थारु राष्ट्रिय दैनिक
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रानाथारु समुदाय तिज मनैलै

पहुरा | २७ श्रावण २०७८, बुधबार
रानाथारु समुदाय तिज मनैलै

परम्परागत संस्कृति जोगाइक लाग एकरुपता आवश्यक

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २७ सावन ।
सुदूरपश्चिम प्रदेशके कैलाली कञ्चनपुरमे बसोबास करुइया रानाथारु समुदायहुक्रे तिज पर्व मनैले बटै ।

डाडुभैया, भतिजुवाके जीवनरक्षा, दीर्घायु, सुख और समृद्धिके कामना करटी निराहर व्रत बैठटी तिज पर्व मनैना चलन रहल बा ।

बुधके रोज धनगढीेमे राना महिला समुह एक कार्यक्रमके आयोजना करके तिज पर्व मनैले बा । उ कार्यक्रमके वडका पहुना रहल सुदूरपश्चिम प्रदेश सभा सदस्य मालामति राना रानाथारु समुदायमे एकरुपता नइहुइल कारण सरकारसे विदाके लाग दवाब डेहे नइसेकल बटैलै । तिज मनाइक लाग स्थानीय सरकारसे आर्थिक सहयोग नइकरल प्रदेशसभा सदस्य राना बटैली ।

कञ्चनपुर जिल्लाके लालझाडी गाउँपालिका स्थानीय विदा डेलेसेफे और स्थानीय तह विदाके डेहे नइसेकल बटैली । तिज रानाथारु महिलाके लाग महत्वपूर्ण पर्व हो, तिज मनाइक लाग लठठी टेक्ना महिलाफे अपन लैहर आइल रठै ।

नेपाल रानाथारु समाजके पूर्व सचिव कौशिल्या राना कलासंस्कृतिमे राजनीतिकरण, पार्टीकरण नइहुई पर्ना बटैली । समुदाय समाजके संस्कार अनुसार नेंगे परल, उहाँ कहली, संस्कृतिहे राजनीतिकरण करलेसे पछिल्का पुस्तामे हस्तान्तरण करले नइसेक्जाई ।

धनगढी उपमहानगरपालिका वडा नम्बर ८ के वडा सदस्य पार्वती विक रानाथारु समुदायमे एक रुपता नइरहल बटैली । तिहुवार सक्कु जानेक अक्के रहल ओरसे यिहीहे संस्थागत करक लाग एकरुपता आवश्यक रहल उहाँ बटैली ।

राना महिला समुहके अध्यक्ष तथा नेपाल रानाथारु समाजके केन्द्रीय कोषाध्यक्ष कन्दकला राना रानाथारु सुचिकरण हुसेकल ओरसे यी समुदायके सक्कु तिहुवार मनाइक लाग एकरुपताके साथ आघे बह्रना बटैली । कोरोनाके कारण संवाद करे नइसेकल ओरसे तिहुवार मनैनामे एकरुपता आइनइसेकल बटैली ।

तिज पर्व कब ओ काहे मनाजाइठ

सावन शुक्लापक्ष अर्थात सावनके ओजारियाके तृतिय तिथिके दिन तिज तिहुवार मनाजाइठ । सावन महिनाके अँन्धरियासे गाउँगाउँमे डोला (बहला ) डरना शुरू कैजाइठ । परम्परागत पोसाकमे सजके रानाथारू समुदायके महिला सावनभर बहला (डोला) डोलके गाजैना परम्परागत गीत गैठै । खेतीपती सब उसरल ओरसे फुरसदमे भोज हुइल महिला अपन लैहर अइठै, ओ यी तिहुवार एक पाख भर डोला डोलके मनैठै ।

डोला बनैनामे सक्कु जे सहयोग करठै । भैयाबहिनिया मिलके बनुवामे जाके बन्कस काटके नन्ठै, उहीहे बँटके ठुल्ह पगहा बनैठै ओ बल्हा बनैठै । संकटसे मुक्ति पाइक लाग महिला डाडा, भैया भतिजुवाके जीवनरक्षा, दीर्घायु, सुख और समृद्धिके लाग व्रत बैठै । व्रत सावन महिनाके ओजरियक तृतीयाके दिन तिजके मुख्य दिन मानाइठ ।

यी दिन डिडीबहिनीया निराहार व्रत बैठनाके चलन बा । व्रत बैठल डिडीबहिनीयँ ब्रत खोलेक लाग सिमही, गुलगुला, पुरीलगायत परम्परागत परिकार पकैठै । ब्रत बैठल महिला साँझके लडियाके किनारे जाके झुडकि पुहैठै । गडरौदाँ जातके घाँस या कुसमे भोज हुइल महिला सात औ कुवाँरी लैन्डी पाँच गाँठी बाँधके ओकर पुजा करठै औकर पूजा करठै । पूजा ओरुवाके चाँदीक गहना वा सिक्कासे उहीहे काटके प्रसादके रूपमे सक्कु परिकार धारके लडियामे पुहैठै ।

पुहाईबेर डिडीबहिनीय अपन डाडाभैया, भतिजुवक धन सम्पत्ति प्रगति और दीर्घायुके कामना करठै । ओ कहठै की जैसिक जैसिक लडियक पानी बहे ओसिक मोर डाडाभैया, भतिजुवक उमर बह्रे । औ जब ब्रत खोलके घर लौटेबेर डाडाभैया, भतिजुवा डिडीबहिनीयनके डगरमे पटाकि बाँधके रोकठै ओइनसे पुरी सिमहि( प्रसाद­) मागठै ।

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