हलिया प्रथा सम्बन्धी विधेयक नन्ना तयारी

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ५ पुस । सुदूरपश्चिम प्रदेश सरकारसे हलिया प्रथा (निषेध कैना) सम्बन्धमे व्यवस्था कैना बनल विधेयक नन्ना तयारी करले बा ।
प्रदेशमे दासताके अवशेषके रुपमे रहल हलिया प्रथा निषेध कैना, ऋण मिन्हा कैना ओ आर्थिक, सामाजिक रुपान्तरण करके सामाजिक न्याय तथा मानवअधिकारके प्रत्याभुति करटी जीवनस्तरमे सुधार नानके समाजमे सम्मानपूर्वक पुनःस्थापनाके लाग उ ऐन नाने लागल हो ।
शनिच्चरके रोज सुदूरपश्चिम प्रदेशके कानून सुधार तथा सुझाव समिति ओ राष्ट्रिय मुक्त हलिया समाज महासंघ नेपालके आयोजनामे उ विधेयकसम्बन्धी बनल मस्यौदाउप्पर सुझाव संकलन तथा छलफल करल रहे । छलफल कार्यक्रममे सहभागीहुक्रे हलिया प्रथाहे उन्मुलन कैना प्रभावकारी कानुन निर्माण करे पर्ना सुझाव डेहल रहिट ।
छलफल कार्यक्रममे सहभागि हुइटी प्रदेश संसदीय समिति अन्र्तगत रहल विधायन तथा प्रदेश मामिला समिति सभापति नेपालु चौधरी ऐन निर्माण करेबेर सम्बन्धित व्यक्तिसंग छलफल करे पर्ना सुझाव डेलै । उहाँ कहलै–‘अब्बे शक्तिके पहु“चमे रहल हलियाहुकनके जीवनस्तर मजा हुइल बा । मने पहु“च नइपुगल हलियाहुकनके अवस्था ज्यूके त्यू रहल बा ।’ उहाँ खास हलियाहुकनसंग छलफल करके मस्यौदा बने पर्ना बटैलै । उहाँ कहलै –‘हलिया क्षेत्रमे काम करटी रहल संघ÷संस्था तथा पदाधिकारीहुकनसंग छलफल करके कानुन बनाईबेर कार्यान्वयन प्रभावकारी नइबनी ।’ उहाँ कतिपय कानून बनाईबेर सरोकारवालाहुकनके स्वार्थके आधारमे सुझाव अइना करल बटैलै –‘प्रदेशके एफएम, रेडियो तथा टेलिभिजन सम्बन्धी व्यवस्था कैना बनल ऐन नानेबेर पत्रकारहुकनसे सरकारसे नानल कहलेसेफे उल्टा सुझाव आइल रहिट । जौन सुझाव कानुनमे नइसमेटल ।’
अर्थ विकास तथा प्राकृतिक स्रोत समितिके सभापति हर्क कु“वर कहलै –‘हलियाके केल नइहुके और विभेद हटैनाफे कानून निर्माण करे परी ।’ उहाँ सामाजिक सोच परिवर्तन नइहुके विकृति ओ कुपर्था कायम रहल बटैलै ।
सामाजिक विकास समितिके सभापति कुन्ती जोशी विकृति ओ कुरितिविरुद्ध ‘विभेदकारी विरुद्धके विधेयक’ निर्माण कैना सुझाव डेली । उहाँ कहली –‘प्रदेशमे हलिया, कमैया, छाउपडी, दासपर्था लगायतके कुरिति कायम रहल बा । सक्कु खाले विभेद हटैना हालीसे हाली कानून निर्माण कैना आवश्यक रहल बा ।’ उहाँ प्रदेश सरकारसे ऐन निर्माण करेबेर छलफलके दायरा बढाइल बटैली ।
नेकपा सुदूरपश्चिम प्रदेश संसदीय समितिके सचेतक अक्कलबहादुर रावल छलफलसे आइल सुझावहे समेटके समिति ओ प्रदेश सभामे व्यापक छलफल कैना बटैलै । उहाँ कहलै –‘सदनमे ऐन पारित कैना आघे व्यापक छलफल कैजाई ।’ उहाँ प्रदेशमे कानुन निर्माण करके केल नइहुइना कार्यान्वयनमेफे जोड डेहे पर्ना बटैलै ।
नेपाली का“ग्रेसके प्रदेश सभा सदस्य श्यामबहादुर राना हलिया मस्यौदामे जग्गाधनीसे हलियाहे जग्गा उपलब्ध करैना बाट उल्लेख हुईना उचित नइरहल बटैलै । उहाँ कहलै–‘कौन जग्गाधनीसे अपने जग्गा डेहल लाग हलियाहे प्रमाणित करठ । विगतमे कमैया प्रथा उन्मुलन हुइलेसेफे घरमालिकासे प्रमाणित कराई मानल नइरहिट ।’ उहाँ प्रादेशिक समिति गठन कैना बाट उल्लेख रहलमे राजनीतिक नियूक्त नइरख्नफे सुझाव डेलै । उहाँ कहलै–‘राजनीतिक नियूक्ती धरलेसे वास्तविक हलिया सेवा सुविधा पैनासे वञ्चित हुहही ।’
जनता समाजवादी पार्टीके मालामति राना मस्यौदामे हलियाके ढेर समस्या समाधान कैना करके नइसमेटल बटैली । उहाँ कहली –‘यी मस्यौदा अधुरो ओ अपुरो रहल बा । यिहीहे अभिन व्यापक परिमार्जन करके सरकारसे सदनमे पेश करे परल ।’
प्रदेश सभा सदस्य दुर्गा कामी ऐन नानेबेर स्पष्ट भाषामे व्याख्य हुई पर्ना बटैली । उहाँ कहली, ‘यी मस्यौदामे कतिपय बु“दा बा“झल बा । यिहीसे और पक्षहे ठप बल मिल्न विल्गाइठ ।’
प्रदेश सभा सदस्य पूर्णा जोशी समग्र कुप्रथा हटैना प्रदेश सरकारसे नीति नाने पर्ना सुझाव डेली । उहाँ कहली–‘सरकारसे समग्र कुप्रथा ओ कुरितिहे समेटके नीति नइनानटसम टुक्रे ऐन नाने पर्ना बा“ध्यता रहल बा ।’
नेपाल सरकारके तथ्यांक अन्सार सुदूरपश्चिम प्रदेशमे १६ हजार नौ सय ५३ मुक्त हलिया रहल बटै । उ मन्से १३ हजारके पुनःस्थापना हुसेकल जनाइल बा । हलिया क्षेत्रमे काम करटी रहल सरोकारवालाहुक्रे भर –‘सरकारसे तथ्यांक संकलन करेबेर ढेर हलिया छुटे पुगल रहिट । उहीहेफे समेट्न करके ऐन नन्ना जरुरी रहल बा ।’ हलिया क्षेत्रमे काम करटी आइल मानध्वज कार्की कहलै–‘संघीय सरकारसे विगत दुई वर्षसे छुट हलियाके तथ्यांक संकलन कैना स्थानीय तहहे डेहल बा, ओइने काम नइकरटसम आइल बजेटफे फिर्ता हुइना करल बा ।’
अधिवक्ता राजेन्द्र साउ“द समिति गठन सम्बन्धी मस्यौदामे नइमिलल बटैलै । उहाँ कहलै–‘प्रदेशमे व्यवस्थापन समिति ओ स्थानीय तहमे पुनःस्थापन समिति कहल बा । यी ठिक नइहुई । दुनुमे पुनःस्थापना समिति हुई परठ ।’ उहाँ स्थानीय ओ प्रदेश सरकारबिच समन्वय हुइना करके ऐनसे व्याख्या करे पर्ना सुझाव डेलै ।
धनगढी उपमहानगरपालिकाके कार्यपालिका सदस्य कमला ज्ञावलीसे ऐनमे २०६५ अघिकारहे केल हलिया मानल डेखल बटैली । उहाँ कहली–‘२०६५ पाछेफे हलिया बैठल बटै । उहीहे हलिया कना कि नाई ?’ उहाँ ऐन बा“झल जैसिन डेखल बटैली ।
उहाँ हलियाहुकनहे पुनःस्थापना केल नइहुके जीवनयापन सुधारके गतिविधि नन्नाफे व्याख्या करे पर्ना बटैली । उहाँ कहली–‘हलियाहुकनहे जीवनउपयोगी सिप, शिक्षा, स्वास्थ्य लगायतके सुविधा पैना करके ऐनसे व्याख्या करे परठ ।’
छलफल कार्यक्रममे मुख्य न्यायधिवक्ताके कार्यालयका मुख्य न्यायधिवक्ता कुलानन्द उपाध्याय मस्यौदा प्रस्तुत करले रहिट ।
