थारु राष्ट्रिय दैनिक
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उच्च अदालतके फैसलाः औरे टीकापुर विद्रोहके संकेत

पहुरा | ६ पुष २०७७, सोमबार
उच्च अदालतके फैसलाः औरे टीकापुर विद्रोहके संकेत

‘सिताराम भाइ माघ तिह्वार मनैलक महाध्यार बरस होगिल बा, यी साल दाजुभाइ मिल्के संग यिह कारागार म हुइलसेफे माघ तिह्वार मनाइ परल है ।’

पोहोर सालके माघ आघे रेशम दाजुहे डिल्ली बजार कारागारमे भेटे गिलबेला उहाँसँग हुइल सम्बाद हो यी । संगीत ओ सँस्कृतिहे मनमुटुमे ढरके जिना एक श्रस्टाहे सायद कौनो पुर्खासे रोके छेके नैसेकी । उ आभास उहाँकमे झल्कटी रहे । ऊ जहाँ, जस्टे, जोन अवस्थामे रहलेसे फेन कहुँ कहुसे ओकर आवाज प्रस्फुटन हुइटी रहठ । अपन समाजमे मुक्तिके लाग शासकके जन्जिरमे कैद हुइल एक बहुप्रतिभाके धनी योद्धाके भौतिक शरीरहे शासक कैद करे सेकठ, मने उहाँहुकनके बिचार, सिद्धान्त ओ सपनाहे कबु कैद करे नैसेकठी । उ दिन महिन ओहे महसुस हुइल । दाजुसँग लम्मा भलाकुसारीपाछे माघ १ गते भेट्ना वाचासहित बिदा हुइली ।

माघ १ गते थारुहुकनके सबसे भारी तिह्वार ‘माघ’ हो । ओहे दिन हम्रे देउखरके शिव, नन्दु दाजु लगायत ११÷१२ जाने संघरियन मिलके रेशम दाजुसँग माघ तिह्वार मनाइ बिहान डिल्ली बजार कारागार गिली । दाजु पहिलहे कहले रहिट थारुहुकनके माघ तिह्वार महिन एकदम मनपरठ, महिन फेन सहभागी हुइना इच्छा बा, सहभागी करैहो ना कहिके कृष्णबहादुर महराजी कटिरहलैं, हम्रे दुई जाने माननीय रहब कहिके पहिले जानकारी करासेक्ले रहिट । हम्रे थारु परिकार घोँघी, ढिक्री, सुरिक सिकार कोसेली लेके कारागार पुग्ली । थारुके संस्कारअन्सार उ दिन हम्रे रेशम दाजु ओ कृष्णबहादुर महरा दुनु जहनहे पगरी पहिराके सब संघरियन उहाँ दुईजहनसे ढ्वाग सलाम (आशीर्वाद) लेली । पूर्व सभामुख महरा कम्रेड थारुहुकनके परिकार एकदम स्वादिस्ट मानके खैलैं । माघ महोत्सवके आयोजक रहल ओरसे उ दिन हम्रे एकदम व्यस्त रहि । कारगारसे विदाइ हुइना बेला रेशम दाजु पुछ्लैं, ‘आझुक बर्का पहुना के बा ?’ मै प्रचण्ड हनु ।

‘बहुत मजा कर्लो भाइ, प्रचण्डसे ध्यार और कोनो नेता हमार पीडा निबुझ सेकि । उहिहन दिल खोलके हमार बात सुनै हो । जोन मञ्चम आज तैँ बैठल बात्या उहिसे एक क्वास दूर एक्ठो केल नाइ दुइठो निर्दोष सांसद जेल म ठुनल बाट अभिन, कहियासम थुन्ना विचार बारु प्रचण्डसे जवाफ मन्ग हो भाइ ।’

ओहे बाटचिटसँगै औरे माननीय कृष्णबहादुर महरा फेन अपन धारणा ढरलैं । ‘नेपालके राजनीति बुझे नैसेक्ना बा । आज कैसिन सञ्जोग कहुँ कि विडम्बना सपथ खुवैना ओ खैना दुनु माननीय हम्रे कारगारमे बाटी । अप्नेन्के कार्यक्रममे प्रचण्ड आइटैं, सब बाट बुझके फेन माननीय रेशम चौधरीहुकनहे काहे जेल डरले बाटो ? कबसम थारुहुकनहे दुःख डेना हो छुटाइ नैपरठ ? अत्रा बाटभर प्रचण्डहे कहेपरल अप्ने ।’ उहाँहुकनके बाटहे मनमे लेटी हम्रे टुडिखेलमे हुइटीरहल माघ महोत्सव कार्यक्रमओर लग्गी ।

२०७६ साल माघ १ गते टुडिखेलमे टीकापुर घटनाके विषयहे लेके भारी अवाज उठल । कार्यक्रममे वक्ताहुक्रे एकदम आक्रोशित हुके प्रचण्डहे कहटहिट, १७ हजार जनताके ज्यान लेहुइयन आज सत्तामे बाटैं, ओहे थारुके रगतसे सत्तामे पुगल शासकहुक्रे उहाँहुकनके समुदायहे दमन करटैं, जानाजान टीकापुर राजनीतिक घटनाहे अपराधिक घटना बनाके सोझ थारुहुकनहे आजीवन जेल डरना शकुनी रचटैं । हजारौं हजार मतसे जननिर्वाचित हुसेकल माननीय रेशम चौधरीसँग अत्रा डर काहे ?

अस्पतालभित्तर फेन उहाँहे जन्जिरसे बाँधेपरठ ? वक्ताहुकनके सबालप्रति प्रचण्ड एकदम गम्भीर रहिट ओ आक्रोशित फेन । प्रचण्ड जवाफ डेटी खुलारुपमे स्वीकार करटी ‘जनयुद्धमे १७ हजार टे नाइ, ५ हजार जनताके ज्यान गिल जिम्माभर मै लेहटु । बाँकी ओहे बेलाके राज्यसत्ता लेहेपरल’ कहिके लाखौं जनतासामु स्वीकरलैं । रेशम चौधरीलगायत टीकापुर आन्दोलनमे जेल परेलहुक्रे हली छुटैना वाचा फेन करलैं । विडम्बना आज प्रचण्ड वाचा करल एक वर्ष नैबित्टी उल्टा परिणाम डेखाइल बा ।

पूर्व सभामुख कृष्णबहादुर महरा टे छुट्लैं मने थारुहुक्रे नैछुट्लैं । उल्टे दिपायल उच्च अदालतसे जेलसे छुटसेकल लक्ष्मण थारु लगायत ८ जहनहे जन्मकैदके फैसला करले बा । बाँकी राजबन्दीहे थप सजाय तोकल बा ।

झापा आन्दोलनमे भुटन चौधरीके हत्या करुइया नाइकेहुक्रे आज देशके प्रधानमन्त्री बाटैं, २००७ सालमे हतियार बोकके आन्दोलन करना, बम प्रहार करके हजारौंके ज्यान लेहल कँग्रेसी नेताहुक्रे कैयौंचोट देशके प्रधानमन्त्री हुइलैं, एक दशक लम्मा सशस्त्र माओवादी विद्रोह करके १७ हजार जनताके ज्यान लेहुइयन फेन देशके प्रधानमन्त्री हुइलैं । यी सक्कु अप्ने अगुवाइ करल आन्दोलनहे राजनीतिक परिवर्तन डेखुइया नेताहुक्रे थारु अपन अधिकार, पहिचान ओ अस्तित्व रक्षाके लाग करल टीकापुर आन्दोलनहे काहे जबर्जस्त अपराधि सावित करे खोजटैं ? काल्ह थारुके जमिन छिनके शासकहुक्रे आज थारुके आवाज छिने लागल बाटैं । वर्षौंसे विभेदमे पारल थारुहुक्रे कबसम शासकके विभेद् ठम्ही ? थारुके हरेक पुस्ताहे राजनीतिकरुपमे ओरवैना राज्यके यी दमनकारी योजनाविरुद्ध आबके युवा पुस्ता विद्रोह करे नैसेकी कलेसे फेर १० वर्षपाछे थारुके छावाछाइहुक्रे कमैया कमलरी बन्ना पक्का बा ।

यी कौनो व्यक्तिगत लराइ नाइहो, ना कौनो जाति समुदायविरुद्ध हो । यी लराइ राज्यके विभेदकारी नीति, प्रवृत्ति ओ व्यवहारप्रति हो । अब्बे सासकहुक्रे सब न्यायालयहे अपन कब्जामे लेके सब न्यायिक डगर बन्द करके थारुहुकनउप्पर जौन मेरिक दमन अत्याचार करटी बाटैं, उहिसे कहु ना कहु औरे टीकापुर बिस्फोट हुइना पक्का बा ।

(लेखकः थरुहट थारुवान राष्ट्रिय युवा शक्तिके अध्यक्ष हुइटैं ।)

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