थारु राष्ट्रिय दैनिक
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लुइस ग्लुक के दुई कविता

पहुरा | ४ बैशाख २०७८, शनिबार
लुइस ग्लुक के दुई कविता

१.

टुँ टिरेन पकरठो
व हेरा जैठो
टुँ मोका मे आपन नाँउ लिखठो
व हेरा जैठो
यि दुनिया संसार मे महा ढेर असिन ठाँउ बा,
हाँ, महा ढेर असिन ठाउँ बा
जहाँ टुँ आपन यौवन लेके जैठो
लकिन कब्बो नै घुमके आइसेक्ठो…

२.

उ कहलस्, मै आपन हाँठ से मिच्छा रखलुँ,
मैं उरक लग डैना चहठुँ,
लकिन मनै बनल रहक लग टे हाँठ जरुरी रहठ,
बिना हाँठक का कैबो टुँ ?
मै मनैन् से फेन मिच्छा रखलुँ,
मै आब सुर्य (डिन) मे जाके बैठक चहँठु ।

अनुवादः अर्नव चौधरी
(लुइस ग्लुक नोवेल पुरुस्कार विजेता अम्रिकी कवि व निबन्धकार हुइँट)

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