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कैलालीमे लाही उत्पादनमे वृद्धि

पहुरा | २१ चैत्र २०७७, शनिबार
कैलालीमे लाही उत्पादनमे वृद्धि

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २१ चैत ।
कैलालीमे लाहीके उत्पादनमे वृद्धि हुइल बा । गैल बरसके तुलनामे कैलालीमे इ बरस लाही दोब्बर उत्पादन बह्रल कृषि ज्ञान केन्द्र कैलालीके प्रमुख खगेन्द्रप्रसाद शर्मा बटैलै ।

औसतमे लाही प्रतिहेक्टर १० क्विन्टलसम उत्पादन हुइना करठ् । ‘गैल बरस प्रतिहेक्टर छ क्विन्टलके दरसे लाही उत्पादन हुइलमे इ बरसके बह्रके प्रतिहेक्टर १२ क्विन्टलसम उत्पादन हुइल बा,’ उहाँ कहलै, ‘गैल बरस लाहीखेती हुइल हिउँदे मौसममे अधिक वर्षा होके लाहीसंगे अन्य बालीके उत्पादनमे कमी आइल रहे । इ बरस मौसम अनुकूल रहल ओरसे गैल बरससे दोब्बरसे उत्पादन बह्रल बा ।’ इ बरस लाही बाली किल नैहोके अन्य बाली फेन मजा उत्पादन हुइना डेखल प्रमुख शर्माके कहाइ बा ।

लाही बाली उत्पादन मजा हुइलपाछे यहाँके किसान खुशी हुइल बाटै । कैलालीके जानकी गाउँपालिकाके किसान सन्देश चौधरी इ बरस १२ क्विन्टल लाही बिक्री करल बटैलै । प्रतिक्विन्टल रु १० हजारके दरसे बिक्री करल सन्देश रु एक लाख २० हजार आम्दानी करलै । ‘चार बिघा जमीनमे लाही खेती करल रहुँ । लाही मजा उत्पादन हुइल,’ उहाँ कहलै, ‘घरमे आवश्यक लाही राखके बाँकी बिक्री करनु । इ बरस लाहीखेतीसे सन्तुष्टि मिलल् बा ।’

सन्देश जस्टे लाहीखेती करल अन्य किसान फेन लाही उत्पादन ओ लाहीके बजार मूल्य मजा पाइलपाछे खुशी हुइल हुइट । लाही खेती स्याहारल अधिकांश किसान उहे खेतीमे छिटल मसरी सहेरे लागल बाटै । गैल बरस लाही उत्पादन कम हुइल कारण कैलालीमे लाहीके तेल पैना समेत कठिन हुइल रहे । कैलालीके मिल सञ्चालक इ बरस तेल बिक्रीके लाग आवश्यक लाही भण्डारण करसेकल बाटै । ‘गैल बरस हम्रे तेल बिक्रीके लाग लाही नैपैली, लाही पेरके बिक्री कैना मिलमे कारोबारसमेत नैहुइल । २०० प्रतिलिटर बिक्री हुइना तेल लाही अभाव हुइलपाछे २५० मे बिक्री करेबर फेन तेल अभाव हुइल,’ मिल सञ्चालक रवीन्द्र धामी कहलै । ‘इ बरस एक गोदाम लाही भण्डारण करले बाटुँ । मोर टे व्यवसाय नै लाहीके तेल बिक्री कैना हो । पाछे अभाव हुइठ् कना डरसे लाहीके भण्डारण बह्रैले बाटु ।’

कैलालीमे २० हजार हेक्टर क्षेत्रफलमे लाही खेती हुइना करल बा । मल ओ सिँचाइके उपलब्धतासे लाहीके उत्पादनमे भरपर्ना हुइल ओरसे इ बरस करीब २० हजार टन उत्पादन हुइल केन्द्र प्रमुख शर्माके कहाइ बा । ‘लाहीखेतीके उत्पादकत्व बह्राइक लाग लावा प्रविधि, उन्नत जातके बीयाके प्रयोगलेसमेत प्रभाव पर्ना करठ्,’ उहाँ कहलै, ‘पाछेक समय किसानसमेत बीया, मल ओ प्रविधि प्रयोगके सवालमे सचेत बने लागल बाटै ।’

किसानसे लगैना बालीके उत्पादन हरेक बरस घटबढ हुइना करठ् । मौसम अनुकूलता, सिँचाइ व्यवस्थापन, मल, बीउलगायतमे तालमेल मिलल्मे उत्पादन ढिउर लेहे सेक्ना कृषि विज्ञके सुझाव रहल बा ।

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