संविधानविपरीत सुदूरपश्चिम सरकार पुनर्गठन

धनगढी, १५ जेठ । शुकके बिहानसम मुख्यमन्त्री सहित ५ सदस्य सुदूरपश्चिम प्रदेशके मन्त्रिमण्डल साँझके ११ सदस्यीय पुगल बा ।
पुरान मन्त्रिमन्डलमे रहल सामाजिक विकास मन्त्री कृष्णराज सुवेदी ओ उद्योग वन तथा वातावरण मन्त्री माया भट्ट राजीनामा डेली कलेसे आन्तरिक मामिला तथा कानुन मन्त्री प्रकाश शाह मन्त्रालय फेरले बाटैं ।
अन्य ४ जहनहे मुख्यमन्त्री त्रिलोचन भट्ट मन्त्रीमे नियुक्त करलैं । अइसिक सुदूरपश्चिम प्रदेशके मन्त्रिमन्डल जम्बो बनल बा ।
मुख्यमन्त्री भट्ट संविधान बर्खिलाप जम्बो मन्त्रीमण्डल विस्तार करल आरोप बा ।
संविधानके धारा १६८ मे प्रदेश मन्त्रिपरिषद् गठन सम्बन्धी प्रावधान उल्लेख करल बा । ओकर उपधारा ९ मे कहल बा, ‘प्रदेश प्रमुखसे मुख्यमन्त्रीके सिफारिसमे प्रदेश सभाके सदस्य मध्येसे समावेशी सिद्धान्त बमोजिम मुख्यमन्त्रीसहित प्रदेश सभाके कुल सदस्य संख्याके २० प्रतिशतसे ढेर नैरना मेरिरक प्रदेश मन्त्रिपरिषद् गठन करजाइ ।’
५३ जाने सदस्य रहल प्रदेश सभामे हाल ५२ जाने किल सांसद बाटैं । संविधानके धारा १६८ के उपधारा ९ बमोजिम कुल सदस्यके २० प्रतिशत मन्लेसे १०.४ हुइठ ।

यिहिनसे मन्त्रिपरिषद् १० जाने किल बनाइपरना बाध्यकारी प्रावधान रहल संविधानसभा सदस्य समेत रहल हालके प्रदेश सभा सदस्य भरतबहादुर खड्का बटैलैं ।
‘अब्बे प्रदेश सरकारसे संविधान विपरीत मन्त्रिपरिषद् विस्तार करल बा,’ उहाँ कलैं, ‘१० जाने मन्त्री बनाइपरनामे ११ मन्त्री हुइ परना संविधानके बर्खिलाप हो ।’
५२ जाने प्रदेश सभा सदस्य रहल प्रदेशमे ११ सदस्यीय मन्त्रिपरिषद् हुके २१ प्रतिशत हुइठ । संविधानसे २० प्रतिशत से ढेर नैहुइना कटि कटि २१ प्रतिशत मन्त्री रहना संविधान विपरित रहल संविधान सभा समेत रहल विघटित प्रतिनिधि सभा सदस्य नारदमुनि राना बटैलैं । ‘यी गठन प्रक्रिया गलत ओ संविधानके भावना विपरीत बा,’ उहाँ कलैं ।
शुकके मन्त्रिपरिषद् विस्तार करना मुख्यमन्त्री कार्यालयमे छलफल हुइटी रहे । उहाँ सुदूरपश्चिम प्रदेशमे मुख्यन्यायाधिवक्ता कुलानन्द उपाध्याय फेन रहैं । मने, मुख्यमन्त्री भट्ट उपाध्यायहे मन्त्रिपरिषद् विस्तारमे संवैधानिक असरबारे कौनो प्रतिक्रिया नैलेनैं । मने, उहाँ ११ जाने मन्त्रिनियुक्तिके विषय सामान्य रहल बटैठैं ।
‘प्रदेश सभा सदस्य कलेक ५३ जाने मानजाइठ । ५३ जानेक २० प्रतिशत १०.६ हुइठ,’ उहाँ कलैं, ‘यिहिनहे ११ मन्लेसे फेन फरक नैपरठ ।’
