थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत २४ अगहन २६४८, सोम्मार ]
[ वि.सं २४ मंसिर २०८१, सोमबार ]
[ 09 Dec 2024, Monday ]

विश्वमे दुर्लभ सुनौलो तोप चिरैँ शुक्लाफाँटामे

पहुरा | ५ श्रावण २०७७, सोमबार
विश्वमे दुर्लभ सुनौलो तोप चिरैँ शुक्लाफाँटामे

अविनाश चौधरी
धनगढी, ५ सावन ।
बाह्रसिंगाके लाग प्रसिद्ध शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्ज नेपालमे अति संकटापन्न सुनौलो तोप चिरै एकठो संरक्षित क्षेत्र बनल बा । औरे संरक्षित क्षेत्रमे यी प्रजाति डेखजैना छोरलपाछे सुदूरपश्चिमके शुक्लाफाँटा मुलुकमे सुनौलो तोप चिरैँ थलो बनल हो । अन्तर्राष्ट्रिय प्रकृति संरक्षण संघ (आइयुसीएन)से रातो सूचीमे राखल सुनौलो तोप चिरैं विश्वमे दुर्लभ मानजाइठ् । नेपाल ओ भारतमे किल पैना यी चिरैं नेपालके लाग भर अति सङ्कटापन्न सूचीमे रहल बा ।

कोशीटप्पु वन्यजन्तु आरक्षसे दशक आघे नै हेराइल सुनौलो तोप चिरैं हाल शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्जमे किल रहल निकुञ्जके प्रमुख संरक्षण अधिकृत लक्ष्मण पौड्याल बटैलै । ‘नेपाल ओ भारतमे किल पैना यी चिरैं नेपालके लाग हाल शुक्लाफाँटामे किल बाटै,’ उहाँ कहलै, ‘कोशीटप्पुमे सन २००७ से डेख परल नाइ हुइट ।’

शुक्लाफाँटाके सिकारी ताल, सिंहपुरफाँटा, मोहनपुर, अण्डैया, पट्टैयाफाँटा ओ दरख घाँसे मैदानमे सुनौलो तोप चिरैंनके बसोबास रहल बा । यीनके हरेक बरस अनुगमन कैना करल पौड्यालले बटैलै ।

सुनौलो तोप चिरैं शुक्लाफाँटामे रहल बारेम सबसे पहिले चराविज्ञ डा. हेमसागर बराल पत्ता लगाइल रहिट । सन १९९६ मे आपन विद्या वारिधिके लाग अनुसन्धान करे शुक्लाफाँटा पुगल उहाँ सुरुमे ११ ठो(बाँकी २ पेजमे) सुनौलो तोप चिरैं डेखल रहिट । ओकर पाछे, सन २००८ मे बराल नै सुनौलो तोप चिरैं सिकारी तालके आसपासमे ठाँठ लगैना करल तथ्य पत्ता लगाइल पौड्याल सुनैलै । ‘नेपालमे सुनौलो तोप चिरैं ब्रिडिङ कैना ठाउँ फेन शुक्लाफाँटा किल हो,’ उहाँ कहलै । ‘मे से सेप्टेम्बरसम सुनौलो तोप चिरैं ठाँठ लगैना, बच्चा बह्रैना कार्य करठै ।’ शुक्लाफाँटामे पैना सुनौलो तोप चिरैंनके तथ्यांक व्यवस्थित कैना प्रयास अपनेहुत्र करटी रहल पौड्यालके कहाइ बा ।

सुनौलो तोप चिरैंनके संख्या नेपाल, भारत दुनुु देशमे कम रहल रहल पक्षी संरक्षण सङ्घ नेपाल (बीसीएन) जनैले बा । नेपालमे यी बरस करिब १०० के हाराहारीमे सुनौलो तोप चिरैं रहल उ संस्थाके कार्यकारी प्रमुख इशाना थापा बटैलै ।

उहाँके अनुसार सन २०१७ मे ३०० ओ २०१९ मे १७४ जत्रा तोप चिरैं नेपालमे पाइल बा । यी चिरैंनके विस्तृत अध्ययन कैना बाँकी रहल थापा बटैलै । नेपाल, भारत दुनु देशमे यकर संख्या घट्टी रहल ओरसे विश्वमे अति सङ्कटापन्न सूचीमे लैजैना कि कहिके छलफल चल्टी रहल उहाँके कहाइ बा ।

नेपालमे छातीकाले, धर्के, बया ओ सुनौलो कैके चार प्रजातिके तोप चिरैं पैना करल जनाइल बा । जौन मध्ये सुनौलो तोप चिरैं तराई क्षेत्रमे किल पैना करल चराविद् हिरुलाल डंगौरा बटैलै । उहाँ शुक्लाफाँटामे पैना सुनौलो तोप चिरैंनके संरक्षण ओ अनुगमन निकुञ्ज कार्यालय ओ बीसीएनसे संयुक्त रुपमे करटी आइल उल्लेख करलै ।

प्रकृतिउपर मानवीय हस्तक्षेप बह्रटी जैना हुइल ओरसे यी चिरैंनके अस्तित्व खतरामे परल बा । प्राकृतिक बासस्थानके विनाश, कृषिमे विषादीके बढ्दो प्रयोग जैसिन कार्य सुनौलो तोप चिरैंनके विनाशके प्रमुख कारण रहल डंगौरा बटैलै । नेपाल–भारत सीमा लग्गे पर्ना शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्जमे ४५० प्रजातिके चिरैंनके बसोबास रहल बा । जौन मध्ये विश्वमे दुर्लभ २३ प्रजाति ओ नेपालके लाग अति सङ्कटापन्न ७४ प्रजाति रहल बाटै ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू