बन्दाबन्दीसे गिट्टी बिके छोरल
दैनिक जोहो कैना कर्रा
उन्नती चौधरी
धनगढी, ३२ सावन । ‘फुटाइल गिट्टी फे बन्दाबन्दीसे बिके छोरल, डगर खुली ओ गिट्टी बेचम कना आशमे १ वर्ष आघेसे गिट्टी थुपारके धारल बा ।’ गोदावरी नगरपालिका वडा ९ वल्मीके ७० वर्षीया पारु साउँदके कहाई हो यी ।
उहाँ लकडाउन खुललपाछे सडक निर्माण होए या और परियोजनके लाग कोई गिट्टी खरिद करे अइही कना आशमे सामाजिक दुरी कायम करके गिट्टी फुटाके दिन विटैनु । मने गिट्टी नइविकल । कोरोना रोग गाँसे अछिनल उहाँ बटैठी ।
छावा पटुहिया रोजगारीके शीलशीलामे प्रायः भारत ओर रहठै । महिना दिन लगाके २÷३ घनमिटर गिट्टी फोरठु ओ उहे बेचके दैनिकी जोहो करठु, उहाँ कहली । आम्दानीके श्रोत यिहे ढुंगा हो । मने सरकारसे बन्दाबन्दीके बेला राहतके नाउँमे सोधपुछ बाहेक कुछ नइडेलै ।
खुटिया लडिया छेउमे बसोबास करटी आइल उहाँ छोट झोपरी बाहेक कुछ नइरहल बटैठै । ‘खेती रहुइया रोपाई करलै, मने मोर ठेन घरबास बाहेक कुछ नइहो । बन्दाबन्दीके बेलाफे गिट्टी फोरे आउ । एक दुई चो नेपाल पुलिस पुछलै, यैसिन महामारीके बेलामेफे काहे गिट्टी फोरलो ? मने गाँस खोस्ना डरसे काम जारी रखनु ।’
बन्दाबन्दीमे एक घन मिटरके १२ सय रुप्यामे बेचनु । उहीसे आघेप्रति घनमिटर १८ सयमे बेचल रहे उहाँ कहलै । यी बेला महंगी बह्रल बा मने हम्रे उत्पादन करल गिट्टीके रेट घटल बा । बाध्यताबस कम पैसामेफे बेचे परल बा । सम्झेबेर हमार खैना आहारा लुटल अभास हुइठ पारु कहली ।
उहाँ आबके भदौंसे बृद्धा भत्ता पैटी बाटी । भत्ता पाइलपाछे अटरा ढेर मेहनत करे नपरी की कना खुशी उहाँक अनुहारमे प्रष्टे विल्गाइठ ।
बल्मीबासीहे खुटिया लडियक ढुंगा जिना साहारा बनल बा । घाम पानी जार कुछ नइमानके ओइने खुटिया लडियामे रमैठै । लडियक छेउमे गिट्टी फोरुइयाके मेला रहठ । बुढइलसे बच्चासमके दिनचार्य लडियासंगे विटटी रहल ३५ वर्षीया भावना श्रीमाल बटैठी ।
घामपानी नइकहिके दिनभर खुटियामे गिट्टी फोरके अपन पुरा परिवारके खर्च चलैटी आइल उहाँ बटैली । ‘सकारेक ओजरासंगे डोका ओ हथौडा लेके ढुगां खोजे लडिया जैठु । सकारे ओ साँझा ढुगां बिटोरना काम हुइठ, दुपहरभर फोरना काम ।’ यिहे बेचके नोन तेल चाउर जोहो करठी, उहाँ कहली ।
उहाँक १३ वरसके छाई विमला श्रीमालफे डाइहे गिट्टी फोरनामे सघैठी । स्कुल लागल बेला विमला सकारे ढुंगा बिटोरके पह्रे जैठी । साँझ घरेक काममे सघैना करल बाटी ।
उहाँ कहली ‘कबु कबु गिट्टी फोरटी फोरटी हथौडासे हाठेम चोट लागठ, अंगरीफे थिचोरठ, बहुट बठाइठ । मने का कैना हो गिट्टी फोरना बाहेकके विकल्प फे टे नइहो । हुइना खैनाके छावाछाई बन्दाबन्दीके बेलामेफे अनलाइन कक्षामे सहभागी हुके पढटी रहठै मने हमार दिन यिहे गिट्टी फोरटी बिटठ ।’
उहाँक बाबा भारतमे काम करठै माने बन्दाबन्दीके कारण अब्बे नेपाल आइल बाटै । अब्बे बाबक रोजगारीफे अछिनल बा, यहोर गिट्टी नइबिकके छाक टरना धौ–धौ हुइटी रहल विमला बटैठी ।
उहाँ कहली, ‘बन्दाबन्दी अवधिमे हम्रे पुरे परिवार गिट्टी फोरली, ओ ७ घनमिटर पुगैले बाटी । मने किन्ना मनै नइपाके अनिकाल लागल बा ।’ पहिले १८ सयमे प्रतिघन मिटर बेच्टी अइलेसेफे अब्बे १२ सयमे फे किने नइमानल हुइट ।
पछिल्का कुछ वर्ष यहोर ठाउँ–ठाउँमे क्रेसर सञ्चालन हुइल ओरसे ढेर जे उहेसे खरिद करठै । वर्षौसे करटी आइल गिट्टी फोरना काम संकटमे परे लागल उहाँ बटैठी । छोटसे गिट्टी फोरना काम सिखली मने समय परिस्थिति अनुसार अपनेहुकनके सीप खेरा जैना अवस्थामे पुगलमे चिन्ता व्यक्त करली ।
बल्मी बस्ती स्थानीय सरकारसे पैना सेवा सुविधासे बेखबर बाटै । ओइने हलसम कौनो मेरिक योजना नइपाइल गुनासो करठै । बन्दाबन्दीके बेलामेफे अपनेृहुक्रे राहत समेत नइपाइल बटैलै ।
उहोर गोदावरी नगरपालिकाके उपप्रमुख रत्ना कडायत दैनिक मजदुरी करके खैना परिवारहे नगरपालिकासे थोरचे हुइलेसेफे राहत डेहल बटैठी । नगरपालिकासे कार्यविधि बनाके राहत वितरण करल उहाँक कहाई रहे । उहाँ अतिविपन्न, दलित, एकल महिला, अपांगता रहल व्यक्ति ढेर जोखिममे पर्ना हुइल ओरसे ओइनहे नगरपालिकासे मापदण्डके आधारमे राहत वितरण करल उप–प्रमुख कडायत बटैली ।