थारु राष्ट्रिय दैनिक
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राष्ट्रपति भण्डारीसे सिन्धुलीगढी युद्ध संग्रहालयके उद्घाटन

पहुरा | १३ श्रावण २०७८, बुधबार
राष्ट्रपति भण्डारीसे सिन्धुलीगढी युद्ध संग्रहालयके उद्घाटन

सिन्धुली, १३ सावन । राष्ट्रपति विद्यादेवी भण्डारी सिन्धुलीगढी युद्ध संग्रहालयके उद्घाटन करले बटि । सेनासे निर्माण करल उ संग्रहालयके राष्ट्रपति भण्डारी बुधके बिहान उद्घाटन करलि ।

ऐतिहासिक सिन्धुलीगढीमे निर्माण हुइल युद्ध संग्रहालयमे वीर गोर्खा फौज ओ अंग्रेज सेनाबीच विक्रम संवत १८२४ मे हुइल लडाइँहे स्मरण करैना सामग्री ढरल बा । तत्कालीन समयमे गोर्खा फौजसे इस्ट इन्डिया कम्पनीक अंग्रेज फौजहे हटैले रहे ।

संग्रहालयके डिजिटल बोर्डमे वीर योद्धाहुकनके नामांकन करल बा कलेसे ६ हजार २८१ स्क्वायर फुटके यी संग्रहालयमे युद्धके झल्को डेना लोपोन्मुख सामग्री सबजैसिन ढरल बा । ६ कोठे यी संग्रहालयमे ढरल युद्धकालीन हातहतियार ओ दस्तावेजसे इतिहासके खोजी करना थप मद्दत मिल्ना सिन्धुलीगढीके अन्वेषणकर्ता सागर ढकाल बटैलैं । ‘यी संग्रहालय ओ सिन्धुलीगढी परिसर आब खोजकर्ता ओ जिज्ञासुहुकनहे मजा अध्ययनके ठाउँ बनि,’ उहाँ कलैं, ‘नेपालीके लाग किल नैहुो, अंग्रेजहुकनहे समेत पितापुर्खाके लडाइँके विषयमे थप कौतुहलता जगाके डो¥याके नानि ।’

निर्माणकर्ता वर्दबहादुर गणके गणपति विजय थापा सात करोड रुपैयाँ लागतमे सिन्धुलीगढीमे युद्ध संग्रहालय निर्माण हुइल जानकारी डेलैं । आन्तरिक सजावट, योद्धाहुकनके सालिक, तथा अन्य निर्माणमे नगरपालिका लगानी करले बा ।

संग्रहालयभित्तर वृतचित्रमार्फत गढीके ऐतिहासिक सामरिक महत्व प्रर्दशन करे सेक्ना थिएटर, तत्कालीन समयमे सेनासे प्रयोग करल घरेलु हातहतियार, तोप, गोला, दस्ताबेज, युद्धकालीन समयमे घरेलु सेना ओ अंग्रेज सेनाके पोशाक प्रर्दशनलगायत संग्रहित करके ढरल बा । नेपाल एकीकरणके समयमे गोर्खाली सेना अंग्रेज फौजहे सिन्धुलीके सिन्धुलीगढी, मकवानपुरके मकवानपुरगढी, रौतहटके समनपुर ओ रुपन्देहीके जितगढी युद्धमे हेराइल इतिहास रहल ओरसे उ स्थानमे नेपाली सेना युद्ध संग्रहालय बनैना योजना आघे सारल बटैले बा ।

तत्कालीन कान्तिपुरके राजा जयप्रकाश मल्लहे सहयोग करना कप्तान किनलोकके नेतृत्वमे आधुनिक हतियारसहित आइल २४ सयके संख्यामे रहल अंग्रेज फौजहे नेपाल एकीकरणमे रहल गोर्खाके राजा पृथ्वीनारायण शाहके गोर्खाली फौजसे सिन्धुलीगढीमे घरेलु हतियार ओ रैथाने झारपात, अरिंगालके गोलाके मद्दत लेके युद्धमे पराजित करके भगैले रहे । गोर्खाली फौजके नेतृत्व वंशु गुरुङसे करल इतिहासमे उल्लेख बा ।

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