बालभोजसे बिग्रटी पह्राई
उन्नती चौधरी
धनगढी, २३ कुँवार । बिहाबन्धनमे बधेबेर उहाँ १५ बरसके केल रहिट । डुल्हा रहिट २० बरसके पुरुष, उ फे छिमेकी गाउँक । मागी नाही भागी भोज हुइल रहे ओइनके । नेपालके सुदूरपश्चिममे रहल कैलाली जिल्लाके एक गाउँ । अपन जन्मलहुर्कल गाउँमे भोगल कथा कहटी रहिट नाना
(परिवर्तित नाम) । ‘भोज कैना एक्को मन नैरहे,’ उहाँ बाट सुरू करली, ‘उ बेला बाध्य हुइलुँ ।’
कक्षा ८ मे पह्रटी रहल बेला नानाहे उ पुरुषले मन पराइल ओ भोज कैना कर करे लागल । ‘सुरुमे बुडुहे फकैना बहुट कोशिस करल, डाईबाबा नैमन्लै,’ बरसदिन आघेक घटना स्मरण करटी नाना कहली, ‘डाईबाबा नैमानलपाछे तोर चरित्रमे खोट डेखा डेम कहिके धम्की डेहे लागल ।’ चरित्रमे खोट डेखैना बाटसे नाना झस्कली, मने कहु उजुरी कैना हिम्मत नैकरली ।
‘लउण्डा तोर औरे जनहनसे लसफस हुई कहिके तनाव डेहे लागल,’ आँखीभर आँश परटी नाना कहली, ‘टै महिसे भोज नैकरलपाछे फेसबुकमे बेइज्जत करडेम कहल ।’ बेईज्जत करडेना धम्कीसे डराइल नाना अन्ततः उहे लवण्डासंग २०७६ कार्तिक २८ गते भागके भोज करली ।
इज्जत जोगैना भागके भोज कैना बाध्य हुइल उहाँ बटैठी । भग्ना आघे अपनेहुकन बीच भोज पाछेफे स्कुल पढ्न सम्झौता हुइल उहाँ सुनैठी । मने, विहापाछे नाना स्कुल जाई नइपैली । उहे कारण उहाँहुकनबीच झगडा सुुरु हुइल ।
नानाके लाग पढाई प्राथमिकतामे रहे । उहाँ पह्रे नैपैलेसे भोज टुरना अडान लेली । नाना रिसाके लैहर अइली । ‘लैहर आइल दुई महिनापाछे उ माफी मागल,’ उहाँ कहली, ‘मने सम्झौतामे पढाई नैपरलपाछे माफ अस्वीकार करनु ।’
‘गोसियक पिटाई, ससुरुवा ससुइयक गारी बेज्जती, समाजके छिःछिः, डुरडुर सक्कु सहे परल,’ टिलपिलाइल आँखीम नानाके पछुतो छताछुल्ल रहे, ‘उहे बेला बेइज्जती करडेना धम्की विरुद्ध प्रहरीमे उजुरी डेहल हुइलेसे आज दिन फरल रहट ।’ आब कौनो हालतमे पढाई नइछोरना उहाँक संकल्प बा । अब्बे उहाँ कक्षा ९ मे पह्रटी बाटी ।
भोज हुइल दुसरा महिनामे रिताहे गोसिक शारीरिक ओ मानसिक यातना डेहे लग्लै । उहाँ भागके लैहर अइली । ‘मने, लैहर पक्षसे फेरसे सम्झा बुझाके गोसियक जिम्मा लगा डेलै,’ उहाँ दुःखके बेलीविस्तार सुनैली ।
लैहर घर बैठके पढाईहे निरन्तरता डेटी रहल नाना अब्बे बन्दाबन्दीके समयहे सदुपयोग करटी सिलाईकटाई सिख्टी रहल बाटी । नानाके गाउमे नाना जस्टे छोट उमेरमे भोज कैना एकदर्जनसे ढेर लउण्डी बाटै । उ मन्से अधिकांस लउण्डी डाई बनसेकलै । नानाके ३ जाने उहाँ जस्टे संघरीया भर विद्यालयमे फेर पह्रे लागल बाटै ।
उहे गाउँक १५ वर्षिया दुसर किशोरी रिता (नाम परिवर्तन)के फे छोटेम भोज हुइल रहे । कमजोर आर्थिक अवस्थाके कारण दुःख करटी पह्रटी रहल रिता सुखसे बैठना ओ खाई पैना प्रलोभनमे परके २०७५ साल अगहनमे गाउँके छिमेकी २२ वर्षिय पुरुषसंग भोज करली । उ बेला रिता १३ बर्षके रहिट । छोट उमेरमे भोज हुइल कारण रिता टमान मेरिक शारीरिक ओ मानसिक यातना भोगे परल । ‘शारीरिक रुपमे सहे नैसेक्ना करके पीडा हुए,’ रिता सुनैली ।
भोज हुइल दुसरा महिनामे रिताहे गोसिक शारीरिक ओ मानसिक यातना डेहे लग्लै । उहाँ भागके लैहर अइली । ‘मने, लैहर पक्षसे फेरसे सम्झा बुझाके गोसियक जिम्मा लगा डेलै,’ उहाँ दुःखके बेलीविस्तार सुनैली ।
‘फागुनके महिनामे गोसियक पिटाईपाछे संघरियाहे भेटे गैलै, रुइटी दुःखके बाट सुनैलै’ उहाँ कहली । उहाँक संघरिया किशोरी समूहके सदस्य रहिट । रिताके समस्याहे उहाँ किशोरी समूहमे रख्ली । समूहमे आवद्ध किशोरीहुक्रे रिताके डाईबाबाहे सम्झाबुझा करलै ।
ओकरपाछे गाउँमे छलफल हुइल । रिताके २० वर्ष पुगलपाछे भोज कैना सर्त दुनहुनहे मन्जुर हुइल । रिता लैहर अइली । ‘मने लउण्डा दुई महिना नबिट्टी दुसर लउण्डीसे भोज करल,’ रिता सुनैली ।
किशोरी समूहके पहलमे रिता लग्गेक विद्यालयमे कक्षा ६ मे भर्ना हुइली । स्कुलमे पह्रे पाइलपाछे उहाँ लौव जिन्दगी पाइल बटैठी ।
यिहीसे आघे उहाँ कबु विद्यालय गैल नइरहिट । संघरीयाहुकनसंग सामान्य क, ख भर सिखल रहिट । अब्बे उहाँक पढाई मजा बा । उहाँ ढेर पढके समाजसेवी बन्न लक्ष्य बोक्ले बाटी । उ गाउँमे बन्दाबन्दीके अवधिमे ३ जाने किशोरीहुक्रे १४÷१५ वर्षके उमेरमे भागके भोज करलै ।
गाउँमे रहल विद्यालयमे गठित किशोरी समूहके अध्यक्षके अनुसार, पछिल्का एक बर्षके अवधिमे विद्यालयमे पह्रना १३ जाने किशोरीहुक्रे १८ वर्ष नइपुग्टी भागके भोज करले बाटै । ‘स्कुल पह्रटी पह्रटी छोट उमेरमे ढेर जे भोज करले बाटै मने उजुरी कोई नइडरठै,’ उहाँ कहली । डाईबाबाहे सम्झा बुझाके छाई फिर्ता नानी कहेबेर उल्टे अपन उप्पर जाई लग्ना करल उहाँ बटैठी ।
सरोकारवालाहुकनके अनुसार, बालविहाके लाष् अभिभावकहुक्रे ढेर हदसम जिम्मेवार बाटै । गाउँ डुल्टी ओ बाट बुझटी जैना हो कलेसे कैलालीमे नाना ओ रिता जस्टे ढेर लउण्डी भेटही । कैलालीके एक गाउँपालिकाके एकजाने किशोरी, जमुना (परिवर्तित नाम) के फे कक्षा ९ मे पह्रना क्रममे विद्यालयमे संगे पह्रना लउण्डासे माया बझलिन । उहाँक डाईबाबा छाईक लस्फसबारे पत्ता पाइलपाछे लउण्डाहे घरेम बोलाके जबरजस्ती भोज कैडेलै ।
‘लउण्डा भोज करे मानल नइरहे,’उहाँ कहली, ‘लउण्डक परिवार २० वर्ष पुगलपाछे भोज कैना सुझाव फे डेलै, मने मोर डाईबाबा नइमन्लै ।’ बाबाडाइ ‘टै विगर गिले, टुहिनहे औरजे भोज नइकरही लउण्डा धनी बा, डेख्टीक सुग्गरफे बा,’ कहटी जबर्जस्ती भोज करडेहल जमुना बटैठी ।
भोजपाछे दुनु जानेक पढाई छुटल । छाईफे जन्मल । तनावे तनावसे गोसिया कुलत ओ अपराधिक गतिविधिमे फसल उहाँ सुनैली ।
‘भोज कैना हतार नइकरल हुइलेसे अब्बे यैसिन चिन्ता करे पर्ना नइरहे,’ नम्मा सास लेटी जमुना कहली, ‘जैसिक हम्रे बालभोज करके दुःख पैली, ओसिक कोई दुःख नपाए ।’
विश्वमे नेपाल बालभोज दर उच्च हुइना देश मन्से परठ । युनिसेफके प्रतिवेदन ‘द स्टेट अफ द वल्र्ड्स चिल्ड्रेन २०१६’ के अनुसार नेपालमे ३७ प्रतिशत लउण्डी १८ वर्ष उमेरसे पहिले ओ १० प्रतिशतसे १५ वर्ष उमेरआघे भोज कैना करल उल्लेख बा । बन्दाबन्दीमे बालभोजके दर आउर बह्रल बर्दगोरिया गाउँपालिकाके उपाध्यक्ष भगवति डंगौरा थारु बटैली । उहाँक अनुसार यी अवधिमे महिनामे १० से १५ ठोसम बालभोजके मुद्दा अइना करल बा ।, मने गाउँपालिकाके क्षेत्राधिकार भिटर परल कारणदर्ता नइकरके ईलाका प्रहरी कार्यालय सुखड पठैना करल बा ।
‘बालबालिकाहुकनके स्वतन्त्र हुके लउण्डा लउण्डी संघरीया बने चाहठै, उहाँहुकनबीच प्रेम सम्बन्धफे रहठ,’ ‘समाज ओ परिवारसे हेर्ना संकुचित दृष्टिकोणसे उमेरके ख्याल नइकरके भोज करडेठै ।’
यहोर, ईलाका प्रहरी कार्यालय सुखडके प्रमुख प्रहरी सहायक उपरीक्षक सागर बोहरा कहलै दुई वर्ष यहोर बालभोजके मुद्दा दर्ता नइहुइल बटैलै । उहाँ सबसे कम बालभोजके मुद्दा दर्ता हुइना बटैटी ढेर जैसिन घटना सम्झा बुझाके करके अभिभावकके जिम्मा लगैना करल बटैलै ।
गाउँमे बालभोज हुइटी अइलेसेफे परिवार ओ समाज गुपचुप रख्टी आइल बाटै । जिल्ला प्रहरी कार्यालय कैलालीमे आर्थिक वर्ष २०७६/०७७ मे एक ठो बालभोजके मुद्दा परल रहे कलेसे २०७७/०७८ के भदौ मसान्त सममे जम्माजम्मी २ ठो केल मुद्दादर्ता हुइल बा ।
बर्दगोरिया गाउँपालिकासे बालभोज न्यूनिकरणके लाग कहटी बाल संरक्षण समिति गठन करले बा । साथे टमान रेडियो कार्यक्रमके साथे संघसंस्थासंगके सहकार्यमे सडक नाटक ओ जनचेतनामूलक कार्यक्रमफे सञ्चालन करटी आइल बा ।
गाउँपालिकाके उपाध्यक्ष डंगौरा थारु अभिभावकके कमिकमजोरीसे बालभोज हुइना करल दावी करली । लउण्डा लउण्डी छोटमे गहिरसंघरीया बनेबेर अभिभावकहुक्रे ओइनहे भोजमे परिणत करडेना करल उहाँक तर्क बा ।
नेपालके कानूनसे भोज कैना व्यक्तिके उमेर २० बरस पुग्गे पर्ना अनिवार्य करले बा । मुलुकी अपराध (संहिता) ऐन, २०७४ के भाग २ के परिच्छेद (११) मे उल्लेखित विवाह सम्बन्धी कसुरमे बीस वर्ष नइपुगल हुइलेसे विवाहस्वतः बदर हुई । यदि कोई २० वर्ष उमेर नइपुगके भोज करलेसे वा करैलेसे ओसिन मनैनहे तीनवर्षसम कैद ओ तीस हजार रुप्यासम जरिवाना हुइना व्यवस्था करल बा ।
कानूनसे भोजके लाग उमेर तोक्टी उ विपरित कार्य करुइया उप्पर दण्ड जरिवानाके व्यवस्था करलेसेफे बालभोज रोके नइसेकल हो । बालबालिकाहुकनहे सामाजिक वातावरणसेफे छोट उमेरमे भोज कैना बाध्य बनैटी रहल महिला अधिकारकर्मी बसन्ती चौधरी बटैठी । ‘बालबालिकाहुकनके स्वतन्त्र हुके लउण्डा लउण्डी संघरीया बने चाहठै, उहाँहुकनबीच प्रेम सम्बन्धफे रहठ,’उहाँ कहली, ‘समाज ओ परिवारसे हेर्ना संकुचित दृष्टिकोणसे उमेरके ख्याल नइकरके भोज करडेठै ।”
बालभोज जघन्य अपराध हो । यकर कारण बालबालिकाहुकनहे सुरक्षित वातावरणमे पह्रना लिख्ना अधिकारसे बञ्चित हुइना केल नाही, ओइनके जीवन समेत बर्बाद हुइठ । टबमारे स्थानीय सरकार बालभोजके विरुद्ध जनचेतना जगैना प्रभावकारी कार्यक्रम गाउँगाउँसम लैजैना आवश्यक विल्गाइठ ।
बालभोज अन्त्यके लाग विद्यालयमे बालविवाह सम्बन्धि अलग पाठ्यक्रम समावेश कैनाके साथे शिक्षक ओ अभिभावकहुकन बीचफे निरन्तर छलफल हुई पर्ना आवश्यकता अधिकारकर्मीहुक्रे औंल्यइठै । सामाजिक कुसंस्कारके रुपमे रहल बालभोजके अन्त्यके लाग कानून केल नाही, सामाजिक चेतनाफे ओटरे महत्वपूर्ण विल्गाइल बा । यम्ने अभिभावक, विद्यालय, स्थानीय निकाय ओ समुदाय चनाख हुइना जरूरी बा । यैसिक करेसे सेक्लेसे नाना, रिता, जमुना ओ उहाँक संघरीया जस्टे और भैया बहिनिया बालापनमे पढाईसे बीट मारके दुःख खेपे नइपरल ।