ढुरहेरिक् शुभकामना

पहाडमे अटवारके ढुरहेरि मनागैलेसे फेन तराइ, मधेसमे सोमबारके ढुरहेरि मना जैटि बा । होरि, होलि शब्दके बेल्साइले ढुरहेरि मौलिक शब्द टे हेरैटि बा, इ टिउहार मनैना मौलिक टौरटरिका फे हेरैटि बा । ओसिन टे ढुरहेरिहे फाग खेल्ना फे कठ ।
पहिले पहिले ढुरहेरिक् अवसरमे फग्वाइ जैना बा कहिके गाउँभर झुमरा नाच कैटि गँवल्यन्केमे रङ छिरिक जाए । पुर्खन ठँरियनहे खिझाइक लग पहपट गाइट । जनकपुरी नगरी सुन भइला रे, सिता बिहारि रौना लैगैल रे जसिन डफ गीत डफ बजैटि गाइट । फाग पह्रके सब हस घरसे टिना मिलाके चुक्कि खाइट । असिक ढुरहेरिम गाउँ बहुट चम्पन रहे । मने फग्वइना चलन टे हेराइ लागल कलेसे गाउँक अग्वकमे टेल बुक्वा घँस्ना चलन कहाँसे बँचि ।
अज्कल डिजेके चलन बा । साहित्यकार छविलाल कोपिला इ बाजक् नाउँ कनफोर ढै डेल बाटैं । झुमरा नाच कैटि, फग्वइटि नेंग्ना बुह्रपुरान मनै हेरैटि बाटै कलेसे कनफोर बाजा बजैटि हिन्दी, भोजपुरी गानम् ढंग ना सहुरके मुन्टि हिलुइया युवन्के जमात बह्रटि बा । असिनमे कौन कोन्वम् बिल्लाइ हमार संस्कृति ?
कौनो फेन संस्कृति हम्रहिन विनासके डगरओर लैजैटि बा कलेसे उ विकृति हो । ओहेसे थारु संस्कृतिभिट्टर फेन कोनो विकृति बा कलेसे उहि ढिरे ढिरे छोरना ठिक हो । मने थारुन्के मजा संस्कृति हटाके औरेक नैमजा संस्कृति भोंर पैठैना कलक थारु पहिचान गँवइना हो ।
ढुरहेरिक अवसरमे गाउँक कुवा झरना पुरान चलन हो । गाउँमे कुवा हेरैटि बा, ओहेसे पिना पानीक् विकल्प रहल नल्का, धारा वरपर फे सरसफाइ करे परठ कना सन्देश डेहठ इ टिउहार ।
शिवजीके बुटि कहटि गाँजा, भाङमे फे मस्त हुइटि डेख्जाइठ ढुरहेरिम । असिन कुलतमे अपनेक लर्कापर्का लागल बाटै कलेसे कन्कनार रहि । अपने अभिभावक फे लर्कन डेखा डेखा, जे ट अग्वा टे डगर हेग्वा मेरिक काम ना करि ।
होरि रङके टिउहार हो । रङ खेलि मने जवर्जस्ति नाहि । कोरोना महामारी फेनसे सिल्गे डँटल बा । ओहेसे सकेसम घरहिं परिवारके बिच ढुरहेरि मनाइ । सक्हुन ढुरहेरिक् मंगलमय शुभकामना ।
