बाली विकास अधिकृत सिद्धराज उपाध्याय बटैलै ।

झारनासक विषादी धान लगाइल ५ दिनसे ३० दिनके अवधिमे ढर्राके किसिम हेरके उहे अनुसार विषादीके प्रयोग किसान करठै । झारनाशक विषादीके प्रयोगसे उत्पादन बृद्धिसंगे माटीके उर्भराशक्तिमे समेत प्रभाव नाइ पर्ना हुइल ओरसे समयमे झारके पहिचान कैके झारनाशक विषादीके प्रयोग कैना सिफारिस विषादीके प्रयोग करे पर्ना उहाँ सुझाव डेलै । ‘धान खेतीअनुसार विषादीके प्रयोग कैना समय रहठ् । झार फेन चिन्हे पर्ना रहठ्,’ बाली विकास अधिकृत उपाध्याय कहलै, ‘ओहेमारे प्राविधिकके सल्लाह लेके किल विषादीके प्रयोग कैना मजा हो ।’

झारनाशक विषादीके प्रयोग एक बालीके लाग किल प्रभावकारी रुपमे रहना हुइल ओरसे औरे बालीहे नोक्सान नाइ करठ् । यकर प्रयोगसे धान खेतीमे ३ महिनासम प्रभाव रहना कृषि प्राविधिकके कहाइ बा । विषादीके प्रयोगसे उत्पादनमे वृद्धि हुइलेसे फेन उहीसे प्राप्त हुइना पैरा पशु चौपायाके लाग स्वस्थकर नाइ हुइना हुइल ओरसे किसान यम्ने ध्यान डेना आवश्यक रहल जनाइल बा । उहाँ कहलै, ‘सेकटसम ढर्राहे उँखारके फेक्ना नै मजा हो ।’ विषादी छिटल धानके पैरा पशुके लाग स्वस्थकर नाइ मानजाइठ् ।

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