बाध्यकारी व्यवस्थासे फेरल जीवनशैली

उन्नती चौधरी
धनगढी, २८ फागुन । स्थानीय तहके निर्वाचनके परिणाम आइलपाछे छिमेकी बालकृष्ण डंगौरा लक्ष्मीदेवी विकहे फोनमे सुनैलै, ‘अपने विजय हुइली । हमार पूरे प्यानल आइल । पार्टीके नेता–कार्यकर्ता रहल ठाउँमे आई ।’ उहाँ अलमलमे परली । उहाँ डगौराहे फोनमे पुछली, ‘यी विजय, प्यानल कहल का हो सर ?’ २०७४ के स्थानीय चुनावमे विक कैलालीके कैलारी गाउँपालिका–१ के वडा सदस्यमे निर्वाचित हुइल रहिट । डंगौराफे वडाध्यक्षमे निर्वाचित हुइल रहिट । वडाध्यक्ष डंगौरासे विकहे उहे खबर सुनैले रहिट ।
विकसे ‘विजय ओ प्यानल’ कना नइबुझलपाछे डगौरासे फोनमे बुझाई खोज्लै । उहाँ ‘चुनावमे और हटलै, अपने जित्ली । विजय कहल उहे हो,’ कहटीकी लक्ष्मीके खुशीके सीमा नइरहल । ‘विजयके अर्थ बुझ्टी खुशी हुइनु, एकाएक साहस बह्रल,’ विक तीन वर्षआघेक उ दिन सम्झठी ।
यी तीन वर्षमे उहाँक दैनिकी केल नाही, जीवनशैलीफे फेरल बा । सबसे भारी टे उहाँक आत्मसम्मान बढल बा । ‘पहिले औरेक धाराफे छुए नइमिले । अब्बे उहे मनै कुर्सीमे बैठैठै, म फे निर्धक्क कुर्सीमे बैठठु । डगर नेगेबेरफ सक्कु जे नमस्कार कहठै,’ वडा सदस्य विक उ ‘विजय’ भारी अवसर पाइल बटैटी कहठी, ‘पहिला अपनही सल्लाह लेहे जैना ठाउँके मनैफे अब्ब्े सल्लाह सुझाव लेहे अइठै । नइसोचल काम पूरा हुइल बा ।’
कैलारी गाउँपालिकामे १४ असार, २०७४ मे निर्वाचन तोकल रहे । उ वेला सरकारसे तीन चरणमे निर्वाचनके घोषणा करल रहे । पहिल चरणमे ३१ वैशाखमे बागमती प्रदेश गण्डकी प्रदेश ओ कर्णालीमे निर्वाचन हुइल रहे । टिसरा चरणमे २ कुवाँरमे प्रदेश २ मे तोकल रहे कलेसे दुसरा चरणमे १४ असारमे प्रदेश १, लुम्बिनी प्रदेश, सुदूरपश्चिम प्रदेशमे निर्वाचन हुइटी रहे ।
८ असारसम उहाँ कौनो राजनीतिक दलमे आबद्ध नइरहिट । उहाँहे राजनीतिके ‘र’ फे नइरहिट । उहाँक गोसिया जोगी विक भारतके पन्जाबमे दुसरा भोज करके बैठल रहिट । बरका छावा भारतके पुनामे मजदुरी करके घर खर्च पठैठै ।
छावा मजदुरी करके पठाइल पैसासे मझली छाई सुनीता ओ छुटकी छावा संयमके स्याहारसुसार करटी आइल रहिट । ‘राजनीति पत्ता नइरहे, मेलापात करिट । घरेक कामकाजमा हुइट उहाँ कहठी ।
चुनावके ६ दिनआघे गाउँक अगुवा चेतराम चौधरी उहाँक घरेम अइनु ओ आग्रह करनु, ‘हमार ओरसे उम्मेदवार बनडेहे परल।’ चौधरी तत्कालीन नेकपा (माओवादी केन्द्र) के स्थानीय नेता रहिट । उहाँक उम्मेदवारके लाग प्रस्ताव अइनाआघे एक ठो झमेला रहे, उहाँक परिवारमे ।
संविधानसे स्थानीय तहमे प्रत्येक वडामे एक जाने दलित महिला सदस्यके व्यवस्था करले बा । उहे अनुसार, हरेक पार्टी एक जाने दलित महिलाहे उम्मेदवार बनाई परले । माओवादी केन्द्रसेफे उहाँक देउरानीहे उम्मेदवार बनाइल रहे । उहाँहे चुनावी प्रचारमे नइनेंग्टी रहिट ।
‘मोर देवरुवा कांग्रेस समर्थक रहिट, उहाँ बहुरियासंग झगडा करलु,’ विक सुनैठी, ‘घरेम झगडा हुइलपाछे बहुरिया उम्मेदवार बन्ली ।’ ओकरपाछे माओवादी केन्द्रके नेताहुक्रे उहाँहे आग्रह करे अइलै ।
‘महीहे राजनीतिबारे कुछ जानकारी नइरहे । नन्दीया उजेली कामी ओ पार्टीके नेताहुक्रे ढेर अनुरोध करलपाछे चुनाव लड्न राजी हुइनु,’ विक कहठी, ‘प्रचार कैना समय टे दुई दिन केल पैनु । तबफे मै विजय हुइनु ।’ उहाँ ७०४ मत पैली कांग्रेसके अमृता कामीले ५४३, राप्रपाके मीना कामी ३६७ ओ एमालेके राजेश्वरी कामी १२३ मत पैली ।
उहे ‘विजय’ उहाँक दैनिकी बडलल बा । वडा सदस्य उहाँ गाउँ कार्यपालिकाके सदस्य फे बाटी । घरसे निरके मेलापात कैना कैना उहाँ तालिम, गोष्ठी, सभा, समारोहमे सहभागी हुई लग्ली । उ क्षमताफे बढल बटैठी उहाँ । ‘बोलीचाली, उठबस करे सिख्नु । मजासे लवाइखवाइ कैनाफे सिख्नु,’ विक कहठी ।
वडा सदस्य हुइलपाछे बैठक, गोष्ठीसे अइना भत्तासे उहाँहे दैनिक घरखर्च चलैनाफे सहनुल हुइल । मजा लुगा लगैना, मजा खैनाचिज छावाछाईहे खवैना औरमे निर्भर हुई नइपरल ।
‘पहिला घरायसी काममे व्यस्त हुइट । फाटल मेक्सी ओ ब्लाउज लगाके घाँस, काठी लेहे लेहे वनुवा जाइठ । दुसरके खेतमो मजदुरी करिटं’, वडा सदस्य विक कहठी, लौवा सारी, ब्लाउज किनले बटु । छावाछाईक लाग लौवा लुगा जोरले बटु ।’
उहाँहे पढाइके महत्वफे पत्ता हुइल बा । टबमारे मझली छाई सुनिता ओ छुटकी छावा संयमके पढाइमे जोड डेले बटी । १३ वर्षीया सुनिता कक्षा ८ मे ओ ८ वर्षीय संयम कक्षा २ मे पढठै । अपनेफे रातदिन जंगल जाके घाँस काठी नानके बेच्न तथा दुसरके खेतबारीमे मजदुरी करे नेगल बटी । ‘घाँस–दाउरा कैना समय सामाजिक काममे लगैम,’ उहाँ कहठी ।
वडा सदस्य विकसे तीन वर्षमे ढेर बाट सिकल केल नइहु, उहीहे व्यवहारमेफे उटरले बटी । पहिले अपने काममे व्यस्त हुइना उहाँ अब्बे औरके लाग काम करे लागल बटी । गाउँ कार्यपालिका बैठकमे उहाँ दलित, एकल महिलाके लाग केल नाही, गाउँके विकासको लागफे बोल्ठी । गाउँके योजनाके लाग बजेट विनियोजन कैना पहल करठी । ‘मै दलित महिलाके कोटासे निर्वाचित हुइलेसेफे गाउँके सक्कु जनता भोट डेके जिटैनु । टबमारे सक्कुहुनके लाग बोल्ठु,’ विक कहठी ।
विजयी हइलपाछे उहाँहे फे अपने कुछ करे नइसेकम जैसिन लागे । घरेम काम, घाँस काठी, मेलापात ओ दुसरके खेतबारीमे मजदुरी कैना ठीक ठान्ठी । गाउँक अगुवा, नेता, भारी मनै’ दुसर जैसिन लागे उहाँ उहाँहे ।
‘हम्रे यैसिन हुइनाहे जन्मल नइहु जैसिन लागे,’ वडा सदस्य विक कहठी, ‘अवसर नइपाके रहल बा । अवसर पैनु टे सक्कु काम करे सेक्जाइठ ।’
संविधानसे जुराइल अवसर
संविधानसे प्रत्येक वडामे एक जाने दलित तथा अल्पसंख्यक महिला सदस्य हुई पर्ना व्यवस्था करले बा । यिहे व्यवस्थाके आधारमे विकसे वडा सदस्य हुइना अवसर पैले नइरहिट । उहाँक गाउँपालिका कैलारीके ९ वडासे ९ जाने दलित महिला वडा सदस्य निर्वाचित हुइल रहिट । उहे अवसर सदुपयोग करके विक जस्टे और वडा सदस्यसेफे स्थानीय सरकारमे प्रतिनिधित्व करटी बाटी ।
कैलालीके धनगढी उपमहानगरपालिका–५ के सदस्य मायादेवी विश्वकर्मा संविधानमे व्यवस्था हुइलपाछे केल अवसर पाइल बटैठै । नम्मा समय कांग्रेसमे संलग्न हुइलेसेफे उहाँ अवसर पैले नइहिट । ‘बाध्यकारी व्यवस्था नइहुइल हुइलसेफे महीहे टिकट नइडेटै,’ विश्वकर्मा कहठी, ‘संविधानसे दलित महिला सदस्यके कोटा अनिवार्य करडेहलपाछे जनप्रतिनिधि हुई पैनु ।
अपने जनप्रतिनिधि हुइलपाछे गाउँक और दलितहेफे हौसला मिलल उहाँक अनुभव बा । अब्बे वडा सदस्यमे आइल दलित महिलाके क्षमताफे अभिवृद्धि हुइल उहाँ बटैठी । ‘घरसे बोर निक्रे नइसेक्ना महिलाफे टमान कार्यक्रममे सहभागी हुके क्षमता विकास करले बटै । नेतृत्व विकास हुइल बा,’ विश्वकर्मा कहठी, ‘अब अइना निर्वाचनमे दलित प्रतिनिधिहुक्रेफे खुल्लासे लरे सेक्ना क्षमता बनैले बटै ।’
दलित अधिकारकर्मी सावित्रा घिमिरे अवसर डेके केल नइपुग्ना ओरसे आब दलित जनप्रतिनिधिके क्षमता वृद्धिमे जोड डेहे पर्ना बटैठी । दलित एनजिओ फेडेरेसन (डीएनएफ) के केन्द्रीय सदस्य घिमिरे कहठी, ‘वर्षौसे लैंगिक विभेद, जातीय छुवाछुतसे पिल्सल दलित महिलाहुकनहे और महिला सरह तुलना करे नइपरल । आब ओइनके क्षमताफे अभिवृद्धि करे परठ ।’
अब्बे स्थानीय तहमे ६ हजार ५६७ दलित महिला सदस्य बटै मने, बाध्यकारी व्यवस्था नइहुके दलित समुदायसे ६ जाने नगर प्रमुख, १२ जाने उपप्रमुख, १ जाने अध्यक्ष ओ १५ जाने उपाध्यक्ष केल स्थानीय सरकारमे बटै । जब कि स्थानीय तहमे नगर प्रमुख तथा अध्यक्ष ७५३ ओ उपप्रमुख तथा उपाध्यक्ष ७५३ पद बटै ।
