जंग्रारके जाँगर ओ टिठमिठ सम्झना

बर्दिया, जोतपुरके जंग्रार मनै सोम जोगेठ्वा, जे भूलबस अपन नाउँक पाछे डेमनरौरा लिख मर्नै, हुँकहिनसे सँगे सुर्खेतमे एक बरस संगसंगे बिटैना समय जुरल । एक बरसमे महसुस हुइल कि मनै उ फुरेसे जंग्रारे बाटैं । जंग्रार हुइलेक ओरसे हुई हुँकार संस्थक नाउँ फे ‘जंग्रार साहित्यिक बखेरी’ बा । उ अपने सुरुसे जंग्रार साहित्यिक बखेरीके अध्यक्ष फे होईं ।
काम कर्टी कर्टी सकहुनके आगे नाचे लग्ना, मधेसी लवज, जनजाति लवजमे बोले लग्ना हुँकार बान बाटिन्, जौन मिहिन खूब चटकार लागल । नेंग्टी, घुम्टी अक्के घची गाइ लग्ना, नाचे लग्ना, विहर््वाइ लग्ना हुँकार बानसे नाइ हँसुइया मनै कमे हुइहीं कना लागठ ।
इहे अगहन लग्टि कि उ जनैले रहैं ‘दिल सर, असौं संस्थक डसौं बर्षगाँठ मनैना बा, डा. गोपाल दहित, सन्तराम धरकटवाहे सम्मान फे कर्ना योजना बा ।’ इन्सेकके जिम्मेवारी, मानक भाषक बहस, ओमने ठपगिल बखेहरीक डसौं बर्षगाँठ, यी कामसे उ आउर व्यस्त बिल्गाइँह् । अगहन आधा आइल समय उ मिहिन फे सम्मान कर्ना जानकारी डेले रहैं । सँगे पुस ३ गते बर्दिया थारु होम रिसोर्टमे बैठ्ना, छलफल कर्ना ओ ४ गते बबई रिसोर्टमे ‘स्रस्टा सम्मान ओ बर्षगाँठ मनैना’ जानकारी पैले रहुँ । सुर्खेतके मानबहादुर चौधरी (पन्ना) फे सम्मानित हुइना लिस्टमे रहलओरसे मै हुँकहिनसे सम्पर्कमे रहुँ ।
पुस ३ गते मोर ओ पन्ना जीके बिचमे मोटरसाइकिलसे जैना बाट पक्का हो गिल रहे । उहे अन्सार वहाँ ओ मै ३ गते पोने १ बजे बीरेन्द्रनगर सुर्खेतसे बर्दियाके लग परगा बर्हाइल रही । पन्ना जी फे बोल्ना बटओनामे चौंकस, डगर कट्लक पटा नाइ चलल् । पुस महिना, मोटरसाइकलके सवारी बहुट जुरार रहे । मने गफसफ, हाँसट, हहराइट गइलक ओरसे हमरन डगरा कट्ना सहजे हुइल रहे । हमरे झोलपट हुइ लागल समय बर्दिया ठाकुरद्वाराके डुँर्ही डबा डर्ले रही ।
राहरंगी ओ बैठाई
मुहमे मोखरी लगाइल ओरसे चिन्हल मनै फे नाइ चिन्हना अवस्था रहे । हमरे पुग्टी कि ‘नमस्कार, रामराम, जयगुर्बाबा’ के अभिवादन कर्ली । होम रिसोर्टके मालिक मोहन चौधरी बाहरसे अउइया पहुनन्के स्वागत करटहैं । रिसोर्टके फूलरियामे पस्गा, गमगम गमगम आगी, सँघरियै आगी टापटहैं । हमरे फे झोला किनारे रहल बेञ्चमे ढर्ली ओ पस्गाओर बर्हली ।
पुसके महिना, डमकल आगी मिली टो के छोरी ? आगीके लस्गर रापटाप हमरन पस्गाओर चुम्बकहस् टान सेकल रहे । गझकल आगी छोर्नास् नाइ लागटेहे, मने का कर्ना हो, रात बसेरक लग कोठा फे जरुरी रहे । झोला कोठाओर ढरके आगी टप्ले कैसिन रही ? रिसोर्टके मालिक मोहन अर्जी कर्नै । हमरे एकदम मजा रही कहली ओ ओस्टही कर्ली ।

गुरगुर गुरगुर आगी, आगीपर जालीदार टेबुल, सिकार गुँठल दर्जन सेलागी ओमने ढरगिल । किनारेक टेबुलमे जारकिन, करै, गिलास । अपने पकाउ, बराउ, खाउ, हँठछोरा । जब ब्यबस्थापन अइसिन रही टो पुसके जार फे का करी ? मोहनके ब्यबस्थापनसे जारके डबडबा ओ सासन अक्के घचिम् ओरागिल रहे । हमरे सासनसे उन्मुक्ति पा गिल रही । स्वतन्त्र हो गिल रही ।
कोरोना कालके भिरभारमे यी मोर पहिल सहभागिता रहे । मिहिन लागठ, टमाम मनैन्के सहभागिता फे मोरे हस् रहल हुई । कोरोनाके डर, त्रास, सासन फे हमार पर कमजोर परगिल रहे । नाइ चिन्हल सँघरियनबिच मजासे चिन्हजान, नाचगान, हाँसखेल करगिल । बखेहरीक अध्यक्ष सोम जोगेठ्वा ओ कैलालीक सागर कुश्मीक दोस्ती फे मजासे डेखगिल ।
सागर ओ अंकर अन्जान आइट मोटरसाइकल डगरेमे बिगरगिल, अंकर अन्जान फिर्टा हुगिनै ओ सागरहे लेहे जैना कहटी निकर्नैं सोम जी । हँठछोरा खानपानहे छोरके अध्यक्ष खूड अपनही लेहेजैना कलक माने राखठ । बिना मैयक यी सम्भव कैसिक हुई ? लेहेगैल समयमे डमकल आगी ओ जमकल नाचेक मै बखान कैसिक करुँ ? सुशील, मानबहादुर पन्नक मन्डरा बजाई ओ गिताञ्जली, बालिका, सरस्वती बाबु ओ कृष्ण सर्बहारीक नचाई सकहुन् हाँसखेलमे भाग लेहवाके छोरल रहे । सोमके लौटट बेरियासम् ७५ प्रतिशत राहरंगी ओ १०० प्रतिशत सुरीक पकुवा ओरा सेकल रहे । यिहिनसे पुस्टी हुइठ कि सोम–सागरके दोस्ती कम नाइ हो । राहरंगी ओ पकुवा ओरैलेसे फे सोम जीके जोसभर टो अभिन बाँकी रहे । पाछेसम् खूब मन्डरा बजाइल रहैं ।
रातके बैठाई फे मजा रहल । खुल्ला दिलके सुर्खेती पन्ना ओ दीर्घ चौधरी उर्फ इटिसी इटिसीक सँगे बैठाई, दिलसे दिलके बात खूब हुइल । अटरा कम उमेरमे देश बिदेशके घुमाई ओ अनुभव फे मजासे सुनगिल । भाईक फोटोग्राफी ओ सँघरियन प्रतिके लगाव कटरा बाटिन् कना हुँकार ब्यबहारसे आउर मजासे जान गिल ।
फरगर कार्यक्रम
सबसे मजा मिहिन बिहानीक कार्यक्रम लागल । चाहके चुस्की लैके मै, पन्ना, सुशिल, सर्बहारी, सोम बिहान्ने गोरपासु करल रही । लौटके हाली हाली फ्रेस हुके कार्यक्रममे सहभागी हुइली । मिहिन समयक मजा उपयोग हुइल लागल । निबन्ध ओ कवितक बारेम सुशील, उपन्यासके बारेम सर्वहारी, खिस्सा बटकहीक बारेम शेखर दहित भाई ओ पन्ना सँघारी मजा सहजीकरन करल रहैं । गजल, मुक्तकके बारेम छलफल चलैना जिम्मा छविलाल कोपिलाहे रहे, वहाँ ठोरचे पाछे पुगल ओरसे उ बिषयम छलफल नाइ हुइ सेकल । टमाम लावा मनै कार्यक्रममे अइठैं, लिख्ना सौक लग्ठिन्, मने भेउ नाइ पैठैं । ओइसिन मनैन्के लग कैसिक लिख्ना ? कना बाट महत्वपूर्ण रहठ । टबेमारे कम समयम करगिल उ काम मिहिन खूब मन परल । छोट, मिठ ओ महा फरगर लागल ।
स्रस्टा सम्मान कार्यक्रम
थारु होम रिसोर्टमे कलुवा खाके हमरे स्रस्टा सम्मानके लग बबई रिसोर्टमे लागल रही । कार्यक्रम जंग्रार साहित्यिक बखेहरीक अध्यक्ष सोम जोगेठ्वक घरगोसियाई ओ नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालयके उपकुलपति यादव लामिछानेक बर्का पहुनाईमे उसरल रहे । वहाँ संस्कृत विश्व विद्यालयभिट्टर रहल ‘राष्ट्रिय सांस्कृतिक केन्द्र’ ठोरचे जुरजार रहलओरसे उहिन ढिकैना ओ थारुनके सांस्कृतिक पक्षहे उजागर कर्ना प्रतिबद्धता जनाइल रहैं । थारुनके इतिहास खिडोर्टी माणिक्य परीक्षक (मणिक पारखु), रत्न परीक्षक (रतन पारखु) थारु रहल ओ गुरु गोरखनाथसे हंसयात्री बिद्याके दीक्षा पाइल पाछे रत्न परीक्षक रतननाथ हुइल ओ अमृत पत्र लैके बहुट ठाउँमे घुमल जानकारी कराइल रहैं ।
खास पहुना गोपाल दहित थारु मानक भाषक बारेम बटवाइल रहैं । नेपाल गुठी संस्थानके पूर्वअध्यक्ष लक्ष्मण ज्ञवाली विश्वविद्यालयहे भाषा विभाग खोल्ना सुझाव डेहल रहैं कलेसे नेपाल पत्रकार महासंघके बर्दिया जिल्ला अध्यक्ष राजेन्द्र धिताल नेपाल अभिन बास्तविक राष्ट्र नाइ बने सेकल बाट अँगुरियैले रहैं । बार बर्दिया नगरपालिकाके प्रमुख दुर्गा थारु इतिहास खिडोर्टी राज्य थारुनके फाँरल जग्गा हरपके थारुनपर शासन करल, पहिचानहे डबाइल, बास्तविक इतिहासहे डबाइल ओ अभिन फे थारुनपर भारी राजनीतिक दमन कर रहल कहटी टीकापुर घटना ओ न्यायालयसे हुइल अन्यायहे सम्झाइल रहैं । थाकस बर्दियाके सचिव थाकस सोंचलहस् काम करे नाइ सेकल जनैले रहैं ।
कार्यक्रमके समिक्षा
सम्मान कार्यक्रम उसरल पाछे साँझके होटल जंगल हेवनमे कार्यक्रमके मजासे समिक्षा हुइल रहे । उहाँ रहुइया सबहस् मनै कार्यक्रम मजा रहल बात बटवाइल रहैं । सागर कुश्मी भर कुछ समय सृजना बाचनके लग नाइ छुट्याइल ओरसे अपन चित्त नाइ बुझल बट्वइले रहैं ।
मोर डेखाईमे कुल मिलाके कार्यक्रम बहुट मजा रहल रहे । कार्यक्रममे छोट समयके बर्हिया सदुपयोग हुइल रहे । स्रस्टाहुक्रन्, डुर डुरके पहुनन् ३ गते साँझके थारु होम रिसोर्टमे पुगे कहगिल रहे, कोई पुग्ली, कोई नाइ पुग्ली । टमाम जे बिहानके फे पुग्नै । मने पुगल पहुनन् रिसोर्ट मालिक मोहनसे कैगिल, स्वागत सम्मान, ब्यबस्था, ब्यबहारमे कौनो कमी नाइ रहल, सब मजा रहल । ४ गते डिनके हुइल स्रस्टा सम्मान कार्यक्रम फे मजा लागल, समयक फे सही सदुपयोग लागल ।
४ गते बिहान करिब ९ से ११.३० बजेसम्के समय बहुट फरगर लागल । यिहे समय साहित्य सम्मेलनहे आउर सफल बनाइल कना मिहिन लागल । कार्यक्रममे टमाम लावा मनै आइल रहठैं, ओइन गित, गजल, शेर (शायरी), मुक्तक, निबन्ध, आख्यान कलेक का हो ? पता नाइ रहठिन्, ओकर बारेम् जानकारी करैना जरुरी रहठ, करागिल । यी बहुट बलगर पक्ष रहल ।

ओस्टेक बर्का पहुना यादव लामिछाने थारु राजा रत्न परीक्षक जो गुरु गोरखनाथके चेला बनके हँसयात्रीके दिक्षा लैके यात्रा करल बात ऐतिहासिक ओ टमाम थारुनके लग जानकारीमूलक रहल, उ बलगर पक्ष हो । बार बर्दियाके मेयर दुर्गा थारु, थारुनके इतिहास खिडोरल ओ राज्यसे थारुनपर करल राजनीतिक दमनके बात दिलहे छु डेहल । आमने सामने बैठके हुकहिनसे नाई बटवाई पैलेसे फे हुँकार बोलीसे पटा चलल कि उ पक्कै समाजके लग चिन्तित मनै होईं ।
कार्यक्रममे सुदिन चौधरी भैया ओ सरस्वती बाबुक बाचन करल जनआवाजसहितके कविता, मुक्तक फे मनहे छुअल रहे । मिहिन लागल साहित्य सम्मेलनमे दुर्गाके भासन, सुदिन ओ सरस्वतीक कविता ओ मुक्तक नाइ रहट टो फे कार्यक्रमके मिठासमे कुछ कमी परजाइट । सुदिन चौधरीक् बेलभार कना कवितासंग्रहके फे कार्यक्रममे घुर्घट उघार गइल ।
हँस्नौटी
स्रस्टा सम्मान कार्यक्रम हुइनासे पहिले कटौटीदार थारु टोपी एकघची हुइलेसे फे खूब भाउ पैले रहे, ओकर भाउ फे बह्रल रहे । ओकर मोल छ सौ रहे । मै, सर्बहारी, बालिका टोपी लेना ओ दाम डेना करल रही । कुछ सँघरिया पाछे डेना कहल रहैं । सामाजिक सञ्जालके युग, अक्के घचीमे टोपीसहितके फोटु पोस्ट हु गिल, सागर कुश्मीक प्रतिक्रिया फे आ गिल, ‘बर्दिया आके पस्टो’, एक सँघरिया पोस्ट कर्नैं, “टोपीक दाम नाइ पैली का ?” दाम टिरल मनै फे नाइ टिरलहस् हुगिली । हमरे खूब हँस्ली, “सागरके ढन्ढा हेरो, सार्बजनिक रुपमे अब बेइज्जत करटैं” कहिके ।
मजा बनाइ सेक्ना पक्ष
मोर मूल्यांकनमे ३ गतेक साँझके जंग्रारके आयोजक सँघरियन ठोरचे पाछे पुग्नै । साँझके समयहे ठोरचे मजासे सदुपयोग करल रहट टो आउर मजा हुइट । सक्कारेकहस् साँझके समयक सदुपयोग नाइ हुइल जैसिन लागल । हमरे सारा समय खानपान, नाचगान, राहरंगीमे बिटाडर्ली । १ घण्टा फे कविता, गित, मुक्तक, गजल ओ खिस्सा÷बटकहीक लग नाइ छुट्यैली । पहिल १ घण्टा सृजना बाचन ओ पाछेक समय मनोरञ्जन, राहरंगी कर्ना योजना रहट टो आउर मजा हुइट कना लागल । जिल्ला अदालतके फैसला अनुसार टीकापुर घटनामे जेल काटल थारुनहे उच्च अदालत डोटी फेनसे जन्म कैदके सजाय सुनाके जौन अन्याय करल, ओकर बारेम फे टमाम बाट आइ सेकट । थारुनके ओटरा चास रहल उ घट्नक बारेम साहित्यकारनसे एक आवाज आइ नाइ सेकल । सचेत बर्गसे समयानुसारके सवालउपर विचार बिमर्स कर्ना जरुरी रहठ, मने नाइ हुइ सेकल । यी फे हमार सुढार कर्ना पक्ष हो जैसिन लागठ ।
ओरौनी
ओरौनीमे जंग्रार साहित्यिक बखेहरीक आयोजनामे उसरल ‘स्रस्टा सम्मान ओ साहित्यिक सम्मेलन’ छोट, मिठ ओ भब्य रहल नाइ कलेसे भारी अन्याय हुई जैसिन लागठ । कोरोना कालमे सँघरियन बलैना, खैना, बैठना मजासे ब्यबस्था कर्ना कोई भलिपुचा बात नाइ हो । डसौं बर्षगाँठ मनाइटसम बखेरीसे १० ठो पोस्टा निकार जिना अपनेमे सफलता हो । जंग्रार बखेहरी नाइ रहट टो २०७७ सालमे थारु साहित्य सम्मेलन हुइल कना अवसर फे हमरन नाइ मिलट जैसिन लागल ।
हरेक मजा चिजमे फे ठोरचे खोट बिल्गाई जाइठ, उ कौनो भारी बात नाइ हो । मै आगे फे अँगुरिया सेक्ले बाटुँ । हमरे ढेर चिजहे हेरके मूल्यांकन करे परठ । मूल्यांकन करेबेर कार्यक्रम मजा रहल दिलहे कहही परी । ओरौनीमे कार्यक्रममे सम्मानिट हुइल सक्कु पुर्खा पुरनिया, सम्मानिट ब्यक्तित्वहुक्रनहे हृदयसे सम्मान डेहे चाहटुँ ओ कलम आउर टिस्लार होए कहना कामना फे करटुँ । आयोजक संस्था जंग्रार साहित्यिक बखेरी जे सम्मान करल, उहीहे ओकर सक्कु पदाधिकारीहुक्रन हृदयसे बहुट बहुट धन्यवाद डेहटी आउर जंग्रारके आउर जाँगर चले कहना कामना करटुँ ।
जय गुर्बाबा ।
(लेखक थारु लेखक संघ नेपालके सल्लाहकार हुइट ।)
