प्रकृतिके कुचीकार गिद्धके संख्या कञ्चनपुरमे प्रतिवर्ष बह्रटी
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २१ भदौं । प्रकृतिके कुचीकारके रूपमे चिन्हजैना अति संकटापन्न अवस्थामे रहल गिद्ध जोगाइक लाग सचेतनाके कार्यक्रम आघे बह्राइलपाछे कञ्चनपुरमे प्रतिवर्ष गिद्धके संख्यामे वृद्धि हुइटी गैल बा । दुई दशकआघे कञ्चनपुरमे ३० से ४० के संख्यामे रहल गिद्धके संख्या बह्रके हाल २०० के हाराहारीमे पुगल बा ।
एक्कासि संख्यामे ढिउर गिरावट आइलपाछे कारणके खोजी करेबर पशुके उपचारमे प्रयोग हुइना डाइक्लोफेनेक औषधिके कारण गिद्ध मरल पत्ता लागलपाछे यी विरुद्ध अभियान सञ्चालन करल हो । अभियानके परिणामस्वरूप डाइक्लोफेनेक औषधिके प्रयोगमे प्रतिबन्धसंगे भारतसे लन्ना कार्यसमेत निरुत्साहित करलपाछे गिद्धके संख्या ढिरेसे बह्रे लागल बा ।
पशुके दुखाइ कम कैना डाइक्लोफेनेक औषधिके प्रयोगमे पूर्णरूपमे प्रतिबन्ध लगाइलपाछे गिद्धके संख्यामे वृद्धि हुइटी जाइ लागल शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्जके प्रमुख संरक्षण अधिकृत लक्ष्मण पौड्याल बटैलै । ‘सन् २०१० मे कञ्चनपुरहे डाइक्लोफेनेकमुक्त घोषणा करलसंगे हरैटी गैल गिद्धके संख्यामे वृद्धि हुइटी गैल पाइल बा,’ उहाँ कहलै, ‘लोप हुइना अवस्थामे पुगल गिद्ध पुराने अवस्थामे पुगल हो ।’
ओहकान अनुसार डाइक्लोफेनेक प्रयोग करल पशुके मृत्युपाछे गिद्ध सिनो खाँदा मुटु, मिर्गाैलालगायतमे असर पुगके गिद्धके मृत्यु हुइना करल रहे । ‘हाल पशुके दुखाई कम कैना डाइक्लोफेनेकके प्रयोग प्रतिबन्धित हुइलपाछे गिद्ध संरक्षणमे टेवा पुगल बा,’ उहाँ कहलै । गिद्धसे ठाँठ् लगैना ओ बैठ्ना रुचैना ढेंग सिमललगायतके रुखुवा काटजैना मासजैना क्रममे समेत कमी आइलपाछे गिद्ध जोगल हुइट ।
बासस्थान सुरक्षासंगे गिद्ध जोगाइक लाग निकुञ्ज आसपासके क्षेत्रमे सचेतना कार्यक्रमहे आघे बह्राइ लागलवाछे यकर प्रभावके कारण गिद्ध बचल उहाँके कहहाइ बा । नेपालमे नौ प्रजातिके गिद्ध पैना करल रलेसे फेन कञ्चनपुरमे भर सात प्रकारके गिद्ध किल पैना करल बाटै । छोट खैयर, डङ्गर, सुनगिद्ध, सेतो, हिमाली, राजगिद्ध, ओ खैरो गिद्धलगायत कञ्चनपुर, कैलालीलगायतके क्षेत्रमे पैना करल बाटै ।
नेपाल पक्षी संरक्षण संघके चराविज्ञ हिरुलाल डगौराके अनुसार छोट खैयर, ड·र गिद्ध अति संकटापन्न अवस्थामे बाटै । सुन गिद्ध ओ उज्जर गिद्ध दुर्लभ गिद्धके सूचीमे रहल बा । हिमाली, राज ओ खैरो गिद्ध संकटके लग्गे रहल बाटै । राज ओ हिमाली गिद्ध भर जार मौसममे किल कञ्चनपुरमे डेख पर्ना करल बाटै । यी दुई गिद्ध आगन्तुक गिद्धके रुपमे रहल बाटै । लम्मा ठुँडे गिद्ध भर यहाँ हालसम डेखा परल नाइ हुइट । हाडफोर प्रजातिके गिद्ध पहाडी क्षेत्र ओ हिमाली क्षेत्रमे डेखा पर्ना करल बा ।
नेपालमे ड·र, छोट खैयर, खैरो, राज, हिमाली, सुन, सेतो, हाडफोर ओ लामोठुडे कैके नौ प्रजातिके गिद्ध पाइल बा । विश्वमे २३ प्रजातिके गिद्ध पैना करल बाटै । गिद्धहे अहिंस्रक मांशहारी चिरैंनके रुपमे लेना करजाइठ् । मरल जीवजन्तुहे किल आहारके रुपमे लेना हुइल ओरसे गिद्धहे प्रकृतिके कुचिकारके रुपमे लेना करल हो । चराविज्ञ डंगौरा कहलै, ‘पर्यावरणीय चक्रहे सन्तुलित राखक लाग गिद्ध मद्दत पुगैना करठै ।’
धार्मिक आस्थाके रुपमे समेत गिद्धहे लेना करजाइठ् । हिन्दूधर्ममे शनिदेवके बाहनके रुपमे गिद्धहे पूजा करटी आइल बा । एक अध्ययनअनुसार गिद्ध औसतमे दैनिक २०० ग्राम जत्रा सिनो खैना करठै । बरसमे गिद्ध एकठो किल अण्डा पर्ना करठै । भालेपोथी मिलके अण्डा घोर्ना, बच्चा बह्रैना कार्य कैना करठै । कात्तिकसे जेठ महिनासम गिद्ध प्रजनन् कैना करठै ।
गिद्ध गणनाके कार्य शुरु
अन्तर्राष्ट्रिय गिद्ध सचेतना दिवसके अवसरमे शनिच्चरसे शुक्लाफाँटा राष्ट्रिय निकुञ्ज ओ लालझाडी संरक्षित क्षेत्रमे गिद्ध गणनाके कार्य शुरु करल बा । गिद्ध गणनाके लाग निकुञ्ज कार्यालयसे ३५ कर्मचारी खटल बाटै । गिद्धके बासस्थान, गुडँ ओ गिद्धके अवस्थासंगे गिद्धके संख्या पत्ता लगाइक लाग गणना कार्य शुरु करल निकुञ्जके प्रमुख संरक्षण अधिकृत पौड्याल बटैलै ।
गिद्ध गणनासंगे सामाजिक सञ्जालमार्फत सचेतना फैलैना चेतनामूलक कार्यक्रमसमेत सञ्चालन करल बाटै । प्रत्येक बरसके सेप्टेम्बर महिनाके पहिल शनिच्चरके गिद्ध सचेतना दिवस मनैटी आइल बा ।
आघेक बरसमे टमान सचेतनामूलक र्याली, क्याम्पस तथा विद्यालयस्तरीय संरक्षण शिक्षामूलक प्रतियोगिताहरु, गिद्ध तस्वीर तथा चित्रकला प्रदर्शनी, सडक नाटक, अन्तक्र्रिया तथा रेडियो कार्यक्रम कैके मनैटी आइलमे कोरोना भाइरसके महामारीके कारण सामाजिक सञ्जालमार्फत सन्देश डेना कार्य हइटी रल बा । सन् २००९ से प्रतिबरस गिद्ध सचेतना दिवस मनैटी आइल बा ।