महिनौ मौनताके जवाफ मिनेटमे

चर्का महङगीमे छावाछाईक पढाई खर्च घरपरिवारके औषधी साँझ सकारेक छाकसंगे एकदम गाह्रो परिस्थितिमे परिवार चलैटी बाँच्टी रहु । उहाँक जागिरसे केल नइ पुग्न हुइल, एक दिन यैसिक सोच्नु आब मै फे काम करे परल । छोट काम खोज्नु साँझ सकारेक घरधन्धा सेक्के हतार–हतार अफिस जाउ । अफिसमे जटरा ढेर काम हुइलेसेफे साँझके दिन नडुब्टी घर पुगे परे । ठोर ठोर घर अइना ढिला का हुए राजा साबके अनुहरमे ग्रहण लागल रात हस अन्धार विल्गे । मन खिन्न हुके आए, कहना मन टे का पो लागे मने उहाँक राज्यमे मै शरण परे आइल कना सोच रहे उहाँमे ।
महिलाके लाग समाजके डर एकओर घरपरिवारके डर दुसर ओर । अपन भविष्यके बारेमे नसोच्के कटरा रात विटे सायद । चिन्तासे नइनिन्दाके सकारेक सूर्य उदाए मने का कैना सकारे उठके पटुहियाके दर्जा पालन करे परे ।
यैसिक दिनचर्या चल्टी रहे । बिस्तारे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक सवालमे ठोरिक पकड जमाई लग्नु । उहाँकफे मजा परिचय बनल रहल रहे । कामउप्पर कामसे जिम्मेवारी ठप्टी रहे । उहाँक अनुमतिमे हुइलेसेफे अफिस घर चलल रहे ।
कबु कबु अफिससे ढिला हुके घर पुगेबेर डुरहीमे गोर ढारे नइपैटी ठरठराइठ । कटरा बचन पो सुने पर्ना हो कहिके, पुर्खा पूर्वजहुक्रे कहल बाट सम्झन्ठु । ‘गारीसे मनै नइमुठै, तातुल पानीसे घर नइजरठ ।’ मन बल्गर बनैटी देखावति हाँसी ढोकाभिटर पैठु ।
उहोर टोल छिमेक सक्कु हमारे चर्चा कैना करल सुन्जाए । दुनु जागिरे कटरा मज्जाके जिन्दगी चलल । चारु ओर वाहवाहिके वर्सात हुए ।
हुइना टे बाहेर विल्गैना सक्कु चिज सोन नइरहल मने पत्ता नइपउइयाके लाग हमार जोडी सोन जस्टे रहे । अफिसमे कामके चाँपसे कुछ दिनसे घरेम अइना समय फेरल रहे । जौन कारण गोसियासंग नइबोलल ढेर हुसेकल रहे । जब घर पुगेबेर रात परसेके, बोले खोज्लेसेफे गोसिया झरक्के बोलिट ।
कुछ दिनपाछे गोसिया अनौठौ व्यवहार करे लग्लै । जटरा ढिला अइलेसेफे राजा कहटी बोराइट । गोसियक बोलीमे मैफे मख्ख परु । मोर गोसिया महीहे सम्मान करे लग्लै कहिके ।
कुछ दिनसम अटरे चलल । कबु समयमे अफिस नइपुग्न मै ९ नइबज्टी अफिस जाई लग्नु । ओम्ने एक चिम्ति खुसी अभिन थपल रहे । समय तालिकाके ख्याल रख्ना हुइटै बुढा कहिके साँझ घर आइबेर थकित मुद्रामे देख्दा मन चसक्क हुए । और काम काज छोरके उहाँक सेवाके लाग दौरु ‘चिसो चाहियो कि तातो चाहियो रोटी की भात चाहल । मने उहाँक मुहसे खैना मन नइहो बाहेक और शब्द नइनिक्रे मै परिसान हुसेक्नु कैसिक पुछना महिनौ विटसेकल उहाँक मुहारके चमक हेराइल । ढेर चो पुछनु महीसे कुछ गल्ती हुइल की मै जागिर करल मन नइपरल की उ फे नाई उहाँक मौनतासे ढेर सताई लागल । टमान रात एक निद्रा नइसुटके ओजरार हुइल रहे ।
गोसिया हाली निदाइल रहिट मै वेदमे पल्टल केल रहु सदा मोबाईल टेवुलमे धारके सुत्न मनै कुछ दिन यहोर सिरानीटरे नुकाके सुटे लागल उहाँ ठोर मङगा मोबाईल चलाइट उहाँक मोबाइलमे मजा फोटु खिच्न हुइल ओरसे कबु कहु कटै घुमे जाके उहाँक मोबाईमे फोटु खिच्न करल रहे । टबमारे उहाँक मोबाईलमे रहल फोटु हेर्ना कहिके मोबाईल खोल्नु निन्द नइलागके छटपटी हुइटी रहे, मोबाईल खोल्के पारिवारिक एक फोटु नइरहे मन झसङ हुइल अभिन भित्र–भित्र हेरटी जाके एक दुसर फोल्डरभिटर मै चिन्हल जानल एक महिलाके निन्धारमे सेन्दुर डरटी करल ओर सेन्डुर भरके सेन्दुर डारके अङगालो भर उहीहे पकर फोटु निक्रे लग्लै, मन तरङित हुइल केहोर केहोर हेरैनु एकघाचिक मोबाईल हातसे भुँईयामे झरल मोर आँखीक निन्द सदाके लाग उरल । महिनौसे उहाँक मौनताके जवाफ एक्के मिनेटमे मिलल मोर आँखी वरपरके बाक्लार कुहिराफे हटल । भिटर–भिटर काका हुइटी महीहे पत्ता नइहुइल ।
