थारु राष्ट्रिय दैनिक
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कोरोना कहरमे गरीबी

पहुरा | २९ असार २०७७, सोमबार
कोरोना कहरमे गरीबी

कोरोना भाइरस (कोभिड–१९) कहाँसे उत्पन्न हुके दुनियाँ भर कैसिक फैलता कना आझकलके जन्ना सुन्ना थोरचेफे विवेक हुईल लर्का पुर्खन सकहुन पटै हुईल बात हो । कोरोनाके राक्षसीरूपी प्रकोपसे आझके समयसम दुनियाँ भरमे करिब दश लाख मनैनके अकालमे मौत हुसेकल पता नाई अभिन कत्रा मनैनके बली लेहथ एकर कोई लेखा जोखा नाई हो । पहिल दोसर विश्वयूद्ध हुईल ओम्मे फे लाखौ मनैनके ज्यान गील अरबौ खरबौ धनदौलतके नोक्सानी हुईल मनो बहुत ऐसिन देशमे विश्वयूद्धके भनक तक नाई मिलल जे लरल ऊ मरल मारल उरते उरते खबर हुईल ईतिहासमे पर्हे मिलल विश्वयूद्ध हुईल अमेरिका जापानके कै सहर ध्वस्त पार देहल ।

वर्तमान कोरोना भाईरस ओ एकर डरसे लगाईल लकडाउन सारा दुनियाँ हिला देहल । कोरोनाक कारण विश्वाबजारके अर्थतन्त्र एकदम धरासाय हुगील । हँस्ती खेल्ती रहल निर्दोष परिवार उजरगील । हमार थारूमे एकथो कहकुट बा ‘खेत खाई गड्हा मार पाई जोलहा’ बिगार कोई आउर करे सजाय किहनो आउर मिले औरे जहनके करल गल्तीक सजाय आज सक्कु जहन मितला कारण हम्रे गल्ती करूईया मानव समुदायमे परली । यी कोरोना भाईरस डर ओ मौतमे किल कहाँ रूकल बा । यी टे मौतके संग संग्गे तडप लाचारी भुख ओ गरिबी फे लैके आईल बा। दुनियाँमे नाउँ कमाईल धनी धनी देश कोरोनाक कारण टुटके छिटरा गैल बा टे हमार हस गरिब देश नेपाल कैसिक अछुट रही । नेपाली जनता ओ नेपाल देश विना प्रदेशी कमाहीसे अपाङ हुईना सम्भावना बा । ऐसिन कलेक मतलब यी नाई हो कि नेपाल ओ नेपाली अपने देशमे कुछ करके नेपालके गरिबी मेताई नाई सेक्ही मनो हालके अवस्थामे भर यहे सच हो ।

कोरोनाक कहरसे नेपाली श्रमिक जनता देश विदेशसे आके घरघरमे बन्दी बनल बातै घरेम रहल थोरचे खेतीबारी कैके ऋृण सापतमे डुबल निकम्मा बैठके खाई परता । कर्ना फे का हो सय दिनसे उप्पर हुईगील देशमे लकडाउन जत्रा थोर बहुत कमाईल पूँजी खोंत खोंतके खाईत ओरागील । करलेसे कोई काम धन्धा नाई हो । काम नाई हो टे पेप नाई हो कहे नाई बनथ पेट अपन समयमे कुकुवाई डारठ पेट कुक्वैना मेटाईक लग पैसै चाहल पैसा कहाँ मिली ? नेपाली अधिकांस यूवा घरेक खेतीपाती सेकके परोसी देश भारत काममे जैना हुए मनो हालके समयमे जत्रा भारतमे जेनतेन काम मिले ऊ फे बन्द हुईल बा । उहीसे एक परिवार हे प्रत्यक्ष असर टे परल परल पुरा देश हे फे असर परता ।

कना टे नेपाल सरकार छाती फुलाके टेबल ठठाके कहथ हमार जनता यूवा पुस्ता काम करे औरेक देशमे नाई जाईक परी कोई बेरोजगार नाई बैठी कोई भुखे नाई मरी सर्वसुलभ काम दाम मिली नयाँ व्यवसाय करेक लग बैङकसे सरकारके तरफसे विना धितो ऋण मिली मनो सब कहना भर हो खै कहाँ कौन बैंकसे मिलथ विना धितो ऋण ? कहाँ बा सर्वसुलभ काम दाम ? यहाँ कोई यूवा अपन व्यवसाय शुरू करफे लेहल मानी उ व्यवसाय चलाईक लग दर्ता कराक परल मजा बात हो मनो उ दर्ता कराईक लग किहीन कहाँ कैसिक घुस खवाई परल कना बात जे व्यवसाय चालु करथ उही पता रहथ । कोई टेबुलके तरेसे टे कोई पिठ पाछे घुस लेहथ । विना धितो ऋणके बात करू कलेसे पचास हजार ऋण लेहक लग पहिले ऊ बैङकमे खाता खुलैहीक परल पाँच छेठो साक्षी चाहल दुनियाँ भरिक झन्झत करके बलतल पचास हजारके ऋण पास हुई ओम्मेसे साक्षी , बैङके दलाल स्टाप हुक्रन पाटी खवैहीक परल । ऐसिक पचास हजारके नाउँमे ऋण टे चर्ह जाईथ मनो घर पुगत पुगत तीस पैंतीस हजार कुल हाथेम परथ।अब्बैके महंगाईक जवानम तीस पैंतीस हजारसे सोचल हस व्यवसाय करे सेकजाई का ? स्टेजमे तोंता फार फार हवा गफ दैके भाषण देठै यूवान रोजगार देब । कैहके किल का हुई सरकार रोजगार देहक लग लावा निती समानताके नियम नाने परल ।

यूवानके काम हे प्रोत्साहन देहक लग स्वरोजगारके सहज रूपमे सीपमूलक तालिम बजार व्यवस्थापन अनुगमन क्षतिपूर्ति बीमा जैसिन राहत कोषके स्थापना फे कर देहे परल । मनो हमार देशमे रोजगार पता नाई हो । जौन उत्पादन हुईल कृषि उपज रहे चाहे बजारी चाउमिन चकलेट बेकारी फे सब बेकारमे जाईथ । जहाँ देखो भ्रष्टाचारे भ्रष्टाचार भ्रष्टाचारीनके चाकरी करो टे थोर बहुत लगानी उठथ नै की ऋृण सापत लैके करल व्यवसाय चौपट हुके मुन्टी भर ऋणके बोझ बोकके कोई भारत कमाई जाईथ टे कोई लदियाक धिकवा टर भुवा बने जाईथ । यदि सरकार भारत लगायत अउर विदेशसे आईल यूवानके डाटा संकलन करे प्रदेशसे आके कौन यूवा कहाँ का करता तब पता मिली सयमे दुईथो किल ऐसिन यूवा निकर्ही जे थोरचे राजनितीक संरक्षण पैले बा घरेम पूँजी रहल यूवा लावा व्यवसाय करत बाँकी ९८ यूवा खाली बेरोजगार बैठल बातै । केक्रो ठे ईच्छा बा कलेसे फे लगानी नाई हुके हाथगोर मिसके बाध्यतामे बैठल बा । ओ काम नाई कर्ना ईच्छा नाई रहल मनै टे चोर डाँका बलत्कार लागु पदार्थ ओर टे धिरे धिरे अग्रसर हुईटी बातै ।

एक ओर कोरोना भाईसरके कहर दोसर ओर राजनीतिक ऊठलपुठल देश हे अस्थिरता ओ गरीबी ओर जबरजस्ती धकेल्न प्रमुख कारण हो । सरकारके गैरजिम्मेवारीक कारण देशमे महामारी फैलती बा । एकथो सुई मास्कसे लैके बरवार मशीन खरिद कर्नामे भ्रष्टाचार हुईनामे हमार देश कहर जाई कना यी सकहुन पता बा । नेपालमे जे सरकारके आगेपाछे बा ऊ धनी हुईटी बाटै । हमहन हमार मातृभूमि हर हालमे प्यारा बा मातृभूमिके लग एक बुंद रकत फे देहे मिल्लेसे अपनहे भाग्यमानी ठानब मनो यी कोरोनाके महासंकटमे सीमा विवाद लैके परौसी दुनु मित्रराष्ट्रसे मनमुटाउ रिसीबी कर्ना फे ऊचित नाई हो । बल्की यी महासंकटके समयमे विश्वभरके राष्ट्रमे अपन मजा छबी बनैटी अपन देशमे रहल डाक्टर विशेषेज्ञ हुक्रन कोरोनाक खोप बनैनामे सामेल करैना चाही सरकारके पुरा ध्यान कोरोना नियन्त्रणमे लगैना चाही। कठै नेपाल नाई रही टे नेपाली कहाँ ओस्टे के जनतै नाई रहीही टे देश कहाँ ? रहल सिमा विवाद टे सिमा विवाद एक दोसरके देशके झण्डा जराके न देशके जनतान दुखदैके घरहीम औरे देश विरूद्ध आन्दोलन कराके हल हुईना नाई हो ।

एकर लग दुनु देशके सिमाविद संयूक्त राष्ट्र संघके सिमाविद हुक्रे स्थलगत अध्ययन अनुगमन करके किल फैसला हुईना हो । हमार सरकार एक ओर सिमा विवाद खोलके दोसर ओर घरहीम कुर्सीक लग झगरा कर्ना यी कैसिन एकता कैसिन गठबन्धन हो ? देश कोरोनाक कहरमे अस्तव्यस्त रहल समय असारे विकासके नाउँमे स्थानीय तहसे लैके केन्द्रसम भ्रष्टाचार खुब मौलायल बा । करोडौ अरबौ बजेत निकासा हुईल कोरोना नियन्त्रण उपचार कोषमे मनो नेपाल सरकार क्वारनटाईनमे धरल जनतान एक छाक खाना खवाई नाई सेकल । कहथ नेपाली जनता भुखसे कोई मरी परिस्थिती भर यहाँ उल्टा बा । सय दिनसे उप्पर लकडाउनमे गरीब परिवार हे राहतके नाउँमे २५ किलो चाउर २÷२ किलो दाल नोन ओ २ गिट्टी साबुन बाहेक सरकारके तरफसे कुछ नाई मिलल हो ।(बाँकी ३ पेजमे) मानली खाली दुई जहनके परिवारमे अत्रा रासन सय दिन पुगी ? एकथो गरीब मध्यम वर्गीय परिवार करी टे का करी खेतीपाती नाई हो रहल थोरचे ऊहीसे गुजरा नाई हुईना हो । आयआर्जनके नाउँमे खेतीपातीक समयमे हप्ता दिन ज्याला मजुरी बाँकी समय परिवार छोरके परोसी देश भारत कमाई जैना नेपालीनके चलने बा कलेसे फरक नाई पर्ना हो । मनो अब्बैके समय टे सब रूकल बा। भारत गैल सारा कामदार घरे आके बैठल स्थिती बा । घरे काम नाई हो प्रदेश कमाई जाई नाई मिलथो । कोरोनाक कारण सिमा नाका बन्द बा उप्परसे देशके सिमा विवादके कारण मनमुटाउ चतली बा । आजकल खेतीपाती सेकके भारत कमाई जैना मनै खाली घरहिम निकम्मा बैठल बाटै । स्वदेशमे का करही यहाँ काम करके परिवार पाले सेक्ना उचित ज्याला नाई मिलथ । कहु काम मिल्लेसे फे मरमर दिन भर काम करके पैसा चहना बेला ठेकेदार ठागके भग्ना चलन बा । सरकारी काममे केन्द्रसे बजेट स्थानीय स्थानीयसे ठेकेदार सम आईत आईत पुरा साल भर लागथ टे कामदार कब पैही ? ऐसिक समाजमे झनझन गरीबी छैँटी बा । यूवा हुक्रे बेरोजगार रहलेक कारण खाली मन सैहतानके घर कठै भुख धनी गरीब नाई जानथ । बेरोजगारीसे यूवा हुक्रे खाली बैठल कहाँ पाई कैसिक खाई कहाँ का करी सोचमे कोई कुलत, चोरी ओ बलात्कार जैसिन हिंसा ओर संलग्न हुईटी बाटै टे कोई आत्माहत्याके डगर रोज्न बाध्य हुईटै । तबमारे हमार सरकार जे कोई पार्टीक रलेसे फे पार्टीसे फे उप्पर उठके यी महासंकट नियन्त्रण संगे भ्रष्टाचारफे नियन्त्रण करटी देशके यूवान लग ध्यान देहे परल ।

यूवा हुक्रन लग हर गाउँ ठाउँमे यूवा स्वरोजगार कार्यक्रम चलाई परल ओकर लग विना झन्झत विना धितो ऋण उपलब्ध कराई परल । यूवान रोजगारीके लग सुरक्षित दुबई मलेसिया किल नाई परोसी देश भारतफे कमाई जैना डगर बनाई परल । लकडाउनके अबधिभरके बैङकिङ ऋण छुट संगे भाडाम बैठना जनतानके हकमे घरधनी हे सरकारके तरफसे थोर बहुत राहत देती भाडाम बैठुईयानके घरभाडा छुट कर्ना एकदम जरूरी बा । सरकारके ऐसिन कदमसे लकडाउनमे झनझन गरीबीके बोझमे डबटी रहल व्यापारी, गरीब परिवार संगे बेरोजगार बैठल यूवा हुक्रन एकदमै राहत मिलत ।

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