‘ गजल ’
बजार जैना बा
पहुरा |
१० माघ २०७७, शनिबार

चलो होइ संगे, बजार जैना बा,
सयमे का आइठ, खर्चे हजार जैना बा !
जिट्ना टे बहुट, सहजिल बा लकिन
जान जान के अप्खिन, हार जैना बा !
गहिंर कटरा बा पटा चलि, ठहाँके चलो
बहुट जन्हुनहे अभिन, ओहपार जैना बा !
मुट्ठा टे एकदम, पानीम जा जाइ लकिन
अब पानीहे मुट्ठम, हरबार जैना बा !
उभर खाभर टे मिल्बे करी, जिन्गी हो
हार नैमानके हमरहिन, लग्ढार जैना बा !
दाङदेउखर, पचुहिया
हालः महराजगंज, काठमाडौं
