दुई मुक्तक
पहुरा |
२४ माघ २०७७, शनिबार

सुनगाभा काहे, भौंरा हे मारठ ।
मैया करुयनके, जिन्गी बिगारठ ।।
अप्नेहे लोभ्वाइठ, जग्मग्रार बनके,
आपनसँग अप्नेहे, खुद काजे हारठ ।।
मुटुक बिच्चे आँधी चलठ, काहे टु मै अचम्मके ।
बिना आगिक् दिल जरठ, काहे टु मै अचम्मके ।।
ना टे सेक्नु कहे कब्बु, ना टे सेक्नु भुलाइ मै,
मुर्दा नन्हे ज्यान ढलठ, काहे टु मै अचम्मके ।।
कैलारी–२, रामपुर, कैलाली
