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म्यानमारके ‘कु’ नेपालहे पाठ

पहुरा | २१ माघ २०७७, बुधबार
म्यानमारके ‘कु’ नेपालहे पाठ

सोम्मार म्यानमारके सेना ‘कु’ करके सत्ता अपन हाँठेम लेले बा । स्टेट काउन्सिलर ओ विदेशमन्त्री फेन रहल नेसनल लिग फर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के नेतृ आङ सान सुकी पकरवा पैले बटि । ओस्टक राष्ट्रपति विन मिन्टलगायत एनएलडीके बहुट नेतनहे फेन हिरासतमे ले गइल बा ।

म्यानमारके सेना सत्ता अपन नियन्त्रणमे रहल ओ एक बरसके लाग संकटकाल घोसना करल जनैले बा । म्यानमारके सत्ता अब्बे सेनाप्रमुख मिन आङ ह्लाइङके हाँठेम गइल बा । गइल नोभेम्बरमे हुइल चुनावमे सुकीके पार्टी एनएलडी भारि मतसहित जिटल रहे । टब्बेसे सेना चुनावमे व्यापक धाँधली हुइल कहटी आइल रहे ।

ओसिन टे आङ सान सुकी सन् १९८९ से सन् २०१० सम सेनाके नजरबन्दमे रहि । टब्बेसम सेना प्रत्यक्ष शासन कर्ले रहे । सन् १९९१ मे नोबेल शान्ति पुरस्कार पाइल आङ सान सुकी पकरवा पाइल पाछे विश्वके ध्यान म्यानमारओर केन्द्रित हुइल बा । अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सहित बहुटसे देशके सरकार प्रमुख सैनिक ‘कु’ के बिरोध कर्ले बटाँ । नेपाल सरकारसे फेन परराष्ट्र मन्त्रालयके टरफसे विग्यपिट निकारके बिरोध कैगइल बा ।

म्यानमारके ‘कु’ से नेपालहे पाठ सिखे पर्ना बा । २०६१ माघ १९ मे राजा ज्ञानेन्द्र कु करेहस ठिक ओहे रोज म्यानमारमे कु हुइल बा । मंगरके राट नेपाली सेनाके बख्तरबन्द गाडी २७ किलोमिटर लम्मा चक्रपथ परिक्रमा कर्ले बा । ओहोर माघ २३ गते नेपाली जनता कर टिरल राज्यक् रकम दुरुपयोग कैटि नारायणहिटी दरबार आगे आमसभा कर्ना नेकपा केपी गुट जनैले बा । आमसभक लग नारायणहिटी दरबार परिसर जो काजे छानगैल संका करे पर्ना बा ।

बलजब्रि संसद बिघटनले नेपालमे लोकतन्त्रके उल्टा चक्का घुमे सुरु हुइल डेखाइठ । म्यानमारके १९ गते सैनिक कु के झल्को डेना मेरिक नेपाली सैनिक परेड नेपाली जनतन आउर झस्कैले बा । माघ १९ के कदमले आज राजा ज्ञानेन्द्रहे साढारन जनता बने परल बटिन । इ बाट प्रधानमन्त्री केपी ओली मनन करक चाहि कि सत्ता जिन्गि भर अपन हाँठेम नै रहठ ।

हालके प्रधानमन्त्री बुझ्ना चाहि कि शक्तिके अस्वाभाविक बेल्साइले छिटराइल आउर डोसर शक्तिहे अस्वाभाविक रूपमे मिल्ना वाध्य बनाइठ । आलोचना करुइयन नेपालके भलाइके लग आवाज उठैटि बटाँ, ओइने सत्रु नै हुइट कना बुझक चाहि । अब्बे प्रधानमन्त्रीहे चाकरी करुइयनके जिल्बुल घसाइसे फेन आलोचना करुइयनके खस्रार टिप्पनि हितकर रहि । मने यदि उहाँ जिल्बुल घसाइमे फँस जैहि कलेसे अपने टे डुब्हि डुब्हि देशहे फेन डुबैहि । संविधानके मनखुसि बेल्साइले देश ना डुबे, नागरिक समाज कन्कनार रना चाहि ।

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