मुख्य बाली उत्पादनमे वृद्धि

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, ३ बैशाख । उन्नत बीउबिजनके प्रयोग बह्रलसंगे सुदूरपश्चिम प्रदेशमे धान ओ गहुँलगायत मुख्य बालीके उत्पादकत्व पाछेक बरसमे वृद्धि हुइटी गैल बा ।
सिँचाइके सुविधा पहिलेकसे थप क्षेत्रमे विस्तार हुइटी गैल ओ किसान कृषिसम्बन्धी प्रविधिसे जानकार हुइटी गैल ओरसे फेन उत्पादन बह्रटी गैल क्षेत्रीय कृषि विकास निर्देशनालय जनैले बा । ‘उन्नत बीउके प्रयोग ओ किसान कृषिके प्रविधिसे जानकार होके धान गहुँ लगायतके बालीके उत्पादन ओ उत्पादकत्व फेन बह्रल बा,’ निर्देशनालयके निर्देशक यज्ञराज जोशी कहलै, ‘पहाडके छ जिल्लामे भर खाद्यान्न उत्पादन पर्याप्त नैहोके तराईके जिल्लासे आपूर्ति हुइना करल बा ।’ पहाडी जिल्ला डोटी, अछाम, बझाङ, बाजुरा, दार्चुला ओ बैतडीमे हुइना बालीके उत्पादनसे उ जिल्लाके जनसंख्याके लाग खाद्यान्न अपर्याप्त हुइना करल जनाइल बा ।
तराईके कैलाली, कञ्चनपुर ओ पहाडके डडेलधुरा जिल्लामे उत्पादन हुइना खाद्यान्नसे उ जिल्लाके खाद्यान्न अभाव नैहुइना जनाइल बा । प्रदेशके नौ जिल्लामध्ये कैलाली ओ कञ्चनपुर जिल्लामे धान, मकै ओ गहुँ खेती करजैना क्षेत्रफल ओ उत्पादन परिमाण पहाडी जिल्लासे ढिउर बा ।
आर्थिक बरस २०७५/७६ के तथ्यांकके अनुसार प्रदेशमे एक लाख ८१ हजार ३९८ हेक्टर जग्गामे करल धान खेतीके उत्पादन छ लाख दश हजार ३२८ मेट्रिक टन ओ उत्पादकत्व प्रतिहेक्टर तीन दशमलव ३६ मेट्रिक टन रहे ।
आर्थिक बरस २०७६/०७७ सम आपुगलमे एक लाख ८७ हजार ३२ हेक्टरमे धान खेती करलमे उत्पादन छ लाख ५८ हजार ४२९ मेट्रिक टन ओ उत्पादकत्व प्रतिहेक्टर चार मेट्रिक टन पुगल बा । मकै बाली आव २०७५/०७६ मे ५० हजार ५६९ हेक्टरमे करलमे ९३ हजार ३८६ं५ मेट्रिक टन उत्पादन ओ उत्पादकत्व प्रतिहेक्टर एक दशमलब ८५ मेट्रिक टन रहे । आव २०७६/०७७ मे मकै खेतीके क्षेत्रफल ५१ हजार ३३२ हेक्टर पुगेबर उत्पादन ९२ हजार ८७५ मेट्रिक टन तथा उत्पादकत्व प्रतिहेक्टर दुई मेट्रिक टन पुगल बा ।
आर्थिक बरस २०७५/०७६ मे एक लाख ४२ हजार ७३९ हेक्टरमे गहुँके खेती करलमे उत्पादन तीन लाख २० हजार ८२ मेट्रिक टन ओ उत्पादकत्व प्रतिहेक्टर दुई दशमलब २४ मेट्रिक टन रहे । आर्थिक बरस २०७६/०७७ मे इ बालीके खेती एक लाख ५३ हजार १४६ हेक्टरमे करलमे उत्पादन तीन लाख ३८ हजार ६५९ मेट्रिक टन ओ उत्पादकत्व प्रतिहेक्टर दुई मेट्रिक टन पुगल बा ।
आघेक बरसके तुलनामे आव २०७६/०७७ मे गहुँखेती करल क्षेत्रफल बह्रल रलेसे फेन प्रतिकूल मौसमके कारण उत्पादकत्व भर कुछ घटल डेखल बा । तथ्यांकमे प्रदेशमे कोदो १८ हजार ८७ हेक्टर, फाँपर ३४८ हेक्टर ओ जौँ बालीके खेती नौ हजार ११९ हेक्टरमे कैना करलमे इ बालीके उत्पदकत्व फेन आघेक बरसके तुलनामे वृद्धि हुइल उल्लेख बा । कोदो ओ फाँपरके खेती पहाडी ओ हिमाली जिल्लामे हुइना करल बा ।
इ बाहेक प्रदेशमे वार्षिक तेलहन ३५ हजार ३२० ओ दलहन ४८ हजार ४०८, आलु दुई लाख सात हजार ९८१, उखु दुई लाख ४१ हजार १५७ ओ ताजा तरकारी तीन लाख ४५ हजार १३४ मेट्रिक टन उत्पादन हुइना करल बा । पशुपंक्षीजन्य पदार्थको उपलब्धतातर्फ दूध २४४ हजार मेट्रिक टन, मासु ३१ हजार मेट्रिक टन ओ फूल नौ करोड गोटा उत्पादन हुइना करल बा । चालू आर्थिक बरसमे टमान बालीके उत्पादन बारेके तथ्यांक तयार हुइना बाँकी रहल जनाइल बा ।
‘क्रफ कटिङ’के आधारमे टमान बालीके उत्पादन ओ उत्पादकत्वके तथ्यांक निकर्ना करजाइठ् । प्रदेशमे कूल खेतीयोग्य जग्गामध्ये झण्डै ५४ प्रतिशत जग्गामे सिँचाइके सुविधा हुइलमे बाँकी जग्गामे आकाशके पानीके भरमे खेती हुइना करल बा । प्रदेश सरकारके बजेट नीति कार्यक्रममे कृषि क्षेत्रके विकासहे पहिल प्राथमिकता डेहल बा ।
पञ्चशक्ति सिड कम्पनी प्रालि कैलालीके सञ्चालक विष्णुराज बुर्लाकोटी पाछेक बरसमे कृषि प्रसारके क्षेत्रमे काम मजा होके बालीके उत्पादन बह्रल बटैलै । ‘कृषक उन्नत बीउके पहुँचमे सहज ढंगसे पुगेबर बालीके उत्पादन फेन बह्रल डेखाइ बा,’ उहाँ कहलै । प्रदेशमे बीउबिजन गुणस्तर नियन्त्रण केन्द्रसे अनुमति लेके उन्नत बीउबिजन उत्पादन कैना निजी कम्पनी स्थापना हुइटी रहल बावै ।
आधुनिक औजारसे खेती कैना सहज
खेत खनजोत कैना, बाली कट्ना ओ डैना जैसिन काममे आधुनिक कृषि औजारके प्रयोग बह्रे लागलपाछे कृषकहे गहुँ ओ धानलगायत खेती कैना पहिलेकसे सहज हुइटी गैल बा । आधुनिक कृषि औजारके प्रयोगसे खेती करेबर समयके बचत हुइनाके साथे परिश्रमसमेत कम करे पर्ना होके पहिलेकसे ढिउर सहज हुइल कैलालीके किसान भोजराज ओझा बटैलै ।
‘पहिले गोरुसे नै खेत खनजोत कैना ओ पाकेके बाली दाइ करे परे, पाछेक बरसमे ट्र्याक्टर, पावर टिलर, थ्रेसर मेशिन जैसिन आधुनिक कृषियन्त्रके प्रयोग बह्रेबर ढिउर सहज हुइल बा,’ उहाँ कहलै, ‘समयमे मलखाद, बीउबिजन, सिँचाइके सुविधा नैहोके समस्या समस्या हुइना करल बा ।’
खेतमे रासायनिक मलखादके जथाभावी प्रयोगसे भर माटी बिग्रटी गैल किसानके अनुभव बा । बाली लगाइबर गोबर कम्पोष्ट मलके प्रयोग घट्टी जाके यकर विकल्पमा प्रयोग कैना करल रासायनिक मल माटी बिग्रल ओझा बटैलै ।
गहुँ बाली भित्र्याइना चटारो
सुदूरपश्चिम प्रदेशके किसानहे इ बेला गहुँबाली काटके भित्र्याइना चटारो बह्रल बा । कोरोना भाइरस संक्रमणके जोखिम रलेसे फेन पासेकल गहुँबाली भित्र्याइ परल स्थानीय किसान रामबहादुर चौधरी बटैलै । उहाँ कहलै, ‘कोरोना फेनसे बह्रल सुनजाइठ्, कोरोनासे कुछ त्रास बह्रैलेसे फेन स्वास्थ्य सुरक्षाहे ध्यान डेके गहुँबाली काटे परल ।’
किसानके मुख्य आम्दानी स्रोतके रुपमे गहुँ ओ धानबाली रहल बा । कृषक आपनहे आवश्यक पर्ना खाद्यान्न घरमे भण्डारण कैके ढिउर रहल गहुँ ओ धान बिक्री कैके खर्चके जोहो कैना करल बाटै । कृषि निर्देशनालयके निर्देशक जोशी इ बरस गहुँ उत्पादन गैल बरससे कुछ वृद्धि हुइल अनुमान करलेसे फेन यकिन तथ्यांक अइना समय लग्ना बटैलै ।
