थारु राष्ट्रिय दैनिक
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‘ कोरोनक् प्रभावः थारु गाउँमे मन्ड्रा बोजे छोरल ’

असौंक डस्या सुनसान

पहुरा | ३ कार्तिक २०७७, सोमबार
असौंक डस्या सुनसान

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ३ कार्तिक ।
थारु समुदाय रिति संस्कृति, नाँचगानमे धनि समुदायके रुपमे चिन्हजाइठै, मनोरन्जनमे रमैना थारु समुदाय अपनही बनाइल गीतबाँस, नाँचगान करके समय अन्सार रमैटी आइल बाटै ।

आघेक बरससम बर्खाक बैठौनी ओरैटीकी थारु गाउँमे बेरीजुन मन्ड्रक आवाज सुनजाए । मन्ड्रक आवाजसे चारुओर चैनारे रहे । सबसे लम्माके नाँच्जैना सखिया नाँचटे झन कृष्णा जलमअष्टमी ओराइल दिनसे सुरुवाट कैके डस्या ओ डेवारीसम नाँचजैटी आइल पुर्खाहुक्रे बटैठै । पोहोर सालसम डस्या डेवारीमे विशेष कैके सखियासंगे झुम्रा ओ मुङग्रहुवा नाँचफे निन्तरता पाइल ।

कैलालीके कैलारी गाउँपालिका–३, उत्तरभर्री गाउँके स्थानीय पहिले जेउँरा ढरलक आघेक दिन या उही दिनसे समरौटी गैटी नाँचके सुभारम्भ (ट्रासन) ठोकिट । यी बरसभर कोरोना भाइरस थारु संस्कृतिमे समेत असर पारल ओरसे अभिनसम ट्रासन ठोके नाइसेकल गाउँक् भलमन्सा छोटेलाल चौधरी बठैलै ।

गाउँक् बर्का गुरुवा ओ केसौका मार्फत कुल डेउथान कालिमाईमे देवीदेवताहुुकनके पूूजा आराधना सहित ट्रासन ठोकलपाछे केल औरेओर सखिया नाँच डेखैना रित रहल उहाँ बटैठै । भलमन्सा चौधरी कहलै– ‘जौन फेन कामके सुुरुवात करेबर निश्चित विधि ओ पद्धति रहठ, थारु समुदायमे सखिया नाँचमे किल नाई, अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम करेबर फेन समरौटी गैना ओ ट्रासन ठोक्न काम चलन बा ।’ कोरोना संक्रमण बह्रटी गैलपाछे यी बरस सखिया नाँच आग्रीम सुरुवाट करे नाइसेक्लेसेफे ढिक्रहुवा, ओ पिटरहुवाके दिन गाउँमे केल नाँच डेखैना सल्लाह हुइटी रहल भल्मन्सा छोटेलाल बटैलै ।

उहाँ कहलै, ‘उत्तरभरीमे सखिया ओ झुम्रा नाँच आजाहुकनके पालाके अभिनसम निरन्तरता पैटी आइल रहे, यी बरस डस्यामे सखिया नाँच डेखाई नइसेक्लेसे झुम्रा नाँचभर गाउँक सल्लाहनुसार डेखैना तयारी हुइटी बा ।’

डस्याके आगमनसंगे कैलारी गाउँपालिकाके उत्तरभर्री गाउँमे किल नाई । पश्चिम नेपालके प्रायः थारु बस्तीमे कृष्णाजलम अष्टमीक विहानसे नाँचके अभ्यास सुरु कैजाए जिहीसे रौनकताफे ठपे, डस्यामे फैरो–फैरो जुझिक जुझा नाँच डेखाजाए, चारु ओर चैनार रहे ।

कैलालीके भादा होम स्टे थारु गाउँमे फेन विगत १० बरससे सखिया, झुम्रा नाँच डैखैटी आइल रहे, मने यी बरस भर कोरोनाके कारण डेखाई नइसेक्गिल होम–स्टे व्यवस्थापन समितिके अध्यक्ष एंव धनगढी उपमहानगरपालिका–१८ के वडा अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण चौधरी जानकारी डेलै । उहाँ कहलै, ‘सखिया डस्याके पूर्व सन्ध्यामे एक महिना आघे रातके समयमे नाँच जाए, जेम्ने पैया लगाई बेर २२ खोट रहल बा, एक महिनासम हुइना नाँचमे गितके माध्यमसे सृष्टिके सृजना करल पाई सेक्जाइठ ।’ ‘ओइसिक टे भादा होम–स्टे गाउँ रहल कारण यहाँ दैनिक अइना पर्यटकहुकनके मनोरञ्जनके लाग हुइलेसे फेन सखिया, झुम्रा नाँच डेखैटी आइल रही,’ उहाँ कहलै, ‘कोरोना भाइरसके कारणसे होम–स्टेफे बन्द हुइल अवस्था बा, मने करिब १० बरससे नँच्टी आइल सखिया, झुम्रा यी साल निरन्तरता नइपाके गाउँ सुनसान बा ।’

गोदावरी नगरपालिका वडा नम्बर १० डमौरा गाउँमेफे विगत १० बरससे डस्यक पूर्व सन्ध्यामे एक महिना आघेसे सखिया नाँच सुरु होए । मने यी बरसभर कोरोना संक्रमणके डरसे अभिनसम सुरु हुई नइसेकल डमौरा गाउँक सल्लाहकार सचिव सुन्दुर चौधरी बटैलै । उहाँ कहलै, ‘हमार संस्कृति, हमार पहिचान हो, अभिनसम निरन्तरता डेटी आइल रही, यी बरस जेहोर टेहोर कोरोनाके सन्त्रास बा, परिस्थितीहे मध्यनजर करटी सखिया नाँच नइकरले हुई, प्रशासन डेखाई पैना आदेश दि कलेसे रिति जोगाइक लाग हुइलेसेफे डस्यामे एक÷दुई रोज डेखैना सोच बा ।

सखिया नाँच केल नाही डस्या डेवारीमे डेखाजैना मुङग्रहुवा नाँचफे यी साल निरन्तरता पाइनइसेकल कैलाली गाउँपालिका वडा नम्बर २ बसौटीके अगुवा मन्डरीया लक्ष्मीनारायण चौधरी बटैलै । उहाँ कहलै, ‘मै जानेजुकुरसे मन्ड्रा बजाई सिख्नु, अभिनसम हमार गाउँमे मुङग्रहुवा नाँचफे हुइटी आइल रहे, मने यी साल कोरोना रोग सिल्गना डरसे नइकरले हुई ।’ आनेसाल मुङग्रहुवा नाँचके लाग जेहोर टेहोरसे माग होए, नाँच डेखाइल बाफत मिलल पैसासे कोषसे बनल उहाँ बटैलै ।

ओइसिक टे, थारु वस्तीमे डस्यासे १ महिना आघेसे रातके समयमे सखिया गीत ओ नाच सिखैना काम करजाइठ । मोरिन्या (गुरुमा) ओ पच्गुनिया (सहायक गुरुमा) मार्फत उ गीतिनृत्यके रुपमे रहल सखिया नाच्न ओ गैना विधि ओ प्रक्रिया सिखैना काम हुुइटी आइल लोकसंस्कृति विद अशोक थारु बटैठै । मने, पछिल्का समय समयके अनुकुुलता ओ प्रतिकुलताहे मध्येनजर करके समय छोट्याइल पाजाइठ । सखिया नाचके रिहल्सलपाछे डसियाके टीकाके दिन विशेष रुपमे नाच्न करजाइठ । लोक संस्कृति विद थारुके अनुसार डस्याके अवधिमे सखिया ओ पैंयाँ नाच विशेष रुपमे नाचजाइठ । नाचेक् लाग युवतीहुकनके समूहमे १ जाने अगुवा (मोरिन्या) रहना ओ मन्ड्रा बजैना युवाहुकनमे फेन १ जाने अगुवा रहठै । यी नाचमे भगवान श्रीकृष्णके जन्मसे मृत्युसमके लीलामे आधारित गीत गाजाइठ । सखिया का हो ? सखिया शब्द ‘सखींआ’ से बनल हो । यकर अर्थ साँघरिया वा संगिनी हो ।

यी शब्द कान्हा (कृष्ण) ओ राधा अथवा राधा ओ उहाँके साँघरियाहुकनके सन्दर्भमे आइल हो । नेपाली लोकवार्ता तथा संस्कृति समाजसे प्रकाशित थारु लोकवार्ता तथा लोकजीवन पुस्तकके अनुसार डस्याके खुसियालीमे साँघरियाहुक्रे आइट कना अर्थमे ‘सखिया’के प्रयोग हुइल हो । सखिया थारु लोकभागवत पुराण हो ।

डस्यामे थारु जातिके महिलाहुक्रे सामूहिक रुपमे गैना काव्य कोटीमे पर्ना संस्कृति विद थारु बटैठै । जेकर सुरुवात समरौटीसे हुुइठ । डानु डाडा डानु री डाडा डानुु डरिउना भली र सखी र डानु री डाडा डरीउना री कहिले टोही मैं सामिरौं सरस्वती मैयाँ सखी र सरस्वती मैयाँ स्यावा री मोरी लेओ । पैंया“मे कृष्ण ओ गोपिनीके रासलीला उ पुस्तकमे उल्लेख खोज अनुसार डस्याके अवधीमे तथा सखिया नाचके बीच–बीचमे पैंयाँ नाच फेन नाचजाइठ । थारु भाषामे पैंयाँहे ‘पैंयाँ लग्ना’ अर्थात पैंयाँके अर्थ पाउ लागी’ वा समर्पित हुइना हो ।

खासमे गोपिनी रुपी बठिनियाहुक्रे (युवतीहुक्रे) ओ कृष्ण रुपी मड¥या एकओसरप्रति समर्पित हुइना सन्दर्भमे आइल बटाजाइठ । उ पुस्तकके लेखक समेत रहल लोक संस्कृति विद थारु कहठै– ‘पैंयाँहे कृष्ण ओ गोपिनीबीचके रासलीला झल्कैना चरणके रुपमे लेजाइठ । यी मुलतः गीतहिन सामूहिक नृत्य हो ।’ एनरी बाहाँस हो काटी कमवा सिटैबु कमवा सिटैबु मै पिन्जला बनैबुँ पिन्जला बनैबु मै सारी सुगा पलबु वचनक बिनल पिन्जला कबु रे जिनी टुट टुटीगिल पिन्जला रे मोर उरिगिल सुगिना पुस्तकके अनुसार प्रस्तुत पैंयाँ गीतमे सारी–सुगा प्रेमपात्रके प्रतीकके रुपमे लेहल हो । पिँजडा प्रेमके प्रतीक हो । गीतमे अंगरी काटके कलम बनैना ओ रगतके मसीसे प्रेमपत्र लेख्न सन्दर्भमे आइल बा ।

पछिल्का समय पैँयाँहे नाचहे आधुनिकीकरण करलपागिल बा । यहिहे आधुनिक सखियाके नामसे फेन चिन्जाइठ । असिके गैना गीत समेत आधुनिक ढंगसे रचना करल थारु संस्कृतिके जानकारहुक्रे बटैठै । ओस्टके पैंयाँ २२ प्रकारके रहलेसे फेन हाल मड¥याहुक्रे अप्नही लौव सिर्जना करके पैंयाके तरिकामे परिर्वतन नानसेक्ले बाटै । यी नाचमे मन्ड्राके खोटमे ओ गीतसंगे नाच्न युवतीहुक्रे गोर संगे पुठ्ठा आकर्षक ढंगसे प्रस्तुत कर्ठै । यी नाच बहुट आकर्षक मानजाइठ । अत्रही किल नाई, सखिया नाच आजकाल सदाबहार नाचके रुपमे फेन स्थापित हुुइल बा । डस्यामे किल नाई सीमित होके बरसभर टमान सभा, समारोह, महोत्सवके प्रमुख आकर्षणके रुपमे प्रस्तुत हुइटी आइल बा ।

थारू बर्का नाच

थारू मुङग्रहुवा नाच

सखिया नाच

थारु लाठी नाच

थारू कठ्घाेरी नाच

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