भोजही जोडीनहे समाजमे स्थापित हुइना कर्रा
पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ४ कार्तिक । जुनीभर संगे जिना, संगे मुना बाचासहित आशिका एक बरस आघे बभ्ना/पण्डित्वक आघे मन्दिरमे अग्निहे साक्षी मानके सात फेरा लेटी माठेक सेन्डुर डरली । फेसबुकमे बाटचिट हुइटी गैलबेला सम्बन्ध गहिर हुइलपाछे भोज कैके जलमभर एक दुसरहे साथ डेना कहटी उ जोडी गैल बरसके भदौ १४ गते सट्कमुन्ढा बन्ढलै । आशिका जलमेबेर लउण्डा बन्के जलम लेलेसेफे पहिचानमे एक ठो लउण्डी हुइटी, उहाँक हाउभाउ, पहिरन हेरेबेर सक्कु लउण्डीनमे मिलठ ।
यौनिक तथा लैङिक अल्पसंख्यक समुदाय भिटर पर्ना आशिका कहठी, ‘संसारमे हरेक मनैनके अपन–अपन इच्छा, सपना रहठ । केकरो इच्छा पुरा हुइठ, टे केक्रो अधुरे रहिजाइठ ।’ ‘दुई जानेक मन मिललपाछे हम्रे मन्दिरमे सार्वजनिक रुपमे भोज कैली,’ आशिका कहली, ‘भोज कैके हम्रे जटरा खुशी बाटी, मने समाजके व्यवहारसे हम्रे ओटरे दुःखीफे बाटी ।’ मुहमे राम–राम बगलमे छुरी कना एक ठो गाउँघरमे उखान बा, ओस्टे व्यवहार हमार उप्परफे हुइटी बा, आशिका कहली ।
‘मन्दिरमे हमार भोज हुईबेर लउण्डक भोजी ओ डाईफे आइल रहिट,’ आशिका कहली, ‘गाउँ गैलपाछे घरेम पार्टीफे हुइल, मने दिन विट्टी गैलपाछे समाजमे बाट कटना सुरुफे हुइल ।’ हमार भोजहे पहिले–पहिले दुल्हादुल्हीक घरेक मनै नैस्वीकरलेसेफे अब्बे भर स्वीकार अवस्था बा, मने हमार भोजके सम्बन्ध भर समाज पचाई नैसेकले हो आशिका कहठी ।
उहाँ कहठी, ‘भोज हुइल एक बरससम मजासे विटल, मने समाज भर नैमजा नजरसे हेर्ना, डुनिया भरिक बाट लगैना कारणसे गोसिया गोसिनियबीज कबुकबु खटर पटरसमेट हुइल ।
सुदूरपश्चिम समाज धनगढी कैलालीके अध्यक्ष समेत रहल यौनिक तथा लैङिक अल्पसंख्यक समुदाय भिट्टर पर्ना आशिका सुदूरपश्चिम प्रदेशमे सार्वजनिक रुपमे भोज करुइया दुसरा हुइटी ।
उहीसे आघे मोनिका शाही डडेल्धुराके रमेश नाथ योगीसे सार्वजनिक रुपमे भोज करले रही, उहाँ विवाह दर्ता समेत करले बाटी, मने समाजहे यौनिक तथा लैङिक अल्पसंख्यक समुदायके भोजहे हेरना दृष्टिकोण फरक रहल कारण सम्बन्धमे ठोरिक समय डरार परल । उहाँहुक्रे सम्बन्ध विच्छेदके लाग अदालतके डवारसम पुगेबेर अदालत सम्बन्ध बिच्छेदसे नैमजा असर कटी मिल्के बैठ्ना सम्झौता करैले रहे ।
ओस्टेक विवेकफे सार्वजनिक रुपमे नैहुइलेसेफे मन्दिरमे जाके सुटुक्क भोज करलै । समाज नैस्वीकरल कारण उहाँहुकनके वैवाहिक सम्बन्ध ५÷६ बरस केल टिकल अध्यक्ष आशिका कहली । यौनिक तथा लैङिक अल्पसंख्यक समुदायके भोजहे समाजसे स्वीकारे नैसेकल कारण चुपे–चुपे भोज करके बैठल ओ खुलके बाहेर आइनैसेकल उहाँ बटैठी ।
एलजिबिटीआईहुकनहे हेर्ना दृष्टिकोण विभेदपूर्ण मूल्यमान्यता ओ उहीहे सिर्जित हानीकारक परम्परागत अभ्यासके कारण अपन शरीर, यौनिकता ओ अपन पहिचानके साथ जीवनयापन करे पैना अधिकारसे बन्चित हुइल उहाँ बटैठी ।
यौनिक तथा लैङिक अल्पसंख्यक समुदायके हक अधिकार सुनिश्चित करेक लाग नेपालके संविधान धारा १२ मे नगरिकताके हक, धारा १८ मे समानताके हक ओ धारा ४२ सामाजिक न्यायके हक अधिकार सुनिश्चित करले बा । मने, कार्यान्वयन पक्ष फितलो हुइल कारण एलजिबिटीआई समुदायसे राज्यके टमान निकायमे अभिनफे अपन अधिकार सहजुले पैनासे बन्चित रहल समाजके अध्यक्ष आशिका बटैठी ।
नेपालके संविधान २०७२ के धारा १२ मे वंशीय आधार तथा लैंगिक पहिचान सहितके नागरिकताः यी संविधान बमोजिम वंशजके आधारमे नेपालके नागरिकता प्राप्त कैना व्यक्ति निजके डाई बाबा वा बाबाक नाउँसे लैंगिक पहिचान सहितके नेपालके नागरिकताके प्रमाणपत्र पाई सेक्ना कहल बा । संविधानके धारा १८ मे समानताके हकमे सक्कु नागरिक कानूनके दृष्टिमे समान रहना कहल बा ।
कुहीहे कानूनके समान संरक्षणसे वञ्चित नइकैना उल्लेख बा । सामान्य कानूनके प्रयोगमे उत्पत्ति, धर्म, वर्ण, जात, जाति, लिंग, शारीरिक अवस्था, अपांगता, स्वास्थ्य स्थिति, वैवाहिक स्थिति, गर्भावस्था, आर्थिक अवस्था, भाषा वा क्षेत्र, वैचारिक आस्था वा अस्टे और कौनो आधारमे भेदभाव नइकैना कहल बा ।
उ धारामे राज्यसे नागरिकहुकनके बीच उत्पत्ति, धर्म, वर्ण, जात, जाति, लिंग, आर्थिक अवस्था, भाषा, क्षेत्र, वैचारिक आस्था वा यस्टे और कौनो आधारमे भेदभाव नइकैना कहल बा । मने सामाजिक वा सांस्कृतिक दृष्टिसे पिछरल महिला, दलित, आदिवासी, आदिवासी जनजाति, मधेशी, थारू, मुस्लिम, उत्पीडित वर्ग, पिछडा वर्ग, अल्पसंख्यक, सीमान्तीकृत, किसान, श्रमिक, युवा, बालबालिका, ज्येष्ठ नागरिक, लैंगिक तथा यौनिक अल्पसंख्यक, अपांगता रहल व्यक्ति, गर्भावस्थाके व्यक्ति, अशक्त वा असहाय, पिछरल क्षेत्र ओ आर्थिक रूपसे विपन्न खस आर्य लगायत नागरिकके संरक्षण, सशक्तीकरण वा विकासके लाग कानून बमोजिम विशेष व्यवस्था कैना रोक लगाइल मानल नइहो कहल बा ।
संविधानके धारा ४२ मे सामाजिक न्यायके हकमे सामाजिक रूपसे पाछे परल महिला, दलित, आदिवासी, आदिवासी जनजाति, मधेशी, थारू, अल्पसंख्यक, अपांगता रहल व्यक्ति, सीमान्तीकृत, मुस्लिम, पिछडा वर्ग, लैंगिक तथा यौनिक अल्पसंख्यक, युवा, किसान, श्रमिक, उत्पीडित वा पिछरल क्षेत्रके नागरिक तथा आर्थिकरूपसे विपन्न खस आर्यहे समावेशी सिद्धान्तके आधारमे राज्यके निकायमे सहभागिताके हक रहना उल्लेख बा । संविधान हेरेबेर गर्व लग्ना व्यवहार हेरेबेर दिक्क लग्ना सुदूरपश्चिम समाजके अध्यक्ष आशिका बटैठी ।