दाङ–देउखरके सफर

कबोजबो कहुँ जाइकटन् रबो टे मनम् खुट्का लागल रहठ । कब दिनपात पुगी टे हाली जैम कैहके सोंच्टी रबो । अस्टे–अस्टे सोंचले होकि का कुछ दिनसे यी जीउक् मजासे निन् नै परिस् ।
फागुन महिन्क समय ना कहे, ना टे ओत्रा जार, ना टे ओत्रा घाम । यात्रा कैना इ बेला बहुट मजा रहठ । जवासक् मारे मजासे बेरी फें नै खागिक । अध्धा रातसम् पठ्रीमे एहोंर ओहोंर करोट लेटी मनम् महा छटपटावन लग्टी रहे । निडाइक लग बल खिंचके आँखी टुमु लेकिन एक्को निन् नै परे । टिहुँपर रातके १२ बजगिल रहे ।
एक घचिक रैहके अइसा आँधीपानी, बर्से लागल कि डेरा घरक् छँप्रा टिन उरैनाहस् करे लागल । भेंम्हरल जीउ पूरा जलक गैल । टिहुँपर पठ्रापानी बर्सलक् ओरसे पूरा घरे उराई–उराई करे । लेकिन भगन्वँक डुवासे एक घचिक रैहिके निंडैलक पटा नै पैलुँ ।
पहिलचो मुर्गी बोल सेक्ले रहिंट । डुसर चो बोल्नम् टमटयार रहल हुइहीं । ठिक्के ओहे बेलम् मोबाइलके अलारम् घण्टी बोलल् । भक्वइले जग्लुँ ओ ट्याम हेर्लुं । ठिक्के पर चार बजल रहे । हडर बडर ब्रुसमे कोल्गेट लगैलुँ ओ चल्लुँ बम्मा ओर मुह ढोई । हाँठमुह ढोइट–ढोइट, टट्टी ओट्टी करट करट सवा चार बज सेकल रहे । अपन झोला झम्पट उठैलुँ, नेंगलुँ बस अड्डा ओर । बस अड्डा पुगट–पुगट सवा पाँच बजलिग रहे । टनिक्के बस छुटजाइटेहे । ठिक आघेक दिन टिकट काट सेक्कल ओरसे बसेम् बैठना सीटभर ठीक–ठीके मिलल् ।
अत्तरिया पुगट पुगट भोलङ्गा बिहान होगैल रहे । बसमे यात्रुलोग नै हुइलक ओरसे बसफें खेचुइहयक् गतिमे नेंगे । दुई घण्टक बाद बस सुख्खर पुगल । वहाँ जन्तीराम डग्रेम् मोर अस्रा लागल रहिंट । ओट्ठेसे दुई जाने हुइली टे टनिक मन चौंकस हुइल । गफेसफे एक घण्टक् रफ्तारमे बस चिसापानी पुगाइल । चिसापानीमे कर्णाली लड्यक मच्छीक पकुवा खैना मन रहे लेकिन बसक डैबरुवा बस नै रुकाइल । बसम् खाइक् लग सन्तोला ओन्तोला लेके खैना विचार फेंन अचकचरे रहैगैल ।
वहाँसेफें दुई घण्टक बाद कोहलपुर बाँके पुग्ली । बिहानके कुछुफें नै खैलक ओरसे भुख मन्के लागे । कोहलपुर बजारसे ठनिक पुरुब, चप्परगौरी कना ठाउँमे खाना खवाइ कैहके सोच्टी रहुँ । मने बसक् डैबरुवा हाली पुगक मारे बसे नै रुकाइल । आब हुइल कर्रा । पेटम टे डुक्री कुडे लग्लाँ टैछोर मैछोर ।
कल्वा जुनसे दिन खसक गैल रहे । दुपहर सार्हे बाह्र बजगिल रहे । बलटलके बस द्यौखरके रातो डाँडा (ललमटिया) पुगाइल । खाना खवाइक लग बस ओहई रुकल । भुँख लागके फे मेटगैल रहे । टबफेंन एक–एक हाप चाउमिन खवैलाँ जन्तीराम । धनगढी कैलालीमे खैलक् बानी काहुन वहाँ ओत्रा मीठ नै लागल । होटलहुवा फेंन कोरह्या यक मीठ नै पकैले रहे । बिस्सैढे बिस्साइन्ढ महके । खाखुके सेक्ली टे दुई हापके साठी रुपियाँ लैलेहल । चालीस रुपियाँ लेना ठाउँमे बीस रुपियाँ जेडा लेही छोरल ।
पाँच मिनेट रैहके बस लमही बजार पुगल । हम्रे फें ओहैं उत्रली । मोर मोबाइल दानापानी ओरागैलक ओरसे जन्तीरामहे कहलुँ– कोपिला कहाँ बटाँ एकचो फोन लगाई ना ? वहाँ फोन कैलाँ टे कोपिला घोराही रहिंट । उहाँ कहलाँ ओहरे लमही बजारे ओर समय बिटाई मै एक घण्टक बाद पुगजिबुँ ।
बश काकरी काकरी सोच्ली सोच्ली चल्ली एकठो होटलमे खाना खाई । ना चिन्हल, ना जानल बश पैठगैली देउखुरी दरबार होटेलमे । वहाँ पुगके सहुवाहे पुछ्ली टे, बैठजाउ भैयौ एक घरी रैहके खाना तयार होजाई । वहाँ फेन आधा घण्टा अस्रा लागके खाना खैली । खाना टे खैली मने बेमतलिबक । सक्कु टिना टावन ओरागैल रहिस् काहुन् । झारन्झुरुन् गोभी आलुसंग भात सट्काई परल । खाना डेखट रेट महँगा लगाइल । बस दुनु जनहनके खाना खैलक बील आइल २२० रुपियाँ ।
मोबाइलके ब्याट्री चार्ज करे गैली महाराजा साईबरमे । वहाँ फेंन बत्ती नै हुइलक ओरसे इन्भोटरमे चार्ज कैके जम्मा एक्के खड्ढी चार्ज हुइल मने २० मिनेटमे ओहो खटम हुगैल । ऊ दिन बरा कर्रा परल रहे दिन कटैना ।
साँझके हुइलटे सर्वहारी डाडु आ पुग्लाँ काठमाडौंसे । बस एकठो डोकानम् झोला झम्पट ढर्ली । तीनुजे गफ कर्टी चलागैली सर्वहारीक् बर्का डाडुक घरे ओर । वहाँ गैली टे डाडु ओ भौजीसे भेट भर नै हुइल । एक घरि रैहके ऊ घरक बाबु महा मीठ चाय पिवैली । चायसँगे आलुक चिप्स फेंन खैली । चायओय पिपाके चल्ली लमही बजारे ओर । गफेसफे कर्टी–कर्टी पुगगैली सूचना केन्द्र ।
सूचना केन्द्रमे कोपिला ओ बुलबुल अस्रा लागके बैठल रहिंट । उहाँ लोग भरखर घोराहीके कार्यक्रमसे आरले रहिंट । साँझ होरले रहे । कोपिला एक घरिक रैह्के एक्ठो होटलमे हलसल्वा मिझ्नी खवाई लैगिलाँ । भरठरके भुट्वा भुजासँग सुख्ठी चाँपगिल । सिहरा मेटावन फेंन ठन्चे घुट्घुटवागिल । मिझ्नी खाइट खाइट अन्धार फेंन होगिल रहे ।
अन्धारकुप लोसेडिङ हुइलक ओरसे झटरपटर उठ्ली फेंन लग्ली सूचना केन्द्र ओर । काल्हिक हुइना कार्यक्रमके बारेम छलफल कैटी रहि कि ठिक्के पर सुर्खेतसे मानबहादुर ‘पन्ना’ ओ नेपालगञ्जके सोम डेमनडौरा आपुग्लाँ । वहाँ लोगनसे फेन रामरमैया हुइल । सक्कु जे ओहै झोलाझम्पट ढर्ली । बेरी जुन फेंन होगिल रहे । बश सक्कु जे सर्वहारी, कोपिला, बुलबुल, पन्ना, सोम, जन्ती औ मै चल्ली बेरी खाइृ रोयल देउखुरीमे । वहा फेंन एक राउण्ड चलागैल । ढुर टे पहिलेहे पुगगैल रहे मने बेरी का खाजाई । संघरियन भर बेरी खैलाँ मने यी जीउ टे नै खाइल । बेरी खाखुके गैली सुट्ना कोठा ओर । दिन भरिक डट्करल जीउ काहुँ एक्के घचिक क्याच्चसे निदागैलुँ । संघरियन का का गफ कैलाँ ओइनेहे जानिट ।
डोसर बिहान अस्टे पाँच बजल रहल हुई । संघरियनके निंद छुटगिल रहिन । सोंखल जीउ उठ्नास मने नैलागे । अभिन अन्धार बा कैहके निंदाइहस् होगिल रहुँ । काने काने किल सुनु गल्गलाइट । जीउ जग्लु टे भोलङ्गा बिहान । झरफराके हेर्लु सबकोई हाँठमुह ढोइ धाराओर गैसेक्ले रहिंट । झोलामसे ब्रुस निकरलु ओ गैलुँ डटिउन करटी चर्पी ओर । सक्कु जे पे्रmस होके गैली चाय पिए होटल ओर ।
बस चायओइ पिपाके सक्कु जे गैली सूचना केन्द्र ओर । पालिक पाला सक्कुजे लहैली । द्यौखरके पानी ना कहे अइसिन जुर । लहाइट लहाइट जुरार लागगैल रहे । लहालुहुके कल्वा खाई गैली जहाँ रात बैठल रही ओहे रोयल देउखुरीमे । छेगरिक् बुट्टीसंगे गजब पेट भराउ खागिल । कल्वा खाइटसम् १० बजे सेकल रहे ।
कल्वा खाखुके अपन अपन डायरी उठैली ओ नम्ली कार्यक्रम हुइना ठाउँ ओर । कार्यक्रम हुइना रहे थारु कल्याणकारिणी सभाके हल । वहाँ जुन डोसर तालिम हुइटेहे । अस्रा लागट लागट १२ बज गैल रहे । लेकिन वहाँ कार्यक्रम नै हुइना हुइल । बश ठौरहे जनता उच्च माविमे गैली । सक्कु सहभागी लोग कोठामे बैठली ।
लावा डग्गरके पँचवा वार्षिक उत्सवके औपचारिक कार्यक्रम बालगोविन्द चौधरी शुरुवात कैलाँ । कार्यक्रममे अपन ठाउँसे विविध विधामे योगदान पुगाइल वापत ३ जाने स्रष्टन फेंन सम्मान हुइलाँ ।
सुर्खेतसे मानबहादुर ‘पन्ना’ दाङ देउखरसे स्वर्गीय वीरबहादुर चौधरी मरणोप्रान्त ओ कैलालीसे यी पंक्तीकारफें परल रहे । अइसिके हेरलेसे सबसे छुटी इहे पंक्तिकार रहे ।
“बहुभाषिक कवि गोष्ठीमे भाग लेहल भैया बाबुनके रचना सुनके केकर मन नै गड्गडाइल हुई ? विशेष कैके छोट छोट बाबुन्के कविता सुनके यी पंक्तिकारहे थप उर्जा मिलल रहिस् । द्यौखर कविताके लाग मल्गर ठाउँ कैहके पटा चलल । मन मने सोंचु कैलाली छोरके द्यौखरे ओर बसाईं सरु जैसिन लागठ । ऊ दिन सम्झठु टे आझुहस लागठ ।”
ऊ दिन कार्यक्रम लगभग ५ बजे ओर ओराइल । कार्यक्रम ओर्वाके सक्कु अपन–अपन गन्तव्य ओर लग्लाँ । हम्रे फेंन घरे घुम्ना विचार रहे । लेकिन समय नै हुइलक ओरसे चिमा गैली । साँझ होगैल रहे । ठोरठोर भुख फेंन लागेहस करटेहे । पन्ना एक ठाउँ मिझ्नी बनाईक पैलही कैहरख्ले रहिंट । बश सर्वहारी डाडु, सोम, पन्ना, जन्ती ओ मै लगाके पाँच जाने चल्ली मझेरिया गाउँ ओर । सोम ओ जन्ती एक भरभड्डामे सर्वहारी डाडु, पन्ना ओ मै एक भरपड्डामे ४५ मिनेटके रफ्टारमे पुग्ली मझेरिया गाउँ बन्जचान घर ।
एक घरिक रैहके ऊ घरक भौजी हाँक परली मिझ्नी खाइक लग । सक्कुजे सरासर भित्रे लग्ली । मुर्गीक बुट्टी, आलुक टिना, घरैया पिना, टठियामे रोटी मन्के चाँप गैल । रोटीक रसिया मनै काहुँ ५ रोटी हबेल्लुँ । बातेचिते बातेचिते ३ प्याग लगागिल ।
मिझ्नी खाखुके बेरी पाकल रहे, नारायणपुर बालगोविन्द चौधरीक घर । मझेरियासे झट्पट उठ्ली ओ सोझरडेली बालगोविन्दक घर ।
वहाँ फेंन हमारे अस्रा लागके बैठल रहिंट । बालगोविन्दक् गोसिन्याँ हाँक परली । भित्तर गैली सतरंग गोंडरी बिछाइल रहे । ठिक्के बैठली कि कोपिला फेंन आ पुग्लाँ । मेरमेरिक परिकार, खागिल डटके सिकार । सर्वहारी डाडुक, सोम ओ पन्नक शेरके बौछार चले । जन्ती टे मुलुर–मुलुर हेरिंट ओ मुस्की मारिंट । ढिंर टे पैलही भरगिल रहे । बेरी का खाजाई । नाउँ भर भर खैली ।
रात होगैल रहे लगभग गेरा बजगिल रहे । लमही बजार ओर अइना गेह टे लगैली मने रातीक मामला हो कैहके जाई नै सेक्ली । बश ओहै सक्कु जे सुट्ली ।
बिहान हुइलक पता नै चलल । हाँठमुह ढोइली । टट्टी–ओट्टी कैली । चायओय पिली । चाय पिपाके वहाँसे बिदा हुइली । बस चल्ली लमही ओर । लमही पुगके कल्वा ओल्वा खैली ।
सोम लग्लाँ नेपालगंज ओर । पन्ना लग्लाँ सुर्खेत ओर सर्वहारी, जन्ती ओ मै लग्ली घोराही ओर । सर्वहारी डाडु घोराही बजार नगर पालिकक् कुछ ठाउँ फेंन घुमैलाँ ।
हमार जैना रहे तुलसीपुर बजारसे डख्खिन पश्छिउ ओर पर्ना पद्दा गाउँ । सर्वहारी डाडुसे घोराहीसे छुट्ली । जन्ती ओ मै लग्ली तुलसीपुर ओर । दाङक बस कैसिन, यात्रा कैना महा हैरान । खुरबुस्नी बस । बस सिन्की हुरेहस हुर्वापाई । बलटुनके तुलसीपुर पुगली ।
जन्तीराम वहाँ पुगके दाह्रीमोछ कटैलाँ । एक घरिक रैहके राजकुमार कान्छा हे फोन करलुँ । लेकिन भेट हुई नै सकेल । बलटलके जेबो टे दाङके संघरियन भेटे फेंन नै अइठाँ । डुनुजाने लखर लखर चलागैली पद्दा गाउँ ओर । वहाँ पुगट पुगट दिन आधा टाँरा किल रैहगिल रहे । ऊ घर जन्ती जीके मामाघर पर्ठीन् ।
मिझ्नी उझ्नी खैली । आराम कैली । एक घरिक रैह्के गाउँ ओर नेंगे गैली । ऊ गाउँमे २५० घरधुरी संख्या रहल पता चलल । दिसापिसाब मुक्त गाउँफेंन हो । घर घर चर्पी फेंन बनैले बटाँ । मिझ्नी खैलक पचल नै लागटेहे । बस ओस्टे सुताही हुइल ।
बिहान उठ्के दिनचर्या कैकुके गाउँक उत्तर ओर एकठो पोखरी बनटा । ऊ घरक बाजे बिहानके ओहरी मन बहलाई लैगैलाँ । घुमट घुमट कल्वा जुन होगैल रहे । कल्वा खाखुरे जन्ती गैलाँ अपन गोटयारिन घर उरही गाउँ ओर घुमघाम करे । ओ मै लग्लुँ अपन मामन् घरे ओर ।
लेकिन मामन् घर जैनासे पैल्हे निकर डेलु घोराही ओर । ढेर दिन होगैल बा कैहके सुनिता चौधरी से भेंट कैलिउँ सोच्लुँ । सुनितासे २०६९ साल अगहन १६ गते हुँकार डेराघर घोराहीमे पहिलबार भेंट हुइल रहे । वहाँ बारीक छाई हुइटी । फोन कहिके भेट हुई कहलुँ लेकिन बहाना बनादेली मै बाहेर बतुँ कैहके । पाछे फेन हुँकार दिदी बिमला हे फेंन फोन कैलुँ ऊ फें सपार नै हो कैहके ठगडेलिन् ।
यी जीउ भेटकरक लाग कैलारीसे दाङ पुगजिबो मने ओठ्ठेहे घोराही बैठ्ना मनै भेटे नै कैलाँ । यी का बात हो ? सुनिता ओ बिमला जानिंट । सोच्ले रहुँ एकठो अपन कृति गजल संग्रह उपहार डेके अइम कैहके मने सोंचलहस कहाँ ? मने मै फें जन्ले बटुँ ।
लस्याङ फस्याङ कर्टी गैलुँ लौव अग्रासनके अफिस ओर । वहाँ सन्तोष दहितसे भेट हुइल । एक गिलास चाय फेंन पिवैलाँ । एकठो मुखपत्र किताब हमार पहुरा फेंन डेलाँ । जेमे दाङके स्रष्टा लोगनके साहित्यिक रचना समेटगैल बा ।
उहाँ एकठो दुःखद पलफेंन सुनैलाँ । लौव अग्रासनहे निरन्तरता डेहक लाग अपन भरभड्डा बेचके पत्रिका छपाई खर्च तिरल सुनके आँखी रसागैल रहे । अभिन एक वर्षके कोठा भाडा तिर्ना बाँकी बा कैसिक कर्ना हो ? बरा कर्रा बा कैह्के कहलाँ ? मै कहलुँ सन्तोष सर धैर्य करी अभिन जिन्गी बहुत लम्मा बा । एक दिन सफलता जरुर हाँठ लागी ।
अस्टे अस्टे गफेसफे साँझ होगैल रहे । वहाँसे उठ्लुँ । बसमे बैठलुँ । सरासर चलदेलुँ । बघौसी गाउँ मामन घर बसेरा लेहे । ऊ रात ओहे बैठगिल । माई, डाडु, भौजी, भाइसे भेट हुइल मने मामासे भर भेट हुइ नै सेकल ।
वहाँ काम विशेषकामले बुटवलसे आई नै सेक्लाँ । बिहानके चायओय पिलुँ । डाडु बिहान्नी लडियम मच्छी मारे चोलजाई कहटेहे । मने मोर घर घुम्ना ढिला हुइटी रहे ।
वहाँसे फें बिदावारी हुइनुँ । चल्लुँ बस पक्रे घरे जैना । जन्तीराम डगरम् अस्रा लागल रहिंट । भेंट हुइली डगरम् बश चलागैली यात्रा करती कैलाली ओर ।
अइसिके दाङ देउखर यात्रा करेबेर मेरमेरिक सुख दुःख, ज्ञान, अनुभव बिटोरगैल । लावा डग्गर देखाइल लावा डग्गर । आब अप्ने संघरियो लोग अप्नने्के फेंन लावा डग्गरमे नेंगे लागे पर्ना बा ।
