‘अग्रासनके पोका संगे कोरोना नजाए’
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ७ भदौ । ‘यी साल अग्रासन डेहे आई नैसकब । भुुलचुक गुना माफ करहो ।’ थारु कल्याणकारिणी सभा (थाकस) कैलालीके उपसभापति माधव थारु आपन डिडी ओ बहिनियाहे फोनमार्फत सन्देश पठैलै ।
कैलालीके गोदवारी नगरपालिका ८ फकलपुर घर रहल उपसभापति थारु अट्वारी अट्वारीक् २ दिन आघे कैलालीके टीकापुरमे परल बहिनिया ओ कञ्चनपुरके मौहुवाफाँटामे परल डिडीसे माफी मग्टी यी बरस अट्वारीक् अग्रासन डेहे आई नैसेक्ना कहटी खबर पुगाइल हुइट । मने गाउँमे रहल विवाहित चेलीहुकन भर अग्रासन डेहे जाई सेक्ना बटैठै ।
भदौ ७ ओ ८ गते पश्चिम नेपालके थारु जातिके अट्वारी टिहुवार परल बा । उ अट्वारी टिहुवारमे थारु समुदाय आपन विवाहित चेलीबेटीहुकनहे खानपानके परिकार बनाके कोशेली स्वरुप अग्रासन डेहे जैना प्रचलन रहटी आइल बा । मने कोरोना कहर ओ जारी निषेधाज्ञाके बीच अट्वारी कसिक मनैनावारे थाकस उपसभापति थारुहे किल नाई्, आमथारु जातिमे यि बेला अन्योलता छाइल बा ।
धनगढीसे कारोबार दैनिकमे कार्यरत पत्रकार मुकेश चौधरी यि सालके अट्वारीमे अग्रासन डेहे जैना कि नाई वा डेहे जाई पैना कि नैपैनामे अन्योल रहल बटैलै । एकओहोर कोरोनाके कहर, डोसरओहोर जिल्लामे जारी निषेधाज्ञासे अन्योलता सिर्जना करल उहाँ बटैठै । ओस्टके, कैलालीके भजनी नगरपालिकाके गन्जहुवा लैहर घर रहल धनगढी उपमहानगरपालिका १ शिवनगरके रविना चौधरी यि बरस लैहरसे आइल अग्रासन खाई मिली कि नाई कहिके चिन्तित हुइल बाटी ।
कोरोना कहरसे थारु जातिके अट्वारी प्रभावित हुइल जस्टे पहाडी समुदायसे मनैना गौरा ओ तीज फेन प्रभावित हुइल बा । नागरिक दैनिकमे कार्यरत पत्रकार पुष्पराज जोशी कहठै–‘तीज, अट्वारी, गौरा घरभिट्रे मनाइक पर्ना अवस्था बा । थारु समुदायके अग्रासन ओ पहाडी समुदायके निस्रा (बाहुनहुकन डेना सामान) डेहे जैना प्रचलन बा, उ डेहे नैपैना हुइल बा निषेधाज्ञासे ।’
यि सालके टरटिहुवार बहुट सुझबुझके साथ मनाइक पर्ना सल्लाह थाकस उपसभापति थारुके बा । उहाँ कहठै्–‘हम्रे विषम परिस्थितिमे बाटी । कोरोना संक्रमण रोकथाम तथा नियन्त्रणके लाग निषेधाज्ञा हो । ओहेकमारे हम्रे आपन चेलीबेटीहुकनके लाग अग्रासन तयार पारेबर आग्रसनके पोका संगे कोरोनाके पोका टे डेटी रहल बाटी कहिके एकचो मनन् करेक पर्र्ना अवस्था बा ।’
अट्वारीके ऐतिहासिकता
धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक महत्व बोकल अट्वारी दाङ, बाँके, बर्दिया, कैलाली ओ कञ्चनपुर जिल्लामे बसोबास कर्र्ना थारु समुदाय मनैटी आइल बाटै ।
अट्वारी टिहुवार थारु समुदायके नितान्त मौलिक टिहुवार हो । अट्वारीमे थारु जाति महाभारतके प्रमुख पात्र पाँच पण्डवमध्येके मझला भैया भीमके श्रद्धापूर्वक पूजाआजा करजाइठ । ‘भेंवा’ के नाउसे थारु समुदाय पूजा कर्ठै ।
थारु बुद्धिजीवीहुकनके अनुसार वनबासके क्रममे भेवा (भीम) घुम्टी जैना क्रमम थारु बसोबास रहल ठाउँमे पुगल किंवदन्ती रहल बा । उ किंवदन्ती अनुसार उ तराई क्षेत्रमे एकठो राक्षस उत्पात मचैना, दुःख डेना, चेलीहुकन उप्पर जबरजस्ती कर्ना कामहे तीव्रता डेहल रहे । उ सक्कु समस्यासे भीम मुक्त करलओरसे उहाँके सम्झनामे अट्वारी टिहुवार मनैना प्रचलन थारु समुदायमे रहटी आइल हो ।
डोसर किंवदन्ती अनुसार एक समयमे द्रोपदीसहित पाँच पाण्डवहुक्रे सुर्खेतके काक्रेबिहार घुमे गैल रहिट । थारू रज्वा दंगीशरण ओ पाँच पाण्डवबीच बहुट घनिष्टता बह्रल रहे । एक समय, भीम रोटी पकैटी रहल बेला राजा दंगीशरणके राज्य उप्पर विरोधीहुक्रे आक्रमण करल । बलवान ओ प्राक्रमी भीम टावामे रोटी डारके सहयोग करे गैल बेला गाउँभरिक् मनै उहाँक् टावामे डारल रोटी उल्टाई नैसेकल नैसेकल रहै । अन्ततः भीम रज्वा दंगीशरणहे सहयोग पश्चात फर्कलपाछे किल टावा मनिक रोटी झिकल कहाइ बा । उ सहयोग करल दिन अट्वार परलओरसे फेन अट्वारी टिहुवार अट्वारके रोज मनैना प्रचलन कायम रहल थारु बुढापाकाहुक्रे बटैठै ।
मनाउने विधि ओ अग्रासन
समान्यतयाः अट्वारी अष्टिम्की मनाइल २ हप्तापछि अइना अट्वारके परठ । अट्वारसे आघेक् शनिच्चरके रात दर खाजाइठ । अट्वारके रोज आधा दिन ब्रत बैठ जाइठ । पहिल विधिवत पूजापाठपाछे फलफूल किल उपभोग करजाइठ । मने दिन बुरलपाछे खानपान नैकरेक परठ । ओकरपाछे, सोम्मारके रोज विहन्नी पूजापाठ अर्थात ‘फरहार’ करजाइठ । बनाइल टमान मेरिक परिकारहे दुई भागमे छुट्टाछुट्टे राखजाइठ । असिके छुट्याइल मध्ये एक भाग चेलीबेटीहुकनहे अग्रासन (कोसेली) स्वरुप डेहक लाग राखजाइठ कलेसे एक भाग ब्रतालुहुक्रे अप्नही खाइक परठ । जेहिही फरहार कहिजाइठ । विधिपूर्वक सोम्मारके रोज विहन्नी पूजापाठ करलपाछे फरहार करजाइठ । पहिल दिन फरहारके लाग अन्डिक रोटी, खुर्मा, बरिया, हलुवा, फलफूलके व्यवस्था करजाइठ । सोम्मारके रोज खरिया, पुुलौरी, आचार, सिद्रा, पोई, टोरैया, लौकालगायत टिनालगायत परिकार बनैना प्रचलन रहल बा । उ परिकार फेन अग्रासनके रुपमे डेहे जैना करजाइठ ।
ओहोर विवाहित चेलीबेटी लैहरसे अइना अग्रासनके पर्खाइमे बैठल रहठै । कहिजाइठ, विवाहित चेलीहुक्रे लैहरसे डाडा भैयहुकनसे डेहे आइल अग्रासनसे आपन भोक मेटैठै । अग्रासन डेहे जैना डाडा भैयान्हे डिडी बहिनियाहुक्रे मानमर्जाटसमे खानपान डेना प्रचलन थारु समुदायमे रहल बा । जौन कारण अट्वारीहे नारी सम्मान ओ भाईचाराके प्रतीकके रुपमे लेजाइठ ।
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