‘टीकापुर घटनाहे राजनीतिक रुपमे सम्बोधनके माग’
						पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २६ पुस । कुछ दिन यहोर थरुहट÷थारुवान मोर्चा, जनता समाजवादी पार्टी लगायत पहिचानवादी पक्षधरसे टीकापुर घटनाहे राजनीतिक रुपमे सम्बोधन कैना माग करटी आन्दोलनमे उत्रल बाटै ।
२०७२ भदौं ७ गते टीकापुरमे हुइल घटनाहे राजनीतिक मुद्दाके रुपमे सम्बोधन करटी निर्दोष थारुहुक्रनहे निःशर्त रिहाइ तथा क्षतिपूर्तिके माग करटी उ संघ संगठन सडकमे उत्रल बाटै ।
इहे बिच शनिच्चरके जनता समाजवादी पार्टीसे कैलालीके धनगढीमे टीकापुर राजवन्दीहुक्रनके मुद्दाके बारेम उच्च अदालत दिपायलसे करल पुर्वग्राही फैसला खारेज करे कहटी टीकापुर घटनाहे राजनीतिक रुपमे समाधान करे पर्ना कहरटी विशाल विरोध सभाके आयोजना करले बा ।
आपन हक अधिकारके लाग आवाज उठैटी रहल बेला घटल घटनाहे राजनीतिक रुपमे सम्बोधन कैना माग करटी रहल बेला प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली भर उ मुद्दाके बारेक कुछ नैकरे सेकजैना अभिव्यक्ति डेले बाटै । इहे पुस २४ गते नेकपासे धनगढीमे आयोजिक जनसभाहे सम्बोधन करटी प्रधानमन्त्री ओली थारु नेतन्के लाग जो राजबन्दी बाटै ओइनके लाग कुछ नाइ करे सेक्ना अभिव्यक्ति डेहल हुइट ।
सम्बोधनके क्रममे प्रधानमन्त्री कहलै, ‘यहाँ जात–जातके बीचमे मारमारके अवस्था लन्लै । टीकापुर काण्डके टमान ढंगसे रचना करगैल । नक्कली मनै लन्लै, उचल्लै, जनताके बीचमे कोइ थारुके नारा लगाइल, कोइ पहाडियाके । जनता–जनतामे विभाजन लन्ना खोज्लै,’ उहाँ आघे कहलै, ‘अब्बे फेन कतिपय थारु नेता जेलमे बाटै । किहुहे वारेन्ट हुइ । इ सक्कु हम्रे हेरटी रहल बाटी । पहिले नै अदालती प्रक्रियामे जासेकल, पहिले नै असहज रुपमे फससेकलहे किनारामे नैलगाके कुछ करे नाइ सेकजाइ, कानुनी हिसाबसे ।’
मने उहे जनसभाहे सम्बोधन करटी प्रतिनिधी सभा सदस्य नारदमुनि राना टीकापुर घटनाहे राजनीतिक मुद्धाके संज्ञा डेले बाटै । प्रतिनिधि सभा सदस्य राना प्रधानमन्त्री ओलीके सम्बोधनहे खण्डन करटी थारु समुदाय आपन हक अधिकारके लाग आवाज उठाइबेला हुइल घटेगैल घटनाहे राजनीतिक रहल बटाइल हुइट ।
प्रधानमन्त्री मञ्चमे आसीन रहल बेला उहाँ टीकापुर घटनाहे राजनीतिक घटनाके रुपमे सम्बोधन करे पर्ना माग राखल रहिट । उहाँ कहल रहिट, ‘नेपालके संविधान बन्टी रहल बेला टीकापुर घटना घटल । जौन नाइ हुइ पर्ना रहे । नाइ चाहके फेन उ घटना घटल । मै ज्यान गुमुइयाहुक्रनप्रति दुःख व्यक्त कैना चाहटुँ ।’
यकर संगे सदस्य राना टीकापुर घटनाहे पूर्व न्यायधीश गिरिशचन्द्र लाल आयोगसे तयार पारल प्रतिवेदनके आधारमे सम्बोधन कैना समेत आग्रह करल रहिट ।
‘हम्रे जनताके अधिकार प्राप्तिके लाग, जनताके हकहीतके लाग जनता ढिउर आन्दोलन करले बाटै । राणा शासन पतन, पञ्चायती व्यवस्थाके पतनसे गणतन्त्रसम ढिउर जनताहुक्रे सहादत प्राप्त करले बाटै ।’

‘मै सक्कु कैलालीबासीनके ओरसे मै प्रधानमन्त्री ज्यूहे अनुरोध कैना चाहटुँ, टीकापुर घटना राजनीतिक घटना हो । इहीहे कौनो जात विशेषके आन्दोलनके रुपमे नाइ होके समग्र नेपाली जनता तथा कैलालीबासीनके अधिकारके लाग हुइल आन्दोलनके रुपमे लेहे परल । लाल आयोगके प्रतिवेदनमे टेकके अन्यायमे परल टीकापुरबासीहे न्याय डेहे परल ।’
इहे पुस २ गते उच्च अदालत दिपायलसे जिल्ला अदालत कैलालीके फैसलाहे सदर करटी फेनसे रेशम चौधरी लगायत ८ जनहनहे सजायके फैसला सुनैले रहे । उच्च अदालतके न्यायाधीशद्वय टेकनारायण कुँवर ओ सीताराम मण्डलके संयुक्त इजलाससे उ घटना सम्बन्धी मुद्दाके सुनुवाइ करटी रेशम सहित ८ जनहनहे जन्म कैदके सजाय सुनाइल हो । जन्मकैदके सजाय हुउइयामे रेशम सहित, हरिनारायण चौधरी, प्रदीप चौधरी, बीरबहादुर चौधरी, राजेश चौधरी, सीताराम चौधरी ओ गंगाराम चौधरी रहल बाटै ।
ओस्टके उच्च अदालतसे थरुहट आन्दोलनके नेता लक्ष्मण थारुहे फेन जन्मकैदके फैसला सुनाइल रहे । यिहीसे आघे जिल्ला अदालत कैलालीसे थारूहे तीन बरसके सजाय सुनाइल रहे । उहाँ तीन बरससे ढिउर पुर्पक्षमे रहल ओरसे जिल्ला अदालतके फैसलापाछे छुटसेकल रहिट ।
उ घटनामे कैलाली जिल्ला अदालतके तत्कालीन न्यायाधीश परषुराम भट्टराईके इजलाससे २०७५ फागुन २२ गते रेशमसहित १० जनहनहे जन्मकैद (२० बरसके) के फैसला सुनाइल रहे ।
हत्यामे संलग्न कहल श्रवण चौधरी नाबालक रहल ओरसे उहाँहे आधा कैद अथवा १० बरस किल कैदके फैसला हुइल रहे ।
लक्ष्मण थारु, लाहुराम चौधरी, रामकुमार कठरिया, सन्तकुमार चौधरी, विश्राम कना जीतबहादुर डंगौरा, प्रेमबहाखुर चौधरी, किसनलाल चौधरी, रामप्रसाद चौधरी, दिलबहादुर चौधरी, संगम कना सन्तोष थारु (चौधरी), विश्राम चौधरी ओ चुन्नीराम चौधरीहे तीन बरसके कैद सजाय हुइल रहे । थरुहट थारुवान ओ अखण्ड सुदूरपश्चिम आन्दोलनके क्रममे २०७२ भदौ ७ गते टीकापुरमे थरुहट आन्दोलनकारी ओ प्रहरीबीच झडप हुइल रहे । उ क्रममे ८ प्रहरीसहित १ नाबालकके ज्यान गैल रहे ।
जिल्ला अदालतके उ फैसलामे चित्त नाइ बुझल कहटी जन्मकैदके सजाय पाइल रेशम चौधरी सहितके ११ जाने उच्च अदालत दिपायलमे २०७६ सालके वैशाखमे पुनरावेदन परल रहे ।
प्रतिवादी रेशमलाल चौधरी सहितके ओरसे अधिवक्ता गम्भीर सिँह ऐर, गजेन्द्रबहादुर केसी, गंगाराम पाध्याय, नाथुराम महतो ओ काठमाण्डौंसे आइल २ जाने सहित ६ जाने अधिवक्ता बहस करल रहिट ।
मुद्दामे वादीके ओरसे वरिष्ठ अघिवक्ता राजेन्द्र सिँह साउँद, अधिवक्ता विष्णु भट्ट, सरकारी वकिल टेकबहादुर थापा सहितके तीन जाने कैके पाँच जाने बहस करल रहिट ।

            
						
						
						
						
						
						
						