थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १४ बैशाख २६४९, अत्वार ]
[ वि.सं १४ बैशाख २०८२, आईतवार ]
[ 27 Apr 2025, Sunday ]

थारु साहित्यके उपन्यास ओ उपन्यासकार

पहुरा | ११ पुष २०७७, शनिबार
थारु साहित्यके उपन्यास ओ उपन्यासकार

उपन्यासके ओंरि

थारु साहित्यमे आख्यानके ओंरि रामप्रसाद राय थारुके ‘थरुहट के बउवा और बहुरिया’ पोस्टा कैल (सर्वहारी, २३ः २०७०) । मने रामप्रसाद रायके थरुहट के बउवा और बहुरिया (२०१९) हे महेश चौधरी गीति नाटक कहले बटाँ । डा.गणेश खरालके अन्सार फेन वर्नन सैलिमे ढेर आख्यानात्मकता मिल्ना इ पोस्टा हे गीति नाटकके रुपमे लेहे ओ बेल्से सेक जाइठ (खराल, २०५८ः ३८) । मुले भोजपुरी भासि इहिहे भोजपुरी भासाके पहिला उपन्यासके रुपमे चिन्हैटि आइल बटा । नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानसे इ पोस्टाके नेपाली भासामे भउचप्रसाद यादव उल्ठा कर्ले बटाँ । पोस्टाके उल्ठाके भुमिकामे इहि भोजपुरी भासाके विश्वके पहिला उपन्यास डाबि कैगैल बा । बाराके रामप्रसाद राय लिख्लक इ पोस्टाके बारेमे बाराके जो स्रस्टा हृदयनारायण चौधरी इ पोस्टा बारा जिल्लामे बोलजैना थारु भासामे लिखगैल बटइठाँ । ओसिन टे तेजनारायण पञ्जियारके बुद्धके जिवनी (२०४९) पोस्टाहे फेन सियाराम चौधरी उपन्यासओर केन्ड्रिट पोस्टा बटैले बटाँ ।

थारु सामान्य ज्ञान अनुसार (२०७३) थारु भासाके पहिल उपन्यास कृष्णराज सर्वहारीके २०५५ सालमे लिख्लक फुटल करम मान्जाइठ् । २०१९ सालमे रामप्रसाद रायक लिख्लक ‘थरूहट के बउआ और बहुरिया’ पोस्टाहे भोजपुरीभासि लोग दावी करेहस् भोजपुरी उपन्यास मन्ना हो कलेसे फुटल करम थारु भासाके पहिल उपन्यास ठहरे सेकठ् ।

असिक फुटल करमहे आधार मन्ना हो कलेसे फेन थारु साहित्यमे उपन्यास लेखनके पैला २२ बरसके युवावस्ठामे गोर टेक्ले बा । इ २२ बरसमे जम्मा १५ ठो थारु उपन्यास प्रकासन हुइल बिल्गठ । अनुसन्धानके क्रममे कुछ सुचि छुटे फेन सेकठ । असिक सरडर डेढ बरसमे एक थारु उपन्यास अइटि रहल अवस्ठा बा । इ आलेखमे थरूहट के बउआ और बहुरिया’ पोस्टा के सामान्य चिनारि ओ आउर थारु उपन्यासके सामान्य चर्चा कैगैल बा ।

आउर उपन्यास

छविलाल कोपिला, मनिराम चौधरी, श्रीराम चौधरी, अमरिका थारु, भोजराज चौधरी, प्रेमलाल दहित, आदर्श वान्धव, हरि आसमा महतो, राजकुमार कठरिया, संजिप चौधरी, लाहुराम चौधरी जहर, गणेश चौधरी सवरिया हस लावा उपन्यासकार जल्मल बटाँ । यहाँ २०७४ सालसम प्रकासिट थारु उपन्यासके सूची डे गैल बा । टेबल १ हेरेबेर कैलाली ओ दाङदेउखुरके स्रष्टन उपन्यास लेखनमे आगे बिल्गैठाँ ।

फुटल करम बाहेक सर्वहारीके ‘गन्तब्य’ (२०५९) उपन्यास थारु समुडाय अन्टर्गट मुक्त कमैयाके बिसयबस्टुमे आढारिट उपन्यास हो । मने इ नेपाली भासामे बा । नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालयके पाठ्यक्रमके लग उ थारु भासक ‘लाल केरनि’ उपन्यास २०६३ सालमे बुझैले रहिट । इ २०६४/२०६५ मे कैलालीके हमार पहुरा दैनिकमे धारावाहिक रुपमे छाप गैल । पोस्टाके रुपमे भर २०७४ सालमे प्रकासिट हुइल । असिक नेपाली ओ थारु उपन्यासके पोस्टा गन्ना हो कलेसे संख्याके दृष्टिसे सर्वहारी आगे बटाँ ।

मनिराम चौधरीके बिधवा (२०५७) थारु भासाके डुस्रा उपन्यास हो । ओस्टक छविलाल कोपिलाके मुक्तिक खोज (२०५९) थारु भासाके टिस्रा उपन्यास हो । लम्मा खिस्सहस लग्ना २०/२२ पृस्ठके इ उपन्यासमे उपन्यासकारलोग डेहे खोज्लक ढेर चाज छुटल बा । उपन्यासमे पैना तत्व फेन कम बा । कोपिलाके चुरिनियाँ (२०६९) उपन्यास नेपाली भासामे फेन छपल बा । हुँकार भयाँवन रात (२०६६) उपन्यास पोस्टाके रुपमे नै हुके लौव अग्रासन साप्ताहिकमे धारावाहिक रुपमे छपल बा ।

ओसिन टे २०६२ सालमे थारु भासक उपन्यास हरि आसमा महतोके ‘आत्मा भितरक गाथा भेलई जिन्गीक काथा’ ओ आदर्श बान्धबके ‘चमेलिया’ (२०६२) प्रकासिट बा । महतो आपन लघु उपन्यासमे गजल ओ खेल संग्रह समेट समावेस कैके पोस्टाहे खिचरि बनैले बटाँ । कैलालीक भोजराज चौधरी तिरिया जलम (२०६३) उपन्यास प्रकासन कैले बटाँ । यम्हें पात्रलोगनके मार्फत् थारु समुदायके सक्कु टिउहारके बारेमे चर्चा कैना प्रयास कैल बा । कैलालीक शर्मिला चौधरी ‘सृष्टि’ ‘दुःखके हल्कोरा’ (२०६४) लिखके पहिल थारु नारी उपन्यासकारके रूपमे नाउँ दर्ता कैले बटि । दुःखके हल्कोरा’मे नारी वेदनाके पोक्रि बा ।

ओस्टक कैलालीके उपन्यासकार राजकुमार कठरियाके निराशी जीवन (२०६४), संजिप चौधरीके जलमके दुखियारी (२०६५), लाहुराम चौधरी (जहर)के भुलाइल डगर (२०६५), गणेश चौधरी सवरियाके जित्तल पटुहिया (२०७०), दाङदेउखरके उपन्यासकार श्रीराम चौधरीके झप्टल परेउना (२०६४) अन्य प्रकासिट उपन्यास हो ।

लीलबहादुर क्षेत्रीक् नेपाली भासामे लिखल बसाइँ उपन्यासहे कृष्णराज सर्वहारी छारा सिर्सकमे थारु भासामे अनुवाद कैके उपन्यास बिधाहे फराक कैना कामके गोंरि डर्ले बटाँ । इ उपन्यासके उल्ठा २०७६ सालमे नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानके अनुवाद विभागसे स्विकृट हुइल बा ।

हाल गजल, मुक्तकमे लग्ढारे कलम चलैटि रहल स्रस्टा गणेश वर्तमान थारु भासाके उपन्यासके पान्डुलिपि टयार रहल जनैले बटाँ । शेखर दहित, नरेश लाल कुसुम्या, सोम डेमनडौरा लगायट खिस्सा लिख्टि रहल स्रस्टालोग उपन्यासमे पौलि डारे पर्ना बिल्गाइठ ।

निम्जौनि

कविता, गजल, मुक्तकके फँट्वामे थारु साहित्य रफ्टार ले सेक्ले बा । मने उपन्यासके संख्या सोचलहस बह्रे नै सेकल हो । ओहेसे थारुन्के असलि खिस्सा उजागार हुइ नै सेकठो । स्रस्टालोगन आपन समाजके बल्गर, भटकल बाटके बृहत बयान कर्ना उपन्यास बिधा सहि माध्यम हो । सायड यकर समालोचकिय व्याख्या, विस्लेसनके कमिके कारन फेन उपन्यासकारलोग संख्या बह्रैनम चिल्वास नै डेहठुइट ।

थारु साहित्यके आख्यान अन्टर्गट उपन्यास किल नाहि खिस्सा बिधामे फेन समय अनुसारके चिन्तनके अभाव डेख परठ् । कमैया मुक्तिके घोसना हुइलक डुइ डसक पार हु सेकल । मने आख्यानमे कमैया पात्र जिमडारसे दुःख पैलक निरिह पात्रके रुपमे रहल पुरान प्रसंग मिलठ् । आख्यानमे क्रान्तिकारी कमैया, कमलहरी पात्रके अभाव बा ।

१० बरसके जनयुद्धमे हजारौ थारु बलिदानी डेलेसे फेन उ बिसय केन्द्रित आख्यानके पुरापुर अभाव बा । साहित्यकार सुशील चौधरीके प्रश्न बटिन्– थारु स्रस्टन आब युगके माग अनुसार कलम चलैना सुरु करे पर्ना कि नै ? निर्नायक तहमे थारुन्के पहुँच नै हुके ओइनके विकासके काम हुइ नै सेक्लक अवस्थाहे आत्मसात कर्टि निगाहवादके विरोधमे आपन शव्द का करे नै बेल्सना ? सम्मानपूर्ण जिन्गिक लग, मानव अधिकारके लग का करे साहित्यिक आन्दोलन नै उठैना ? (चौधरी, २०६२ः ४) ।

बर्दियाके अख्वारी द्वैमासिक मार्फत् पहिल फेरा थारु साहित्यमे सल्वार्टन चिन्तन बिसयक् अन्तक्र्रिया कार्यक्रम गुलरियामे २०७२ कात्तिक २९ मे हुइल रहे । टब्बे चर्चा उठल कि थारु साहित्यमे सल्वार्टन पात्रलोग ढेर बटाँ । मने ओइने विद्रोही हुइ नै सेकठुइट् । जब कि यथार्थ का हो कलेसे माओवादीक १० बर्षे युद्धमे हताहत हुउइया सबसे ज्यादा थारु समुदायके रहिंट ।

थारु साहित्यके स्रोत नेपालभर किल हो । भारतमे लाखौंके संख्यामे थारुनके वसोवास रहलेसे फेन उहाँ थारु भासा नै बोल्ठाँ । सबसे ज्यादा बस्ती रहल भारतके चम्पारनके थारु भोजपुरी भासा बोल्ठाँ । थारु साहित्यमे डायस्पोरा साहित्य बिल्गैना फोहिक बाट हो । कामके सिलसिलामे बहुट देशमे बसोबास कैना थारु ओहाँसे गजल, मुक्तक लगायत साहित्य सिर्जना कैटि बटाँ । मुले आख्यानमे कलम चलैलक नै बिल्गैठाँ । अमेरिकामे स्ठापना हुइल थारु एराउण्ड वल्र्ड २०६८ फागुनमे नेपालगञ्जमे ३ दिने थारु अन्तर्राष्ट्रिय सम्मेलन कैले रहे । मने इ थारु साहित्यिक दस्तावेज निर्मान बारे कौनो आवाज नै उठाइल ।

डब्लडब्लुडब्लु डट थारुवान डट कम, पहुरा डटकम, हमार पहुरा डट कम, हिरगर साहित्यिक डटकम हस अनलाइनमे थारु रचना कुछ हदसम ठाउँ पैले बा । मने इ पर्याप्त नैहो । आश्विनी कोइरालाके सम्पादनमे अइटि रहल साहित्यपोस्ट डटकममे उपन्यास धाराबाहिक रुपमे अपलोड हुइटि बा । ओस्हक थारु साहित्यकारलोगनके साझा प्रयासमे थारु साहित्यिक अनलाइनके खाँचो बा, जेम्ने उपन्यास धाराबाहिक रुपमे लग्ढारे छापे सेक्जाए ।

थारु साहित्यके सिर्जनामे सामुहिक प्रयासके अभाव बा । २०७३ बैशाख ३ ओ ४ गते दाङमे थारु साहित्यिक सम्मेलन सुरु होके चार सिरिंखला पार कर सेकल । २०७६ मे विराटनगरमे हुइना पाँचवा कार्यक्रम कोरोनाके कारन हुइ नैसेकल । २०७७ सालमे फेन हुइना सम्भावना कम बा । ओहेसे भर्चुअल माध्यमसे फेन उपन्यास लगायत आख्यानके बारेम बहस जरुरि बिल्गठ । संघीय राजधानी काठमाडौंमे थारु साहित्य केन्द्रित कार्यक्रम लग्ढारे हुइलेसे फेन स्रस्टालोगनके बृद्धि हुइ नै सेकल हो । निडाइल मनैन्हे जगाइ सेक्जाइठ, मने निडाइल भेख ढारल मनैन जगैना कर्रा बा । खिस्साके बखारि उपन्यास हस बिधा निडाइल मनैन्हे जगैना एकठो बल्गर माध्यम हो ।

चाहे जौन बिधामे लागल स्रस्टन प्रोत्साहन पुरस्कारके अभाव बा । अभिन सम फलाना उपन्यासकारहे फलाना उपन्यासके लग पुरस्कार डेगैल कना कौनो समाचार सुने मिलल् नैहो । अट्रा हुइटि हुइटि फेन थारु युवा स्रस्टनके चाहना साहित्यमे मुखरित हुइ भिरल बा । प्राथमिक स्कुल तहमे थारु मातृभासामे पठनपाठनके अभियानहे बल्गर ढंगले लैजाइ सेक्लेसे किल थारु लगायत आउर भासाके उचाइ सगरमाथाके उचाइ बह्रेहस बह्रे सेकि । ओकर लग लर्कापर्कन केन्द्रित बालउपन्यास फेन जरुरि बिल्गठ । थारु गजलमे समुन्डरके छाल उठेहसं आख्यानके खोल्ह्वासम बहना जरुरि बा । जय गुर्वावा ।

chaligochali@gmail.com

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