थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १५ बैशाख २६४९, सोम्मार ]
[ वि.सं १५ बैशाख २०८२, सोमबार ]
[ 28 Apr 2025, Monday ]

लावा सरकार ओ रेशम चौधरीके रिहाइ प्रसंग

पहुरा | २ चैत्र २०७७, सोमबार
लावा सरकार ओ रेशम चौधरीके रिहाइ प्रसंग

जनता समाजवादी पार्टीसे प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली नेतृत्वके सरकारसे सत्ता गठबन्धन कैना अवस्थामे रेशम चौधरी रिहाइके मुख्य सर्त बनैले बा । इ समाचारले एक मेरिक तरंग आइल बा । चौधरी लगायत मधेस–थरुहट आन्दोलनके बन्दीके रिहाइ प्रमुख शर्त बनाइलमे ओम्ने प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली सकारात्मक हुइल समाचारमे जना गइल बा । जसपाके अध्यक्ष महन्थ ठाकुर यकर लग लबिङ कर्ले रहिट ।

ओहोर जनता समाजवादी पार्टीके संघीय परिषद् अध्यक्ष डा बाबुराम भट्टराई जसपा सरकारमे जैना शर्त रेशम चौधरीके रिहाइ अस्विकार्य हुइना बटाके डोसर तरंग लन्ले बाटै । एमालेके झापा विद्रोहसे लेके विप्लवके सशस्त्र गतिविधिसमके विसय राजनीतिक मुद्दाके रूपमे हल हुइना, मने रेशम चौधरी सहितके थरुहट आन्दोलनके नेतनके काहे रिहाइ नैहुइना डा भट्टराईके सवाल बाटिन । उहाँ रेशम लगायटके नेतनके रिहाइके शर्तहे आगे सारके ओली प्रतिगमन सरकारहे समर्थन करे नै सेक्ना फेन प्रस्टेइले बाटै । जसपाके डोसर अध्यक्ष उपेन्द्र यादवके बोलि फेन डा भट्टराईके बोलिसे खासे फरक नाइ हो ।

इहिसे जब जब सरकारमे संकट आइठ, टब टब टीकापुरके राजबन्दीन केवल बलिके छेग्रा किल बनल डेखाइठ । अब्बे ओली सरकारमे जसपा सामेल हुइना सवालमे डुइ गुट बिल्गाइटा । जसपा भिट्टरके पहिलेक् तमलोपा ओ राजपा समुह केपी ओलीक् सरकार रेशमहे रिहाइ करि टे सरकारमे जैना झन्डा डेखैटि बाटै  । ओहोर जसपा भिट्टरके पहिलेक् संघीय समाजवादी ओ बाबुराम समुह रेशमके रिहाइहे आगे सारके केपी ओलीक् सरकारहे समर्थन करे नैसेक्जैना बटैटि बाटै । जबकि जसपा किल समर्थन कर्लेसे ओली सरकार बँचे सेक्ना अवस्था बा ।

मुलधारके मिडियावाले रेशमके मुद्दा फिर्ता हुइहि नैसेक्ना कहिके चिल्लैटि बाटै । व्यक्तिहत्यामे संग्लग्न पहिलक सांसद बालकृष्ण ढुंगेल आममाफी पाके रिहा हुइल नजिर बा । टीकापुर घटना कौनो व्यक्तिहत्याके लग आगे सरल आन्दोलन नै रहे । ओहेसे इ सरासर राजनीतिक मुद्दा हो । सरकार इ मुद्दाहे सर्वोच्च अदालतहे निर्देशन डेके फास्ट ट्रयाकमे सुनुवाइ करे सेकठ । ओ, राजनीतिक मुद्दा कहटि आबक सम लगाइल आरोप फिर्ता लेके टीकापुर राजबन्दीन रिहा कराइ सेकठ ।

यहाँ टे थारुन् सवत्यक् लर्काके रुपमे व्यवहार हुइटि बा । लोकतन्त्र सक्हुन लग अइना हो । कोनो जाति विसेसके लग नाहि । हठियार उठाइल विप्लवहे सरकार आममाफी डेहे सेक्ना, मने आन्दोलनमे लट्ठि उठाइल थारुन् अभिन जेलेम कोच्ना ? सरकार ठन्डा डिमागले सोचे । कोनो फेन सरकार थारुन् अपन सत्ता बँचैना हठियार किल ना बनाए । नै टे एकडिन थारु हठियार उठैना बाढ्य फेन हुइ सेक्ठाँ ।

जनाअवजको टिप्पणीहरू