थारु राष्ट्रिय दैनिक
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[ वि.सं १४ बैशाख २०८१, शुक्रबार ]
[ 26 Apr 2024, Friday ]

इ अस्टिम्कि, उ अस्टिम्कि

पहुरा | २७ श्रावण २०७७, मंगलवार
इ अस्टिम्कि, उ अस्टिम्कि

अस्टिम्कि मोर सब्से मन पर्ना टिउहार । सायड इहे कारनसे फेन हुइ महि अस्टिम्किक् बारेम् पिएचडि करक मन लागल् । पिएचडि ओरैलक बाड इ टिउहारप्रटि मोर आउर आस्ठा बह्र गैल बा । काठमाडौं बैठाइमे जब जब अस्टिम्कि आइठ, टब टब पुरान अस्टिम्किक् सम्झना मोर मनेम् बसेरा कै लेहठ ।

काठमाडौंमे चम्पन सांस्कृतिक समुहके अग्वा नन्दुराज चौधरीक् अगुवाइमे कुछ बरस सामुहिक अस्टिम्कि मना गैल । कोरोना नै डरभुटवाइट कलेसे सायड असौं फेन काठमाडौंमे अस्टिम्कि मना जैने रहे । सहरमे फेन अपन टिउहार जोगैना अभियान अपनेमे गर्व लायक बा । इहे सफलटाके कारन धनगढी बजारमे गुरहि मनैटि मनैटि गुरहि चोक नामकरन हो सेकल । मने अस्टिम्कि होए या माघि अन्य टिउहार, सहरमे कौनो संस्ठा आयोजना करठ कलेसे लम्मा लम्मा भासन सुने पर्लेसे बहुट डिग्डार लागठ । जबकि गाउँक् टिउहारमे समय अन्सार गा जैना गिटक् रहानले मन चम्पन बनाइठ ।

फाइल फाेटु

मै कै बरसके रहेबेर अस्टिम्किक् डिन भुख्ले रहक सुरु कर्लु, मजासे याड नै हो । डाइक अट्रे कलक याड आइठ, छावा इ टोरे नाउँक् टिउहार हो । टैं ब्रट बैठ्लेसे मजा । ओठ्ठेसे आउर डिन भुख चिरोरि कर्लेसे फेन अस्टिम्किक् डिन महि भुख खै का जने नै सटाइठ ।

मै छोटहिसे अपन बगालके लर्कनसे फरक रहुँ, अभिन फेन बटुँ कना हस लागठ । श्री बालजनता मावि (हाल उच्च मावि) बनगाउँ, देउखरमे कक्षा ४ मे भराना हुइबेर मै अपन नाउँ कृष्णराज लिखा लेलुँ । उहिसे पहिले मोर नाउँ कौशलेन्द्र कुमार रहे । सायड अपन नाउँ कृष्णराज बडल्लक सालसे मै अस्टिम्कि रहे लग्लुँ । मोर डाडुक् नाउँ ऋषिराज, भइवक नाउँ देवराज, टब मोर नाउँक् पाछे ‘राज’ खै टे ? इहे प्रस्नक खोजि महि अपन लावा नाउँ न्वारन कर्ना बाढ्य पार डेले रहे । महि लागठ, बभनासे बकायडा पोठिपात्रो हेराके ढरवाइल नाउँ ४ कक्षामे पह्रना आजकलिक फेन कौन लर्का बडले सेकि भला ।

मै अपन गाउँ देउखर छुटकी घुम्नामे मढरान घर बहुट बरस अस्टिम्किक् चित्र बनैलुँ । सुन्ठुँ, आब टे गाउँमे भिटम् चित्र बनुइया फेन कोइ नै हुइट । कान्हक् पोस्टर टाँसके किल अस्टिम्कि पुजे लागल बटाँ । बठिन्यन ओ जन्नि किल अस्टिम्कि टिके जैना चलनहे गाउँमे मैं भंग कर्लु । मोर छोट बुड्ढिक प्रस्न रहे कि लवन्डिन कान्हा हस गोस्या पाइक लग अस्टिम्कि टिके जैठाँ कलेसे मै राधाहस गोसिन्या पाइक लग काजे अस्टिम्कि टिके नै जैना ? बिहानके अस्टिम्कि अस्राइ गैल बेला बगाल भर जन्निन्संगे अकेलि लौंरा लहाइबेर मै लाजेले पानि पानि हो जाउँ । महि टबे लागे, इ सब टे राधा हुइट, बस् मै अकेलि कान्हा । कुछ बरस रहिके मोर मन मिल्ना, महिसे बरा भागु गोचा अस्टिम्कि टिके जैनामे साठ डेहे लग्लाँ । महि लागल कृष्णहे बलराम मिलगैलिस ।

फाइल फाेटु

मामन् घरक् अस्टिम्किक् अग्रासनके बहुट अस्रा लागि हम्रे । अन्डिक रोटिम भेलि मिठाइ ढैके आइल बा कि नै ? उहे खोज्नि रहे मोर । हमार छुटकि मामा हमार घर इहे अग्रासन डेना बहानम् किल आए । मने राप्ती लडियम् पुल नैबन्के, डुम्मा उठ्ना बाह्रके डरले मामन्के कौनो साल आइट, कौनो साल बोटिया हेर्टि डिन बुर जाए ।

अस्टिम्कि टिके जाइबेर बर्ना जगरमगर डियाले मोर मन ओज्रार हुए । चलो एकघरि टिक्के आब खाइ मिलि कना हुए । अस्टिम्कि टिक्के सेक्के कहँवैटे सिरिजल जलठल ढरटि अस्टिम्किक् गिट जब महराज बुडु रहान लगाके गाइट, टब ओनैटि मजा लागे । हुँकार स्वरमे स्वर डेना टमान गँवल्यन् रहिट । सुन्ठु, आब टे अस्टिम्किक् गिट गैना चलन हेरैटि जाइटा ।

पिएचडि करेबेर पटा चलल् कि अस्टिम्किक् गिट सिर्जैलेसे जम्मा निम्जैहि परठ । जौन गाउँमे सखिया नाच जाइठ, उहाँ अस्टिम्किक् गिट गाके नै निम्जल रलेसे सखिया नाचेम ओढियाइल ठाउँसे पाँट पकरके गिट सुरु कैके ओरवाइ परठ । मने आज हेरि अवस्ठा, हम्रे छोट लाइन सजना पुरा कैना ढैर्य नै रख्ठि, अस्टिम्किक् गिट निम्जैना ढैर्य हमार ठेन कहाँ ? हम्रे सालि भाटुक् गिटमे किल मस्ट बटि, अस्टिम्किक् गिट निकरना हमार ठेन सोंच कहाँ ? आइ पुर्खन्के बँचाइल संस्कृटि भिट्टर पैंठि, फुरेसे मोहन्या जैबि ।

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