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‘द्वन्द्वपीडितके समस्याके समाधान कैना तिनु सरकार जिम्मेवार हुई परल’

पहुरा | १३ चैत्र २०७७, शुक्रबार
‘द्वन्द्वपीडितके समस्याके समाधान कैना तिनु सरकार जिम्मेवार हुई परल’

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, १३ चैत ।
सुदूरपश्चिम प्रदेशके आन्तरिक मामिला तथा कानुन मन्त्री प्रकाशबहादुर शाह द्वन्द्वपीडितके समस्याके समाधान कैना तिनु सरकार जिम्मेवार हुई पर्ना बटैले बटी ।

‘द्वन्द्वपीडितके समस्या अभिनसमफे समाधान हुई सेकल नइहो’ महिला कानुन र विकास मञ्चसे आयोजना करल नेपालमे सशस्त्र द्वन्द्वके पीडितहुकनके परिपूरण तथा तत्कालिन आवश्यकताहे सम्बोधन कैना प्रदेश ओ स्थानीय सरकारके भुमिका विषयक कार्यक्रमहे सम्बोधन करटी मन्त्री शाह कहलै– ‘द्वन्द्वपीडितहुकनके पुनस्र्थापना, घाहिलहुकनके पहिचान, वेपत्ताके खोजी, अपाङ्गता रहल व्यक्तिहुकनके परिवारहे राहत लगायतके सक्कु कार्यक्रम तीनु तहसे करे पर्ना रहठ । एक सरकार जिम्मेवार नइरहल समस्या ज्यू“के त्यू“ रही ।’ उहाँ द्वन्द्वपीडितहुकनके समस्या समाधान कैना सबसे ढेर संघीय सरकार जिम्मेवार हुई पर्ना बटैलै ।

मन्त्री शाह प्रदेश सरकार जनताके सरकार रहल ओरसे द्वन्द्वपीडितके लाग कैसिक कार्यक्रम नाने परठ कहिके सरोकारवालाहुक्रे बेला–बेला सुझाव ओ दबाब डेहे पर्ना बटैलै । उहाँ कहलै –‘बोलुइयाके पीठा फे विक्ठ नइ बोलुइयाके चाउरफे नइविकठ  । ओस्टेक करके प्रदेश सरकारसे योजना, कार्यक्रम निर्माण करेबेर सरोकारवालाहुक्रे सुझाव डेना जरुरी बा ।’ उहाँ प्रदेश सरकारसे द्वन्द्वपीडितके लाग परिपूरण कोष स्थापना, समन्वय वा सहजीकरण, कानुन, नीति तथा कार्यक्रम नन्ना तथा बजेट निर्माण करेबेर द्वन्द्वपीडित लक्षित योजना नन्ना तयार रहल बटैलै ।

उहाँ समाजहे मेलमिलापके आधारमे आघे बढाई पर्ना सुझाव डेलै । उहाँ कहलै–‘द्वन्द्वसे समाजके विकास ओ आवश्यकता अनुसारके परिवर्तन रहठ । मने, द्वन्द्वके व्यवस्थापन कैना नेतृत्व ढेर जिम्मेवार हुई परठ ।’

प्रदेशसभा सदस्य विरमान चौधरी प्रदेश सरकारसे द्वन्द्वपीडित परिवारके लाग विशेष कार्यक्रम नाने पर्ना सुझाव डेलै । उहाँ कहलै –‘संघीय सरकारसे द्वन्द्वपीडित परिवारके बालबालिकाहे कक्षा १२ सम निःशूल्क शिक्षाके व्यवस्था करले बा । ओस्टेक करके प्रदेश सरकारसे उ पीडित परिवारका बालबालिकाहे उहीसे उप्परके शिक्षा निःशूल्क ओ रोजगारीके ग्यारेण्टीके कार्यक्रम नाने सेके परठ ।’ उहाँ अभिनसमफे प्रदेश सरकारसे द्वन्द्वपीडितके पक्षमे शिक्षा, स्वास्थ्य लगायतके टमान बाटहे समेटके ऐन नाने नइसेकल बटैलै ।

सामाजिक विकास समिति सभापति कुन्ती जोशी स्थानीय तह ओ प्रदेश सरकारके तीन वर्षके समिक्षा करेबेर द्वन्द्वपीडित परिवारसे सरकारके महसुश हुइना करके काम करे नइपाइल बटैली । उहाँ कहली–‘प्रदेश सरकारसे बनैना हरेक ऐनमे द्वन्द्वपीडितहे नइछुटयइना करके अनिवार्य उल्लेख करले बटी । मने, ओइने महशुशा हुइना करके योजना, कार्यक्रम आघे नइबह्रल ।’

प्रदेश सभा सदस्य टेकबहादुर रैका द्वन्द्वपीडितके नाममे टाठाबाठासे सहयोग पाइल बटैलै । उहाँ कहलै–‘द्वन्द्वकालमे अपाङ हुइल व्यक्ति सरकारसे सहयोग नइपैलै । एक लठ्ठी खउइया अब्बे ओइनके नाममे सहयोग लेटी रहल बा । यैसिन बाटके पहिचान सरकारसे करे परठ ।’

प्रदेश सभा सदस्य डिल्लीराज पन्त द्वन्द्वपीडित परिवारके यकिन तथ्यांक अभिनसम केक्रोठेन नइरहल बटैलै । उहाँ कहलै–‘सबसे महत्वपूर्ण कहल तथ्यांक हो । उहे आधारमे कार्यक्रम ओ योजना बन्ठै । मने, हमारठेन अभिनसम यकिन तथ्यांक नइहो ।’ उहाँ वर्गिकरण करके वास्तविक द्वन्द्वपीडित परिवारके तथ्यांक संकलन करे पर्ना सुझाव डेलै ।

द्वन्द्वपीडितहुकनके परिपूरण सञ्जाल कैलालीके संयोजक गणेश मल्लके अध्यक्षतामे हुइल कार्यक्रममे प्रदेश सभा सदस्य दुर्गा विक, महेशदत्त जोशी, मुख्यमन्त्री तथा मन्त्रीपरिषदके कार्यालयके कानुन सचिव गंगा खरेल, सामाजिक विकास मन्त्रालयके सचिव रघुराम विष्ट, कैलारी गाउ“पालिकाके अध्यक्ष लाजुराम चौधरी, धनगढी उपमहानगरपालिके वडा नम्बर २ के सदस्य रत्ना विष्ट लगायत अपन धारणा व्यक्त करटी द्वन्द्वपीडितके पक्षमे कार्यक्रम ओ योजना नन्नामे पहल कैना प्रतिवद्धता जाहेर करले रहिट ।

अधिवक्ता दीपेश श्रेष्ठ द्वन्द्वपीडितके पक्षमे प्रदेश सरकार ओ स्थानीय तहसे करे पर्ना भुमिकाबारे प्रस्तुतीकरण करले रहिट । इन्टरनेश्नल अल्र्टके कार्यक्रम संयोजक शोभाराम चौधरी स्वागत करल कार्यक्रमके सञ्चालन मञ्चके जिल्ला संयोजक तथा अधिवक्ता रेनु प्रधान श्रेष्ठ करले रहिट ।

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