गोचाली परिवारके पचास बरस

इहे वैशाख १ गटे गोचाली परिवार अपन स्ठापनाके पचास बरसके डुह्रिं डाबके स्वर्ण जयन्ती मनैले बा । पचास बरस ओस्टे फेन करिबन डुइ पुस्टा हो । २०२८ सालमे गोचाली परिवार थारु भासक् पहिला पत्रिका गोचाली प्रकासन कर्ले रहे, मने गोचाली पत्रिका अब्बे भर नियमिट नैहो । गोचाली परिवार पत्रिकाहे नियमिट कैना जनैले बा ।
थारु भासामे जागरन लानक लग ‘गोचाली’क् टेकल पौलि अपनेमे ऐतिहासिक बा । २०२८ सालमे जो पत्रिकाके संगसंगे निकारल ‘हमार कहनाइ’ पर्चा फेन टबेक सासकलोगनके मोटुक ढकढिउरि बह्रैले रहे । गोचाली परिवार प्रगतिशील समाज बनाइक लाग सुरु करल अभियान रहे । उहेसे यकर निकारल पत्रिकाके रचना फे प्रगतिशील बा । गैलक अठवार मनगैल स्वर्ण जयन्तीके अवसरमे गोचाली परिवारहे बैचारिक पुनर्जागरण करके रणनैतिक ढंगसे आघे बर्हैना निर्णय हुइल जनगिल बा । यकर लग गोचाली परिवारहे सांगठनिक रुपमे विस्तार कइके पालिका ओ जिल्ला हुइटि राष्ट्रिय रुपमे विस्तार कैना फेन जनागिल बा । लावा जोश जाँगरके साठ गोचाली परिवारके कल्गि फेन डोस्रे लग्ना मजा बाट हो ।
गोचाली पत्रिकाहे थारु भासाके मानकता ओ मानक लेखनके लाग अगुवाइ कर्ना संस्थाके रुपमे विकास कर्ना फेन कहिगैल बा । यकर संस्थापक सम्पादक महेश चौधरी २०२८ सालमे गोचाली निक्रेबेर जस्टे भासा बेल्सले रहे, ओस्टे भासा अब्बे फेन बेल्सना चाहि कना पुरन्या विचार ढैटि आइल बाटैं । छविलाल कोपिलाके सम्पादनमे निकरटि रहल ‘लावा डग्गर’ साहित्यिक पत्रिका आपन लेखनके सैलि बना सेकल । गोचाली पत्रिका आब नियमिट हुइ कलेसे यकर फेन लेखन सैलि जरुरि बा । उपरसे गोचालीहे लौसर्ना टिम मानक लेखनके लाग अगुवाइ कर्ना संस्थाके रुपमे विकास कर्ना मनसुवा बनैटि बा कलेसे लेखनमे लागल स्रस्टनके भेला कराए, छलफलमे आइल निचोडहे मानकता डेहे ।
गोचाली परिवारके डोसर उड्डेस्य थारु लोकसाहित्यके अध्ययन, अनुसन्धान, प्रकासनमे फेन महत्वके साठ काम कैजैना बाट आइल बा । ओस्टक थारु भासा साहित्य ओ संस्कृति क्षेत्रमे कलम चलैना स्रस्टन प्रोत्साहित करक लाग गोचाली साहित्य पुरस्कार घोसना फेन कर्ना जानकारी आइल बा । पचास बरस पुगल अवसरमे गोचाली परिवारके इ टमाम कामके घोसनाले गोचाली जुर्मुराइल हस लागठ । गोचालीक् घोसना करल अभियान खालि अभियानमे किल सिमिट ना रहे, कार्यान्वयनमे जाए ।
