रानाथारु समुदायके परम्परागत घर लोप हुइटी

कञ्चनपुर, २० फागुन । परम्परागत रुपमे आर्कषक डिजाइन माटीसे लिपपोट करल कठ्वासे बनल घर । अनुभवी मिस्त्रीसे बनाइल आधुनिक पक्की घरसे चिटिक्क डेखजैना घर रानाथारु समुदायके एक मौलिक ओ साँस्कृतिक पहिचान हो । मने पाछेक समयमे इ मेरके परम्परागत घर विस्थापित होके धमाधम पक्की घर बन्टी रहल बावै । इहीसे रानाथारु समुदायके परम्परागत घर लोप हुइटी गैल बा ।
सुदूरपश्चिम प्रदेशको कैलाली ओ कञ्चनपुर जिल्लामे बसोबास कैना रानाथारु समुदायके परम्परागत घर लोप हुइटी गैलपाछे रानाथारु समुदायके पहिचानसमेत लोप हुइ लागल बा । माटीसे लिपपोत कैके निर्माण करल रानाथारु समुदायके परम्पारगत (काठे) घर जीर्ण हुइलपाछे काठके अभावके कारण परम्परागत घर लोप हुइटी गैल उ समुदायके कहाइ बा । घर निर्माण करेबर पुराने शैलीके निर्माण करे पर्ना हुइलपाछे पुराने तवरमे निर्माण करक लाग आवश्यक पर्ना निर्माणके सामग्री सहजे उपलब्ध नैहोके रानाथारु समुदायके परम्परागत घर लोप हुइना अवस्थामे पुगल हो ।
‘विशेष कैके रानाथारु समुदायके परम्परागत घर कहलक हमार समुदायके पहिचान सरह नै हो, हमार संस्कृति परम्परा चालचलन धर्म सक्कु जनहनसे परम्परागत घर जोरल बा,’ कञ्चनपुरके भीमदत्त नगरपालिका–१३ स्थित नयाँ कटानके तुलसीराम राना कहलै, ‘परम्परागत घरके विशेषता नै छुट्टे रहठ्, पाछेक समयमे परम्परागत घर निर्माण करक लाग चाहना आवश्यक चिजवस्तुके उपलब्दता सहज नैरहल कारण रानाथारु संस्कृतिके परम्परागत घर लोप हुइटी गैल हो ।’
रानाथारु समुदायके परम्परागत घर जाडमे डन्डुर रहना ओ गर्मीमे जुर रहठ् । रानाथारु समुदायके सस्कृतिसे जोरल परम्परागत घर लोप हुइटी गैलपाछे समुदाय चिन्तित बनल राना बटैलै ।
पश्चिम नेपालके कैलाली ओ कञ्चनपुरमे किल बसोबास रहल रानाथारु समुदाय विशेष कैके खेतीपातीमे रमैना करठ् । तराईके फाँटमे खेतीपाती कैना ओत्र सहज नैहो । एकओर खेट्वा ओ औरे ओर बस्ती रहठ् । उक्त समुदायके पेसा खेतबारी नै रलेसे फेन सस्कृतिसे जोरल परम्परागत घर भर फेरटी गैल बा ।
‘परम्परागत घरमे काठ, माटी, खर, टायल लगायत निर्माणके सामग्रीके प्रयोग हुइना करठ्, पाछेक समयमे काठ एकदमे महंगा परठ् औरे सामग्री फेन नैमिलठ्, डुरसे माटीसे लिपपोत करल परम्पारगत घर डेख्टी किल रानाथारु बस्ती हो कहिके गर्भ लागे,’ राना कहलै, ‘पाछेक दिन रानाथारु समुदायमे धमाधम पक्की घर निर्माण हुइटी गैल बावै, पुरान मेरके घर लोप हुइलसंगे रानाथारु समुदायके अस्तित्व फेन हेरैटी गैल बा ।’
पक्की घर बनैना होडबाजी चल्टी रहल समयमे रानाथारु समुदायके अइना पिढीसे परम्परागत घरके झल्को फेन नै पैना अवस्था रहल तुलसीराम बटैलै । ओस्टके नयाँ कटानके औरे नाथुराम राना परम्परागत घर निर्माण कैना अनुभवी मनैनके अभावके कारण फेन ओइसीन घर लोप हुइटी गैल औंल्याइलै ।
‘हमार परम्परागत घर लोप हुइना अवस्था आसेकल बा, काहे कि एकठो टे बनुवासे कठ्वा पैना मुस्किल बा । पुरान घरके खँुटा फेन कुहटी गैल बा । नयाँ खम्बा पैना बहुट कर्रा बावै,’ नाथुराम कहलै, ‘यकरसंगे परम्परागत घर बनैना मनैनके कमी रहल । काहे कि आजकलके लावा पुस्ता अइसीन घर बनाइ नै सेक्ठै । पुरान–पुरान मनै बनैलेसे फेन पुरान मनै नैहोके समस्या हुइल बा ।’ पाछेक समयमे इन्जिनियर पह्रुइयाके फेन होडबाजी चल्टी रहल बा । मने इन्जिनियर फेन अइसीन मेरके रानाथारु समुदायके परम्परागत घर निर्माण करे नैसेक्ना राना बटैलै ।
परम्परागत घर बनाइबर सख्वक कठ्वा चाहठ् । घरके भिट्टर सक्कु भागमे सख्वक कठ्वा प्रयोग हुइना करठ् । इ सँगे खप्टा (टायल) फेन लगैना करजाइठ् । रानाथारु समुदायके परम्परागत घरमे फेन राना ओ चौधरी समुदायके फरक–फरक घर निर्माण हुइना करठ् । बाहरसे अक्के घर जस्टे डेखगैलेसे फेन भिट्टरसे भर बनावटमे फरक हुइना करल नाथुराम राना बटैलै ।
