थारू भाषासेवी तथा शिक्षाप्रेमी सगुनलाल

गोचाली पत्रिकाके एक अभियन्ता सगुनलाल चौधरी २०५८ साल पुस १२ गतेक् दिनसे वेपत्ता बाटैं । मने, उहाँक कौनो खोजखबर नैहो । दाङ जिल्ला सौडियार–९, बेलहरी गाँउमे बाबा आशाराम थारू ओ डाइ गुइती थारूके मैगर कोखमे छुट्की छावक् रुपमे सगुनलाल चौधरीके जन्म विसं. २००९ सालमे हुइल रहे । उहाँ असल समाज सुधारक, शिक्षापे्रमी, प्रगतिशील विचारधाराके अत्यन्त लोकप्रिय समाजसेवी तथा थारूहुकनके सबसे पुरान गोचाली पत्रिकाके सम्पादक ओ संस्थापक रहिट ।
सगुनलाल चौधरीके जीवन कथित उच्च जातीय राज्यके शोषण, दमन, विभेद, उत्पीडन, अन्याय ओ अत्याचारके भुमरीमे अल्झल समाजमे बिटल । थारू भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति लगायत समस्त थारू समुदायके विकास उत्थानके निम्ति समाजहे शोषक सामन्तीके पञ्जासे मुक्त करैना एकडम चिन्तित रहल सगुनलाल चौधरी थारू समुदायके मुक्ति ओ स्व–अस्तित्वके लराइ लरेक लाग अपन सहयात्रीहुकनके साथ २०२८ सालमे थारु भाषाके गोचाली नामक पहिल पत्रिका प्रकाशन करके कमैया प्रथा ओ मोहियानी हकके समस्या विषयमे जोरदार आवाज उठैटी कमैयाहुकनउप्पर करल शोषण दमनके पर्दाफास करलैं । हरदम गरिब जनताहुकनके पक्ष लेके वास्तविक वकालत करना क्रममे दाङके तत्कालीन सिडिओ गाउँमे आके किसानहुकनउप्पर कुटपिट करले रहिट । जेकर फलस्वरुप आन्दोलनके रुप और बह्रल । गाउँ स्तरके शोषित, पीडित, बुद्धिजीवी, वकिलहुक्रे उहाँके पक्षमे समर्थन करलैं कलेसे अऔरे ओर जाली, फटहा, भ्रष्ट, प्रशासकहुक्रे नकारात्मक दृष्टिसे हेरे लग्लैं । मने गोचाली पत्रिका बाधा अडचनके बाबजुद फेन निरन्तर पाईला चलैटी गिल । सामन्ती राज्य सत्तासे गोचाली पत्रिका जफत करगिल । उहाँहे राजद्रोहीके आरोपमे धनगढी जेलमे एक वर्षके कारावासमे बैठे परल रहे । एकजाने उहाँक सहयात्रीहे सर्वोच्च अदालतसे ५ रुप्या जरीवाना करके छोरले रहे ।
सगुनलाल चौधरीके प्रारम्भिक शिक्षा दाङके सौडियार माविमे हुइल रहे । उहाँक तीक्ष्ण बुद्धि हुइल ओरसे अप–गे्रडिङ करके कक्षा १ से ३, ३ से ६, ६ से ८ अपग्रेड हुइटी नियमित रुपमे एसएलसी २०२५ सालमे उत्तीर्ण करलैं । ओहे विद्यालयमे उहाँ अध्यापन करैलैं । ओहोर क्याम्पसमे भर्ना हुके अध्ययन फेन करिट । विद्यार्थीहुकनके नेतृत्व करटी अनरास्ववियूके जिल्ला अध्यक्ष समेत बन्लैं । ओहेबेला उहाँ वारेन्टेड हुके अध्ययन कार्यमे बाधा परल । आईए प्रथम वर्ष उर्तिण हुके दोसर वर्ष छोरे परल । ओहे क्रममे उहाँक परिवार बसाइसराई करके बर्दियाके धधवार–८ काला बेलभार फाँटामे बस्ती सारल । सरकार उ बस्तीमे आगी लगाके कुटपिट करे लागल । फेन बस्ती बैठल, मने सरकार सेना प्रहरी लगाके हटाइल । उहाँक दादु एक वर्ष जेल परलैं । उहाँके परिवार धधवार–९, सेमरहवामे आके ऐलानी जग्गामे बैठल ।

गोचाली पत्रिका प्रकाशन करल आरोपमे उहाँ जब धनगढी जेलसे छुटके अइलैं । उपाछे फेन उहाँ पह्रैना काममे लग्नैं । बैदा गाउँके भारी सेमरक किनारमे छोट झोप्री बनाके स्कुल सञ्चालन करगिल । उ बेला नेपाल राष्ट्रिय जनसेवा प्राइमरी स्कुलके स्थापना करलैं । उहाँ वरपरके गाउँक विद्यार्थीहुक्रे अध्ययन करे आइट । २०३३ सालमे उहाँ सिउनियाँ स्कुलके प्रअ बन्लैं । ओहे वर्ष उहाँ बनारससे इन्टरमिडियट परीक्षा पास करलैं । उहाँहे निमावि पाताभार बर्दियाके प्रअमे पठागिल । उपाछे सरुवा हुके जनसेवा उमावि बैदि ओ अँशुवर्मा उमावि मगरागाडीमे अध्यापन करैलैं । जनसेवा निमाविहे मावि बनैना प्रमुख भुमिका उहाँके रहे ।
पेशागत हकहितके निम्ती शिक्षक संगठनके प्रादुर्भाव हुइल । ओमे फेन उहाँ संस्थापक सदस्य बन्लैं । अस्टेक रेडक्रस बर्दियाके आजीवन सदस्य बन्दैं । निडर स्वभावके सगुनलाल चौधरी शिक्षक आन्दोलन २०४२ सालमे राजद्रोहीके आरोपमे फेन जेल परलैं । निरंकुश पञ्चायति व्यवस्थाके विरुद्धमे उहाँ डटके लागिट । उहाँहे सरकार विशेष निगरानीके साथ हेरे ।
उहाँक् परिवार गोसिनिया, चार छावा ओ एक छाइसमेतहे कष्टप्रद जीवन जिए परल । उचित लालनपालन स्वास्थ्य शिक्षामे समेत असर परे । प्रायःजैसिन रातके प्रहरीसे उहाँक घर घेरल रहे । जिहिनसे उहाँक परिवारहे मानसिक तनाव होए । कबुकाल टे घरे चुल्हामे आगी समेत नैबरे । सगुनलाल चौधरी एक उत्कृष्ट शिक्षक रहिट उहाँहे जिल्ला शिक्षा कार्यालय बर्दिया नगद एक हजार रुप्या ओ प्रमाणपत्रसे सम्मानित करले रहे । उहाँक साहित्य क्षेत्रमे समेत योगदान रहे । काठमाडौंमे उहाँहे कवि युद्धप्रसाद मिश्र पुरस्कारसे नगद पाँच हजार रुप्या ओ प्रमाणपत्रसे सम्मानित करल रहे । अस्टेक उहाँक योगदानके कदर करटी काठमाडौंमे २०६७ मे नेपाल राष्ट्रिय शिक्षक संगठनसे नगद दश हजार रुप्या ओ प्रमाणपत्रसे सम्मान करल रहे । उ समारोहमे उहाँक् छावा मोतिकुमार चौधरी बाबासे डेखाइल डगर सत्य रहल ओरसे आज सत्यके जित हुइल बाट व्यक्त करले रहिट । देशमे लोकतन्त्र प्राप्ती शहिदके रगतसे आइल हो । शहिदके सपना साकार पारे परठ कना उहाँके अभिव्यक्ति रहे ।
२०५८ सालमे देशमे संकटकालके घोषणा हुइल । तत्कालीन शाही नेपाली सेनासे निहत्था, निर्दोष जनताउप्पर आतकंकारीके संज्ञा डेके डगरमे नेंगुइया, घरे सुटल, स्कुलमे पह्रटीरहल ओ पह्रैटीरहल नागरिकहुकनहे धमाधम मारे लागल । ओहे क्रममे सगुनलाल चौधरीहे फेन २०५८ साल पुस १२ गतेक् दिन विद्यालयसे पह्राके घर लौटेबेर साँझके चार बजे बाँके चिसापानी ब्यारेकके क्याप्टेन रमेश स्वाँरके नेतृत्वमे आइल टोलीसे उहाँक् आखीमे करिया पट्टि बाँधके घिस्यइटी गारीमे लाडके लैगिल रहे । उहाँ चलैटी रहल बीस वर्ष पुरान साइकिल डगरके किनारे बैदा गाँउके बकौ सेमरा लग्गे बेगाइल रहे । उहाँहे लैगिल खवर सुन्टीसाइट उहाँक् परिवारजन खोजी करे लग्लैं । एक अठ्वार पाछे उहाँक छोरा कृष्णकुमार चौधरी (मंझला छावा)हे घरसे पकरके लैजागिल । जोन ठाँउ बाबा सगुनलाल चौधरीहे ढरल रहे । जहाँ यमराजके दुत जस्टे रहकके हात हतियारसे तैनाथ शाही नेपाली सेना रहिट । चरम यातना पाछे कुछ दिनमे छावा कृष्णहे छारलपाछे बाबा सगुनलाल चौधरीसंग मिलल बाट सब परिवार पटा पैलैं ।
घर लौटेबेर बाबाहे कृष्णकुमार चौधरी अपनसंग रहल एक सय रुप्या डेके लौटल रहिट । कौनो दिन अवश्य छोरी कना आशामे परिवारजन धैर्य धारण करल । मानवअधिकारवादी संघ संस्था, राजनैतिक दल, आईसिआरसी समक्ष हार गुहार करली । संयुक्त राष्ट्र संघीय, मानव अधिकार उच्च आयुक्त लुईस आर्वर समक्ष पत्ता लगा डेना हार्दिक आग्रह करली । मने आज १९ वर्ष हुसेकलेसे फेन उहाँ बेपत्ता बाटैं ।
लेखक सगुनलाल चौधरीके छावा हुइटैं ।
