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ओझेलमे उपमहानगरभिटरके हिम्मतपुर

पहुरा | २ चैत्र २०७७, सोमबार
ओझेलमे उपमहानगरभिटरके हिम्मतपुर

बस्ती नै भारतमे निर्भरताके अवस्था

उन्नती चौधरी
धनगढी, २ चैत ।
‘यी ठाउँमे बसोबास कैलक २५ वर्ष हुसेकल, सरकारसे पाजिना आधारभूत सेवा सुविधासे वञ्चित बटी,’ बस्तीके भलमन्सा दुःखीराम चौधरी कठै ।

यी पिडा हो, भारतिया सीमा क्षेत्रसे जोरल धनगढी उपमहानगरपालिका–१९ हिम्मतपुरबस्तीके बासिन्दाहुकनके । मोहना लडिय पार रहल यी गाउँ उपमहानगरभिटर पर्ना हुइलेसेफे यहाँ आधारभूत सेवा सुविधा खानेपानी, बिजुली, विद्यालय, स्वास्थ्य सेवा, डगरघाट उपलब्ध नइहो ।

‘२५ वर्षआघे बस्ती बैठेबेर उराठ मरुभूमि रहे, नेपाली सीमाके पहरेदारके रुपमे बस्ती बैठके खनजोत करटी हरियाली बनैली,’ दुःखीराम कहठै,– ‘हम्रे आइबेर सारा बलुटिया रहे, अब्बे हरियर बनैले बटी, एक परिवारसे डेढ बिघाके दरसे उपभोग करटी रलेसेफे उब्जनीभर बहुट कम हुइठ ।’

भलमन्सा दुःखीराम कठै, ‘कुछ समयआछे धनगढी उपमहानगरसे एक ठो बम्मा गारडेले बा, ओम्नेफे आर्सेनिकयुक्त पानी आइठ, सरकारी कार्यालय धैलेसेफे कोई वास्ता नइकरलपाछे उहे पानी पिना बाध्य बाटी ।’ उहाँ नाती नातिनीयाहे स्कुल पढाई नइपाइल पीडाफे सुनैठै, १० जाने नाती नातिनीया बटै, भारतमे पढैना कर्रा बा, नेपालओर स्कुल पठैना मोहना लडिया बा, लडियामे झोलुंगे पुल बनाडेलेसे हमार लर्का बच्चा स्कुल पढे पैना रहिट ।’

यी बस्ती भारतमे निर्भर रहल बटैटी दैनिक उपभोग्य सामान खरिदके लाग दुधवा टाइगर रिजर्भ हुके भारतीय बजार सुडा जाई पर्ना बाध्य रहल भल्मन्सा बटैठै ।

गाउँमे विद्यालयफे नइहो, जिहीसे लर्कापर्का पढे पैले नइहुइट, कागजात नइहुके दुई छावाहे स्कुल पठाई नइपाइल हिम्मतपुरके स्थानीय बालकिसन रानाके गुनासो बा । ‘भारतके स्कुल दुर बा, दुर हुइलेसेफे भर्ना करे नइपाइल उहाँ कहठै ।’

‘भारतके स्कुलमे भर्ना कैना भारतीय रासन कार्ड, नागरिकता वा जन्मदर्ता प्रमाणपत्र चाहठ,’ बालकिसन कहठै, कुछ मनै भर छावाछाई पढाइक लाग भारतीय किसानके जमिन अधियाँ जोटके रासन कार्ड बनैले बटै, अपन ठे कुछ नइहुके चुप लग्ना बाध्यता बा ।’

बलौटे जमीन हुइल ओरसे उब्जनीफे मजा नइहुइठ, जिहीसे यहाँके बासिन्दा भारतमे मजदुरी करे जैना करल उहाँ बटैठै । ‘लर्कापर्काफे घरायसी काम करे भारत जैठै, बालकिसन सुनैठै, । ओइने उपभोग करटी रहल जमीनफे अपन नाउँमे नइहो, वर्षौ हुइलेसे लालपुर्जा नइरहल ओइने गुनासो करठै ।

घरेम चर्पीफे नइरहल ओरसे सकारे उठटीकी शौच करेफे भारतीय जंगलमे जाई पर्ना बाध्यता रहल बालकिसान बटैठै । उहाँ कठै, घरेम ट्वाइलेट बनाई नइसेक्गिल हो, गाउँमे जंगलफे नइहो, ओल्टार भारतीय बनुवा परठ, उहे जाई परठ ।’

बालकिसनहे सहजुल लग्लेसेफे हिम्मतपुरके ठगनीदेवी रानाहे भर सकस हुइठ । ‘भोज हुके आईबेर एकदम गाह्रो हुए, आजकाल्ह टे बानी परसेकल, टबफे कोई आजाईकी कहिके गाह्रो लागठ,’ ठगनी कहठी ।

ओटरा केल नाही, बनुवामे हेगेमुटे गैल बेला जंगली जानवरकेफे डर रहठ, बहुट चो बनसुव्वर, हाठी, मिल्गैल बटैै, आजकाल्ह टे झन बाघफे विल्गाई लागल उहाँ सुनैठी ।

ठगनी कहठी, ‘बाघ विल्गैनाफे स्वाभाविक हो, हिम्मतपुरबासी हेगेमुटे जाई पर्ना बनुवा भारतके दुधुवा टाइगर रिजर्भ हो ।’ यी रिजर्भमे ६९ ठो बाघ रहल तथ्यांक बा । यहाँ और जंगली जनावरफे अत्याधिक रहल बाटै ।

‘दैनिक उपभोग्य सामान लेहे जाई पर्ना होए वा मजदुरी करे जाई पर्ना होए, भारतमे जाई परठ, भारतीय बजार सात किलोमिटर दुर बा, तीन किलोमिटर टे जंगलेजंगल नेंगे परठ,’ ठगनीदेवी कहठी, ‘बजार गिलेसेफे जंगली जानवरके डर हुइना करल बा ।’ हिम्मतपुर बस्तीमे २२ घरधुरी रहल बा ।

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