माघ टिहुवार

परिचय
माघ उ उत्सव हो जौन नेपाली समुदाय मनैठै । माघ (जनवरी) मे परठ, सामान्यतया जनवरी जनवरी १४ माघ । यिहीसे माघके सुरूवाट हुइठ ओ जारपाछे नम्मा दिन (गर्मी)हेफे स्वागत करठ । जे होस्, उ टिहुवारपाछे उ दिन अन्तिम जारके रात मन्से एक हुई काहेकी मागल चाडपर्वके मनै जारके अन्त्य ओ लावा मौसम (वसन्त ऋतु) के सुरुवाटके रूपमे मनैठै ।
उ दिन जौन माघ टिहुवारहे थारूके लावा वर्षके रूपमे मानजाइठ वा विश्वास करजाइठ । यी फे नेपाली समाजके चलन ओ परम्परा हो जौन वर्षभर एक चो आइठ । यी ढेर लोकप्रिय बा ओ थारू समुदायके सबसे भारी चाड हो ।
माघके उत्सव
ढेर मनै सकारे अबेरसम आगी वरपर बैठठै । अब माघ टिहुवारके दिन (जनवरी १४, मनै मुरगी बोल्नासे पहिले उठल रठै । यी बिहान २ वा ३ बजे अन्गुटे हो । महिलाहुक्रे सकारे बिहान ४ बजे ओर ओइनके घरेम विशेष थारू खाना पकाई जैठै ओ सकारे ६ बजेओर ओइने पवित्र ठाउँ लडियामे लहाई जैठै वा बम्माके पानीमे लहैठै, मने लहैना आघे ओइने लडियामे पानीक मोल स्वरुप पैसा फेक्ठै । यी टिहुवार पुस्तौ पुस्तासे विश्वास करके मनैटी आइल हो ओ अभिनफे मनाजैटी बा । जारमे लहाके ओइने अपने घर लौटठै ओ ओकरपाछे ओइने यी मेरिक चिजहे छुठै जस्टेः चाउ, नोन, तेल, हल्दी ओ और ढेर ‘ओइने उ चीज विशेष करके चाउरहे पाँच चो भाँडामे ठरठै
जिहीहे ‘ढकिया’ कहठै । ओकर ढकियामे ढरठै उ चीज परिवारके भोज हुइल छाइनहे उपहार स्वरूप डेजाइठ ।
यिहीहे ‘निसराउ’ (उपहार) कहठै । ओकरपाछे ओइने अपनेसे भारी उमेरहे ढोक सेवा लागके आशिष् लेहे । यिहीहे थारू समुदायमे ‘सेवा लग्ना’ कहठै ।
ओकरपाछे मनै पूजा करे मन्दिरमे जैठै ओ माघके दिनसे खराब बानी ओ व्यवहारसे बच्न वाचा लेठै । माघी सक्रान्तिके एकदिन आघे ओइने परमेश्वरहे छेगरा, सुव्वर, भेडुवा ओ और ढेरके शिकारके रूपमे बलिदान डेठै । यी थारू समुदायमे सुव्वर (जिटा) मरना दिन कहठै । सबसे महत्वपूर्ण बाट यी फे हो कि माघ १ गते जनावरके रगत हेरे नइपरठ वा ओइने उ दिन कौनोफे जनावरहे मारे नइपरठ (माघके दिन) । यी फे थारु समुदायके पुस्तौ पुस्तासमके धार्मिक विश्वास हो ।
माघ टिहुवारमे टमान पकवान तयार
माघ टिहुवारके समयमे महिला ढेर मेरिक खाद्यान्न वस्तु बनैठै । खाना आइटम जस्टेः चाउरके पीठासे बनल ढिकरी, मीठा आलु, लडडु, मुरगीक शिकार, सुरिक शिकार, छेगरीक शिकार लगायत और टमान मेरिक खानाके परिकार बनाके पटियक टेपरीमे डेजाइठ । अस्टेके यी अवसरमे घरे बनाइल डारु ओ जाँडफे पिना चलन बा ।
माघ टिहुवारके विशेषता
ओसिक टे, यी टिहुवामे व्यक्ति सादा वा खाली जमिनमे एकतामे भेला हुके घटना वा अवसर वा यी टिहुवारमे ओइने रहरङगी करके मनैठै । मै कनु कि मनै मन्दिरमे डेउटाहुकनके बलि चढाई जैठै, ढेर जैसिन मनै मन्दिरमे जाके मनैठै, पूजा करठै ओ वाचा डेठै ।
माघमे ४/५ दिन मेला लागठ । टमान व्यापारी मेरमेरिक सामान बेचे अइठैं । जस्टे, खेलौना, कपरा, मिठाइलगायत चिज । मेलामे लवण्डन टमान मेरिक खेल फेन खेल्ठैं । महिला ओ पुरुषहुक्रे एक टोलीमे सँग बनाके पारम्परिक गीतमे नाच करटी डारु जाँर पिठैं । मह्रे थारु माघौटा, सखिया नाच ढेर रुचैठी । माघमे गाउँमे नयाँ नियम बनठ ओ गाउँके भल्मन्सा फेन छनौट करजाइठ । अस्टेक भल्मन्साफेन परिवर्तन हुइठैं । मनै अपन इच्छाइल भल्मन्सा चुन्ठैं ।
माघ ओ कमैया प्रथा
थारू समुदायमे विगतमे कमैयाहुक्रे धनी या किसनुवक लाग काम करैं । माघेके दिनमे कमैया बैठ्ना या नै बैठ्ना निर्णय हुइठ । मनै गरिबहे अपन नोकर बनाइट । कमैयनके अपन घर नैरहिन, ओइन बुक्रामे बैठैं अपन किसनुवक परिवारसँग । कमैयाहुक्रे अपन परिवार चलाइक लाग कडा मेहनत करे परिन । मने एक वर्षमे उहाँहुक्रे ६÷७ कुन्टल धान या गोहुँ पाइट । टबेमारे भारी परिवार रहल ओइने अपन परिवार चलैना कर्रा रहिन । टबे मारे ओइने अपन किसनुवासे उधार मागिट ओ ऋणमे फस्जाइट ।
यदि उ एक कुन्टल डेहल कलेसे किसनुवा कमैयासे २ कुन्टल लेहल कारण किसान मोटाइड । यदि कमैया यि नैटिरी कलेसे ऋण और ढेर बह्रठ । साथे ओइनहे जीवनभर काम करेपरठ । उ समयमे उहिनहे थारू भाषामे ‘सौकी’ कना चलन रहे । यदि कमैया दुर्घटनामे मरल कलेसे छाजा किसानके लाग कमैयाके रूपमे काम करेपरठ ।
