जाँर डारु बनाई डेउ: सर्वोच्च
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १३ कुवाँर । सर्वोच्च अदालतके हालेके एक फैसालासे घरैया जाँर लगैना, डारु बैठैना कामहे वैधता डेले बा ।
अदालतके न्यायधिश हरिकृष्ण कार्की ओ बमबहादुर श्रेष्ठके संयुक्त इजलाससे करल फैसालाके सरजे (पुरा) भागमे उ मेरके फैसाला आइल हो । फैसाला अनुसार बरसके ६ पटकसम टोकल मात्रामे घरैया जाँर ओ डारु उत्पादन कर्नामे रोक नैलगैना कहिके फैसला करगिल बा । अनुमतिविनाके मदिरा उत्पादन रोकक् लाग माग राखके दायर रिट–निवेदनउप्पर सुनुवाइपाछे सर्वोच्च अदालत ‘चाडबाड, रीतिरिवाज ओ संस्कृति’के लाग कहटी मात्रा टोकल हो ।
एक पटकमे ५ लिटर डारु ओ १० लिटर जाँर उत्पादन करे डेना उ फैसालामे उल्लेख बा । मदिरा ऐन ओ नियमावलीमे रहल व्यवस्थाअनुसार सर्वोच्च अदालत ओइसिन मरमादेश डेहल हो ।
‘मदिरा ऐन २०३१ के दफा ७ अनुसार निजी उपयोगके लाग टोकल मात्रामे डारु ओ जाँर जाँड बनाइ पैना व्यवस्था करल बिल्गाइठ,’ २०७६ माघ ५ करल फैसलाके हाले सार्वजनिक सरजे (पूर्णपाठ) फैसालमे कहल बा, ‘मदिरा नियम २०३३ के नियम ७ मे उल्लेख हुइल अनुसार एक पटकमे ५ लिटरसम डारु ओ १० लिटरसम जाँर बनाई डेउ । बरसके ६ पटकसम किल बनाई डेउ ।’
असिन बन्देज हेर्लेसे घरेलु रूपमे उपयोग हुइना गरी अनुमति डेहल बिल्गाइठ । सर्वोच्चके निर्देशनात्मक आदेशमे कहल बा, ‘असिके डारु ओ जाँर बनैना क्रममे ओकर सूचना अन्तःशुल्क अधिकारीहे डेहक पर्र्ना व्यवस्था कार्यान्वयन करो ।’
सर्वोच्च अदालतके व्याख्याअनुसार आब जाँर डारु बनैना मनै बरसभरमे ३० लिटर डारु ओ ६० लिटर जाँर उत्पादन करे पैही । यी मात्रा हेर्लेसे जाँर डारु बनैना इच्छुक मनै दैनिक ८३ मिलिलिटर डारु ओ १ सय ६५ मिलिलिटर जाँर घरेलु सरसामान तथा प्रविधिके प्रयोग करके उत्पादन करके खपत करे पैही ।
कानुन न्याय तथा सामाजिक कल्याण मञ्च नेपालके अध्यक्ष एवं अधिवक्ता जगन्नाथ मिश्र घरैया रूपमे बनैना जाँर डारुसे नागरिकहुकनके स्वास्थ्यमे नकारात्मक असर करल, अपराध बह्रल ओ अखाद्य पदार्थके प्रयोगसे बनाइल जाँर ओ डारु सेवनसे नागरिकहुकनके ज्यान जैटी रहल कहटी ओहिहे कडाइके साथ रोकेक लाग माग राखकके सर्वोच्चमे मुद्दा डारल रहिट ।