थारु साहित्यमे बटकुहि बाचन

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ३ कार्तिक । थारु भासम् कविटा, गिट, गजल, मुक्टक बाचन एक मेरिक परम्परा बन सेकल । मने बटकुहि बाचन कार्यक्रम थारु साहित्यके लग लावा हो । इहे क्रममे जंग्रार साहित्यिक बखेरीके आयोजनामे सनिच्चरके रोज भर्चुअल रुपमे बटकुहि वाचन कार्यक्रम हुइल बा ।
थारु भाषा तथा साहित्य संरक्षण मञ्चके अध्यक्ष छविलाल कोपिला संयोजन करल कार्यक्रममे बटकुहिकार नरेश लाल कुसुम्या ओ शेखर दहित बटकुहि बाचन कर्ला । नरेशके बाचन करल लाल मुरै सिर्सकके बटकुहिमे १० बर्से जनयुड्ढके खिस्सा समोटल रहे । ओस्टक शेखरके बाचन करल रौना बड्डो सिर्सकके बटकुहिमे नट्या ओ बुडु पात्र मार्फट थारु समाजके यठर्ठा झल्काइ रहे । डुनहुनके बाचन सैलिमे मिठास रहे । डुनु बटकुहिकार बटकुहि लगायट अन्य लेखनमे अग्रज लेखक कृष्णराज सर्वहारी झक्झोर्टि रहलमे लेखन आगे बह्रटि रहल जनैलाँ ।
कार्यक्रममे कृष्णराज सर्वहारी २०७४ सालमे निक्रल शेखर दहितके गयर्वा बुडु बटकुहि संग्रहके समिक्छा कर्ले रहिट । उहाँ कहलाँ, ‘स्रस्टालोग समयहे पक्रे सेके परठ । १० बर्से जनयुड्ढमे सब्से ढेर थारु समुडायके मनै मारा गैलाँ । मने यि बिसयमे गुडगर रचना आइ नै सेकठो ।’ डोसर प्रसंगमे सर्वहारी कहलाँ,‘शेखरके गयवरवा बुडु संग्रह भिट्टर रहल छारा, सिरुवा, बटिया, काला, ठण्डा बरफ, डलडल, म्वार भाग, बाबक् चिट्ठि लगायट सबहस सिर्सकके बटकुहिमे एकसे एक मिठास बा । ओहेसे यकर औरे भासम् फेन उल्ठा हुइना चाहि ।’
कार्यक्रम सुनके स्रस्टा सुशील चौधरी कहलाँ,‘महि कार्यक्रम बहुट मन परल । लर्का आब थारु साहित्यमे आख्यान बिढाहे फेन उठैहि कना आस जागल ।’ कार्यक्रमके प्रायोजक अमर शहिद बहुमुखी क्याम्पस, राजापुरm बर्दियाके क्याम्पस प्रमुख अनिलदत्त चौधरी, थारु कल्याणकारिणी सभा दाङके सभापति भुवन चौधरी, जंग्रार साहित्यिक बखेरीके अध्यक्ष सोम डेमनडौरा, स्रस्टा गुरुप्रसाद कुमाल बुलबुल, यम चौधरी लगायटसे डस्यक सुभकामना फेन ले डेगैल रहे ।
