थारु भासा बहसके भौगर ३
ओंरि डारेबेरः
भडौहा गर्मिमे थारु भासाके बहस जेंउ जेंउ ढिक्टि जाइटा । अम्हिक्के रामसागर चौधरी थारु भासामे ‘पुर्बिया थारु भाषा भाग १’ लेख लिख्ले बटाँ । यि लेख फेसबुकमे डारलमे बुद्धसेन चौधरीके नेपालि भासामे टिप्पनि बा,‘ कुरा त सहि नै हो । तर पुर्विया पछिमहा छुट्टयाउ थाल्यो भने एकै जिल्लामा पनि एकभन्दा बढी छुट्याउनु पर्ने हुन्छ । त्यसकारण मेरो बिचारमा हाललाई थारु भाषा मात्र सम्बोधन गरौ र सकारात्मक सोंच लिएर पूर्वदेखी पश्चिम बृहत छलफल गरी केही निष्कर्ष निकालौ ।’
भासिक् विकासके उपाय
थारु भासाके मानकटाके बहसके ओंरि डारेबेर बाट इहेंसे बिग्रठ । हमे्र अपन भासक् बहस नेपालिमे कर्ठि । कोइ अपन बाट थारु भासामे सामाजिक सन्जालमे डारठ कलेसे नेपालि ओ अंग्रेजि भासम् टिप्पनि कर्ना गर्व कर्ठि । असिके जब हमार भासा लिखिट रुपमे नैबेल्सब टे कहाँसे हुइ हमार भासक् विकास ? सामाजिक सन्जाल बेल्सुइया ठँरियालोग आब अपन मनक् बाट थारु भासम् लिख्ना लहर चलाइ टे हमार भासाके विकास लह्रियाके ठाउँमे रेलके गटिमे डौरे लागि । मने हम्रहिन टे डर बा कि थारु भासम् लिखम टे औरे भासि नैबुझ्हि, लाइक कम आइ । थारु कहिके हेल्हा करहि कहिके सब्से बरा डर बा । इहे डरले हमार भासाके नियोजन हुइटि गइल हम्रहिन पटा नैहो । उहेसे भासाके विकासमे सामाजिक सन्जालके व्यापक सडुपयोग करि । अपने भासामे गाँठ परल बाट लिखि । उ गाँठ खोलक् लग कमेन्ट करुइयन फेन अपने भासामे टिबोलि मर्बि टे हमार बोलिके डस्टाबेजिकरन हुइटि जाइ ।
डोसर बाट थारु भासा, साहिट्यहे बहै्रना पौंह्रैना हो कलेसे इहि विकिपिडियामे हालिसे हालि लैजाइ पर्ना बा । अब्बे युनिकोड टायप कैके थारु सर्च कर्लेसे कौनो जानकारि नै मिलठ । काजेकि हम्रे विकिपिडियामे सामग्रि डर्ले नै हुइ ।
थारु कल्याणकारिणी सभा (थाकस) केन्ड्र, थारु युवा सभाके सहकार्यमे मानक थारु भासा बहसके सुरुवाट कर्ले बा । भासाके सवालमे सुटल थाकस जागे हस कर्ना अपनेमे फोहि लग्टिक बाट हो । मने यकर जुम बहस फेन नेपालिए भासामे बा । मध्य–पुरवैया थारु भासामे व्याकरन (२०७४) लिखुइया भोलाराम चौधरी (मोरङ) के कहाइ बा, ‘जे कोइ थारू भसामे कलम चलछे वोकराका नेपाली भसासे परभावित हेल छे । जकर चल्ते थारूके मौलिक उचारनके अधारमे निखेके परयास नै करिरहल छे ।’ हमार पह्राइ, लिखाइ नेपालि भासामे हुइल, जेहिसे थारु भासाके लेखन नेपालिसे प्रभाविट हुइना स्वाभाविक हो । ओस्टक प्रभाविट होके लिख्टि फेन अइलि । मने पहिचानके बहस उठलबेला आआपन बोल्ना भासाके लिखाइमे फेन पुनसंरचना करे परल कना सोंच बल्ले आइल बा ।
मानक भासाके बहस
थारु मानक भासाके बहसके ओंरवा कहियासे के सिर्जाइल ? यि भारि सवाल नै हो । भारि सवाल हो, थारु भासाके विविढटा का बा ? उ सक्कुहे सम्बोढन कर्टि का हम्रे अक्के डग्रेमें नेंगे सेकब ? उट्टर आइटा जरुर नेंगे सेकब, मने टेम लागि ।
थाकसके थारु मानक भासाके बहस भाग ३ मे डा गोपाल दहित पुच्छ्यावनमे कहलाँ, ‘युनेस्कोके माटृभासाके मापडन्डमे का बा कलेसे जौन भासा जस्हक बोलजाइठ, ओस्हक लिख्ना चाहि । पहुना सब्डके लेखन जसिक आइल बा, ओस्टक लिख्ना चाहि ।’
सोम डेमनडौरा भाइ फेन थारु मानक भासाबारे भर्चुअल बहस चलैटि बटाँ । उहाँ बिच्का डगर कौन ? कहिके सामाजिक सन्जालमे पोस्ट कर्ले बटाँ, ‘एकठो बगाल बा, जस्टहँक बोल्ठि ओस्टहँक लिखि कहुइया । जे त, थ, द, ध निबोल्क ट, ठ, ड, ढ केल बोल्ठि कठ । ड्वासर बगाल बा आगन्तुक शब्द जस्का टस बेल्सी । जे आसकाल सक्कु बर्ण बोल्ठि कठ । ट्यासर बगाल बा, ट, ठ, ड, ढ केल बोल्ल से फे भाषाहँ समृद्ध बनाइक लाग सक्कु बर्ण बेल्सना, आगन्तुक जस्काटस बेल्सना ओ कौनो कौनो तत्भव करुपम आइ सेक्ना, सँग सँग आपन ठेट मौलिक शब्द जस्का टस बेल्सना । यि टिस्रा लाइन मनासिब डेख्परठ् ।’ सोम भाइके बाट मनन कर्ना हो कलेसे महि लागठ, इ सैलि अप्नाके लिख्लेसे एक मेरिक निकास फेन आइ ।
थारु लिखाइमे त, थ, द, ध नै बेल्सलेसे हमार नेपालि भासा कमजोर हुइना टर्क फे आइल बा । कैलालीके साहिट्यकार मोती रत्नके विचार बा, ‘(त, थ, द, ध नै बेल्सलेसे) हमार अइना पुस्टा नेपालीमे कमजोर हु जैही कना बाट महि जायज नै लागठ । काहेकि मै अपनेहे बोलेबेर ट, ठ, ड, ढ बोल्ठु व नेपालीके विद्यार्थी हुइटु व सबसे ढेर अंक नेपालीम् आइल रहे । अपन मौलिकटा छोरके मानक भासा बनाब कलेसे काहे मानक चाहल ?’
जस्हक बोलजाइठ, ओस्हक लिख्ना चाहि कना अभियन्टामढ्ये मै फेन एक हुँ । इ अभियन्टालोग पहुना सब्डहे नै बिगारके लिख्ना टयार बटाँ । मने थारु मौलिक सब्डहे बोलि अनुसार लिख्ना सब्जे स्विकर्ना कि नै ? यडि स्विकर्ना हो कलेसे डा दहितके लिखल थारु सब्डकोस, थारु ब्याकरन, महेश चौधरीके लिखल थारु ब्याकरन सुढारे परल । काजेकि ओम्ने बोलिअनुसार सब्ड बेल्सल नै हो ।
हमे्र दहितके लिखल थारु सब्डकोस, हृदयनारायण चौधरी, महेश चौधरीके लिखल थारु ब्याकरनके सम्मान करक चाहटि । थारुन्के सब्डकोसे नै हो, ब्याकरने नै हो कहुइयन बुजा लगाइल यि । मने चाहे जौन सामग्रि समय अनुसार परिमार्जन हुइक चाहि । दहितके थारु सब्डकोस पहिलक संस्करनले कुछ सुढारल बा, सब्ड फेन ढेर संकलन हुइल बा । उहाँक् थारु ब्याकरनहे फेन सेकटसम मौलिकटा डेना प्रयास कैगैल बा । मने ओम्ने बोलिअनुसार सब्ड बहुट कम बेल्सल बा ।
मानक ब्याकरन ओ सब्डकोस
लिखाइहे लिक पक्रैना कलक ब्याकरन ओ सब्डकोस हो । इहे लिक नै हुइलक कारन थारु लिखाइ नेपालिकरन हो गैल । काजेकि थारु लर्कापर्कन स्कुलिम नेपालि पह्रे, बोले पर्लिन । लिखाइके बेल्साइमे थारु भासा नै रहल कारन जब २०२८ सालमे गोचाली पट्रिका निक्रल, सब्ड बेल्साइमे नेपालिकरन हुइटि निक्रल । ओक्रे सिख्खा पाछे निक्रल बिहान, पहुरा, उक्वार भेट लगायट पट्रिका करल । अइसिनमे आब बल्ले लावा डग्गर, गोरखापत्र थारु पेजमे प्रस्टाविट लिखाइ आइल बा ।
दहितके सब्डकोसमे दाजु सब्डहे नेपालिकरन कैटि दादु लिख्गैल, जबकि यकर थारु उच्चारन डाडु हो । अब्बे आके उहाँ भातहे भात या भाट डुनु बेल्से सेक्ने टर्क डेठाँ । रात, दिन, भात, धान यि थारु नेपालि डुनु भासाके साझा सब्ड हो । साझा सब्डहे थारु बोलि अनुसार राट, डिन, भाट, ढान लिख्ना कि नेपालि अनुसार ? उहेसे पहुना सब्डहे जस्कटस लिख्ना हो कलेसे पहिले पहुना सब्डके लिस्ट टयार पर्ना बहुट जरुरि बा ।
कौनो फेन भासा पहुना सब्ड स्विकारठ । ओस्टक लावा सब्ड फेन बनाइठ । उडाहरनके रुपमे लावा सब्ड निर्मानके सवालमे दहित थारु व्याकरण (२०७०) मे बहुटसे सब्ड लावा जर्मैले बटाँ । जस्टे उद्धरण चिन्हहे कहावट चिढा, उपसर्गहे मुरुट, कर्मवाच्यहे घुमाहुर अख्रा, कोष्ठ चिन्हहे कोठा चिढा, चन्द्रविन्दुहे जोन्हु चिन्हा, तुलनात्मक विशेषणहे जुझैना लच्छिन, दीर्घ स्वर वर्णहे दाहिन एकसुर बोल, स्त्रीलिङहे जलिङ, पुलिङहे मलिङ लगायट । असिन ढेर सब्ड अन्खोहर लागठ । सायड इहे अन्खोहर लागक् डरे महेश चौधरीके लिखल लिरौसी व्याकरण (२०५६) नेपाली व्याकरणके हुबहु उल्ठा बा ।
थारु व्याकरण (२०७०) के भुमिकामे दहित लिख्ले बटाँ, ‘महेश चौधरी ओ हृदयनारायण चौधरी दुनुजान अपन व्याकरणम नेपाली व्याकरणक मूल शब्दावली जस्तक टस्ट उटार्क थारु व्याकरण बनैना प्रयास कर्ल बाट । लकिन मैं ओसिन प्राविधिक शब्दावलीह थारुनक आपन मौलिकता अनुसार बनैना हिम्मत कर्ल बाटु ।’ जस्टे दहित प्राविधिक सब्डावलिहे थारुनके आपन मौलिकटा अनुसार बनैना हिम्मट कर्ला, उहि स्विकर्ना हिम्मट हमे्र सब्ड बेल्सुइयन करक चाहि । हमार प्रयास अपन ठेट सब्डहे बोलाइ अनुसार लिख्ना हिम्मट हुइना चाहि । ओ लावा मौलिक सब्ड फेन सिर्जाइक चाहि ।
अन्टमे,
हम्रे थारु लिखाइमे एकरुपटा लानक लग सक्कु लिखाइ ह्रस्व बनैना प्रस्टाव कर्ले बटि । जौन डगरमे राइ, मेचे, राजवंशी, धिमाल, माझी लगायट भासि फेन बटाँ । कौन ह्रस्व, कौन डिर्घ लिख्ना जिन्गिभरिक झन्झटले अक्के रुप चलैना प्रस्टाव भासाविग्यलोग डेलक हुइट । इहे अनुसार बेल्सेबेर हम्रहिन लिरौसि लग्लक हो । थारु भासामे पानि ह्रस्व लिख्लेसे पियास नै मेटाइ सेकि, यकर कौनो अर्ठ नैहो कनासे फेन लिखाइमे एकरुपटा ओ लावा मौलिक सब्डके परिभासा हमे्र जो कर्ना हो ।
मानक भासाके लग डा दहितके कहाइ बटिन्, ‘थारु मानक भासा सहमटि समिटि बनाइ परल । ओकर अन्टर्गट थारु ब्याकरन, सब्डकोस लिखे परल । मने मानक बन्ना डुइ डसकसे उपर लागे सेकठ ।’ असिनमे डंगौरा थारु लिखाइके अभ्यासमे ५ बरस बिटासेकलमे हमार प्रस्टाविट लिखाइहे प्रटिवाड करुइयन टट्ले खाइ, जरके मुँइ कर्नासे भासाविग्यलोगनसे अपनेन्के फेन गोस्ठि करि । महि लागठ, अपनेनहे चाहेजौन भासाविग्य बोलाइ अन्सार जो लिख्ना सल्लाह डि । जय गुर्बाबा ।