शान्ति सम्झौताके कार्यान्वयन खै ?

ठिक १४ वर्ष आघे तत्कालीन सात राजनीतिक दल ओ माओवादी विच नौ बुँदे विस्तृत शान्ति सम्झौतामे हस्ताक्षर हुइल रहे । मने अभिनफे टमान बुँदा कार्यान्वयन हुई नइसेकल हो । उ बुँदामे सशस्त्र लडाईँके औपचारिक अन्त्यके घोषणा, माओवादी सेना हतियार ओ ओस्टेक करके नेपाली सेनाके हतियारके संयुक्त राष्ट्रसंघसे प्रमाणीकरण ओ अनुगमन, माओवादीसे कब्जा करल सक्कु सम्पति फिर्ता, मानव अधिकर ओ अन्तर्राष्ट्रिय मानवधिकर सम्बन्धी कानूनके पूर्ण पालना, राजाके सक्कु राजनीतिक अधिकारके अन्त्य, उच्चस्तरीय सत्य निरूपण तथा मेलमिलाप आयोगके गठन, माओवादी सेनाका लडाकुके रेखदेख समायोजन ओ पुनस्र्थापना, युद्धसे पीडित ओ विस्थापित व्यक्तिहुकनके ससम्मान पुनस्र्थापना, हातहतियार, गोलीगठ्ठा ओ विस्फोटक पदार्थ साथमे लेके आवतजावत कैना गैरकानुनी रहना कहल रहे ।
शान्ति सम्झौतामे हस्ताक्षर हुइल १४ वर्षपाछेफे संक्रमणकालीन न्यायके प्रत्याभूति महसुस हुइना मेरके उपलब्धी नइहुइल हो । १० वर्षे द्वन्द्वके क्रममे तत्कालीन राज्य पक्ष ओ माओवादीसे हुइल मानव अधिकार उल्लंघनके छानबिन करके सत्य पत्ता लगैना ओ दोषीहे कारवाही कैना काममे कौनो प्रगति हुइल नइहो । अभिनफे हजारौं द्वन्द्व पीडित सत्य ओ न्यायके प्रतीक्षा करटी रहल बाटै । सम्झौतामे हस्ताक्षर करेबेर ६ महिनाभिटर सत्य निरुपण ओ मेलमिलाप आयोग गठन कैना सहमति हुइल रहे । मने, शान्ति सम्झौतामे हस्ताक्षर हुइल ९ वर्षपाछे केल सन् २०१५ मे अक्के ऐनमार्फत सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोग ओ बेपत्ता पारल व्यक्तिके छानबिन आयोग गठन हुइल । मने कानूनमे ढेर अस्पष्टता ओ ओम्ने रहल कुछ प्रावधानसे अन्तर्राष्ट्रिय मापदण्ड पूरा करे नाइसेक्के दुनु आयोगसे प्रभावकारीरुपमे काम करे नाइसेकल । सरकारसे कानूनमे आवश्यक संशोधन नइकरल, दुनु आयोगहे चाहना आवश्यक कर्मचारी ओ और स्रोत साधनहे समयमे उपलब्ध नइकराइल, आयोगमे कामकारवाहीमे राजनीतिक तहसे हस्तक्षेप हुइल लगायतके कारणसे विगत पाँच वर्षमे दुनु आयोग खासे उल्लेख्य काम करे नाइसेक्ले हो ।
सत्य निरुपण तथा मेलमिलाप आयोगमे ६३ हजार ७१८ उजुरी दर्ता हुइलमे करिब ४ हजार उजुरीके केल प्रारम्भिक अनुसन्धानके काम सम्पन्न हुइल बा, वेपत्ता आयोगमे हालसम ३ हजार २२३ उजुरी दर्ता हुइलमे दुई दर्जन उजुरीके प्रारम्भिक छानबिन हुइटी रहल ओ २ हजार ५०७ उजुरी विस्तृत छानबिनके क्रममे रहल बा । शान्ति सम्झौतासे निर्धारणा करल लक्ष्यमध्ये पाँच वर्ष आघे संविधान सभामार्फत संविधान निर्माण हुसेकल बा । ओस्टेक करके ८ वर्ष पहिले माओवादी लडाकुके समायोजन तथा व्यवस्थापनके कामफे सम्पन्न हुइल मने ‘अयोग्य’ कहिके बर्हिगमनमे परल कुछ लडाकु अपनेहुक्रे अन्याय हुइल ओ राहत नइपाइल बटैटी आइल बाटै । विसं २०६३ अगहन ५ गते तत्कालीन प्रधानमन्त्री गिरिजाप्रसाद कोइराला ओ माओवादी अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल (प्रचण्ड)से हस्ताक्षर करल शान्ति प्रक्रियाके मुख्य कार्यभार रहिट । शान्ति प्रक्रियाके १५ वर्षसमफे यिहीहे कैसिक टुंगोमे लैजैना कना विस्तृत खाका केक्ररोठेन नइहो । संक्रमणकालीन न्यायके विषय टुंगोमे नइपुगटसम शान्ति प्रक्रिया विधिवत रुपमे टुंगल माने नइसेक्जाई ।
