अन्न भण्डारनके लाग उपयुक्त ‘डेहरी’

अविनाश चौधरी
धनगढी, ०१ बैशाख । अन्न भण्डारणके लाग टिन ओ प्लाष्टिकके सामग्री अइलेसे फेन थारु समुदायसे प्रयोग कैटी आइल परम्परागत डेहरीके लोकप्रियतामे कमी आइल नैहो ।
अन्न भण्डारनके लाग डेहरी ढिउर उपयुक्त रहल ओरसे यकर लोकप्रियता कायमे रहल हो । इ समुदायके मनै अन्न भण्डारणके रुपमे परम्परागत डेहरी प्रयोग कैटी आइल बाटै । जौन, माटीसे बनल रहठ् ।
‘डेहरी हमार लाग काल्हके दिन जत्रा महत्वपूर्ण ओ लोकप्रिय रहे, आज फेन ओत्रे महत्वूर्ण ओ लोकप्रिय बा,’ कैलालीके कैलारी गाउँपालिका–७ बसन्ताके सुनिता चौधरी कहली, ‘अन्न भण्डारनके लाग इ नैहोके नैहुइठ् ।’ काल्हके दिन पुर्खाहुक्रे फेन डेहरीके प्रयोग करल ओ अपनेहुक्रे फेन प्रयोग कैटी आइल उहाँ उल्लेख करली ।
डेहरी माटी ओ धानक बुसा मिलाके बनैना करजाइठ् । जत्रा मजा माटी, ओत्रे बलगर डेहरी बन्ना करल बटाइल बा । अइसीन डेहरी गाउँघरके सिपार महिला बनैना करठै । अइसीक माटीसे बनाइल डेहरीमे धान, गहुँ, मसुर, जैसिन अन्नबाली भण्डारन कैके रख्ना करल जनाइल बा ।
डेहरीमे अन्न भण्डारन कैके राखके एक÷दुई बरससम सुरक्षित रहना करल स्थानीय वृद्धा सोनकेशरीदेवी चौधरी बटैली । ‘डेहरीमे खाद्यान्न रख्बो कलेसे एक/दुई बरससम सुरक्षित रहना करठ्,’ उहाँ कहली, ‘सजिले घुन लगायत अन्य किरा अन्नमे नैलग्ठै ।’
पाछेक समय अन्न भण्डारनके लाग बजारमे टिन ओ प्लाष्टिकके टमान मेरके ‘डिब्बा’ आइल बा । मने, बजारमे पैना ओइसीन वस्तुके प्रयोग थारु समुदायमे ढिउर नैहो । गाउँघरमे टे झन शतप्रतिश परिवारमे अन्न भण्डारनके लाग डेहरी नै प्रयोग हुइटी रहल बा ।
टिन ओ प्लाष्टिकके भाँडामे अन्न भण्डारन कैके रख्लेसे बिग्रना रकल ओरसे डेहरी नै मजा रहना गृहणी सुनितादेवी चौधरी बटैली । ‘टिन ओ प्लाष्टिकके भाँडामे अन्न गिला होके कुह जाइठ्,’ उहाँ कहली, ‘मने, डेहरीमे ढिउर समयसम सुरक्षित रहना करठ् ।’
थारु समुदायमे डेहरी लोकप्रिय किल नैहो, यकर सामाजिक, साँस्कृतिक ओ धार्मिक महत्वसमेत रहल बा । घरमे माटीके डेहरी ढिउर रहना परिवारके समाजमे प्रतिष्ठा फेन ढिउर रहना करल बटाजाइठ् । जेकर घरमे ढिउर डेहरी, ओकर ढिउर सम्पत्ति रहना करल इ समुदायके मनै विश्वास करटी आइल बाटै ।
‘यदि, घरमे डेहरी नैहो, कलेसे यकर टे सम्पत्ति नैहो कना मेरके छरछिमेक ओ समाज बुझ्ना करठै,’ बसन्ताके वृद्धा सोनकेशरीदेवी कहली । ‘जेकर घरमे ढिउर सम्पत्ति । ओकर घरमे डेहरी फेन ढेर ।’ प्रायः कृषिमे आश्रित थारु समुदाय आपन सम्पत्ति डेहरीमे भण्डारन कैना करल बुझाइ बा ।
ओस्टके, हरेक घरमे एकठो मुख्य डेहरी रहठ्, जिहीहे ‘पटहवा’ डेहरी कहिजाइठ् । इ डेहरीके सम्बन्ध घरके देवीदेवतासंग रहना करल बटाजाइठ् । इ डेहरीसंगे जोँटाके देवीदेवता राख्न करजाइठ् । डशै, डेवारीमे देवीदेवताके पूजा कैना क्रममे चाउरके पिठाके छाप पटहुवा डेहरीमे फेन लगैना करल सोनकेशरीके कहाइ बा । ‘ओहेमारे डेहरी हमार समुदायके लाग महत्वपूर्ण बा,’ उहाँ कहली, ‘मै जन्ना बुझ्नाहा हुइलठेसे समुदायमे डेहरीके महत्व जैसिन डेख्नु । आजफेन ओस्टे बा ।’
थारु समुदाय चाउर, मसरी, लाही जैसिन खाद्यवस्तु राखक लाग डेहरीसे छोट माटीके कुठली प्रयोग कैटी आइल बाटै । ओस्टके, आगी टापक लाग माटीके लैया, खाना पकाइक लाग माटीक चुल्हा फेन बनाके प्रयोग कैना करल जनाइल बा ।
थारु समुदायमे अन्न भण्डारनके लाग भकारीके रुपमे डेहरीके प्रयोग पहिलेसे चलनचल्तीमे रहल कैलारी गाउँपालिका–७ के वडा अध्यक्ष कमलप्रसाद चौधरी बटैलै । ‘अइसीन विषयमे हमार पुर्खा ढिउर विद्वान रहिट,’ उहाँ कहलै, ‘ओहेमारे हमार समुदायमे माटीक डेहरी आनि जीवन्त बा ।’ उहाँ किरासे अन्न बचाइक लाग डेहरी ढिउर उपयुक्त रहल उल्लेख करलै ।
