थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १४ बैशाख २६४९, अत्वार ]
[ वि.सं १४ बैशाख २०८२, आईतवार ]
[ 27 Apr 2025, Sunday ]
‘ कविता ’

मोर डाइ

पहुरा | १५ फाल्गुन २०७७, शनिबार
मोर डाइ

आपन खुन पस्नासे महिन सिंच्लो डाइ
नौ नौ महिना आपन कोखमे पल्लो डाइ
आपन अङ्ग अङ्ग टुर्के
रकटके आँस रोके
भिष्म पिटाके जसिन कुरुक्षेत्रमे
टिरके बिस्टरामे सुटल
बट्ठा महसुस कर्टि
यि प्राकृतिक डुनियाँ डेखैलो डाइ
आपन खुन पस्नासे महिन सिंच्लो डाइ
नौ नौ महिना आपन कोखमे पल्लो डाइ
जब ढर्टिमे अइनु
चिल्लैनु कहाँ आ गिनु
यहोंर वहोंर हेर्ना कोसिस कर्नु
अपनहे टोहार कोनम पैनु
असिन लागल महिन
ढर्टिम् नाइ मै स्वर्गम् आ गिनु
हेर्टि रैहगैनु टोहार उ मुह
जेमने मै अपन भगवान् डेख्नु
मोर हाँठ माँठ चुम्टि महिन माया कैलो डाइ
आपन खुन पस्नासे महिन सिंच्लो डाइ
नौ नौ महिना आपन कोखमे पल्लो डाइ
मोर रुवाइमे मोर बोलि सुन्लो
महिं चाहल चिजके आभास कैलो
डुढके रुपमे आपन खुन पिवाके
आपन जिउक् खयाल नै कर्के
डेहँक् आपन मुटुक् टुक्रा समझ्के
मोर स्याहार सुसार कर्लो डाइ
आपन खुन पस्नासे महिन सिंच्लो डाइ
नौ नौ महिना आपन कोखमे पल्लो डाइ
नेंगक् सिखाइ बेर
हाँठेक् अङ्ग्रि पकर्के
गिरल बेला भुइयँम्से उठाके
एक ठप्पर महिन मार्के
मोरसे ढेर रोके
सुफ्लाइक् लग आपन छाटिसे लगाके
डुख सहेक्, संघर्ष करेक्
हरेक मोरमे हाँसके जिअक् सिखैलो डाइ
आपन खुन पस्नासे महिन सिंच्लो डाइ
नौ नौ महिना आपन कोखमे पल्लो डाइ ।

हालः राजस्थान, भारत

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