थारू मानक भाषा बहस कौन चरणमे पुगल ?

थारू लेखक संघ नेपालके आयोजनामे पाँचौँ संस्करणसम थारू मानक भाषा बहस प्रमुख स्थान ओगटले बा । यिहे सम्मलेनसे थारू मानक भाषाके जन्म डेहल कलेसे किहुहे आपत्ति नैहुइ । यकर प्रमुख श्रेय वरिष्ठ साहित्यकार तथा भाषा विद् डा. कृष्णराज सर्वहारी, सुशील चौधरी, छविलाल कोपिलालगायतके सक्कु टीमहे जाइठ । यकर पहिल संस्करण दाङके घोराही, दोसर संस्करण कैलालीके पटेला, तेसर संस्करण बर्दियाके बढैयामा, चौथा संस्करण रुपन्देहीके सैनामैना ओ पाँचौँ संस्करण सुर्खेतके वीरेन्द्रनगरमे सम्पन्न हुइल बा । यी पङ्तिकार तेसर ओ चौथा सम्मेलनमे प्रत्यक्ष सहभागी हुइल रहे ।
नेपाल बहुजाति, बहुभाषी मुलुक हो । संयुक्त राष्ट्र संघीय शैक्षिक, वैज्ञानिक ओ सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) नेपालमे १४० भाषा रहल बटैले बा । नेपालके संविधान २०७२ के प्रावधानहे अध्ययन करना हो कलेसे संविधानके धारा ३२ के उपधारा ३ मे नेपालमे बसोवास करुइया प्रत्येक नेपाली समुदायहे अपन भाषा, लिपि, संस्कृति, सांस्कृतिक सभ्यता ओ सम्पदाके सम्वर्धन ओ संरक्षण करना हक रना कहिके व्यवस्था करल बा । मने राष्ट्रिय जनगणना २०६८ के पछिल्का तथ्यांकअनुसार नेपालमे जम्मा १२३ भाषा रहल बा । राष्ट्रिय भाषा नीति सुझाव आयोग १९९४ से लेख्य परम्पराके आधारमे भाषाहे ४ समूहमे वर्गीकरण करल बाः
(१) लेख्य परम्परा रहल भाषा,
(२) लेख्य परम्पराउन्मुख भाषा,
(३) वक्ताकिल रहल भाषा, ओ
(४) लोपोन्मुख भाषा
यी स्थापित मान्यताके आधारमे थारू भाषाहे लेख्य परम्परा रहल भाषाके रूपमे लेजाइठ । उच्चारणके विशेषताके आधारमे संसारभरके भाषाहे जम्मा पाँच समूहमे वर्गीकरण करल डेखाइठ । उ होः
(क) कुसुन्डा
(ख) द्रविड
(ग) आग्नेय
(घ) भोट बर्मेली ओ
(ङ) भारोपेली
यी भाषा समूहमध्ये थारू भाषाहे भारोपेली भाषा समूहअन्तर्गत ढरल पाजाइठ । नेपालके आदिवासी जनजातिमध्ये दोसर भारी संख्यामे रहल थारू समुदायके जनसंख्या १७,३७,४७०, अर्थात् कुल जनसंख्याके ६.५५ प्रतिशत रहल डेखाइठ । पूर्व मेचीसे पश्चिम महाकालीसमके तराई तथा भित्री तराई क्षेत्रमे मुख्य बसोबास रहल थारू जनजाति कैलाली, कञ्चनपुर, दाङ, बाँके, बर्दिया, सुर्खेत, चितवन, नवलपरासी, बारा, पर्सा, रौतहट, सर्लाही, महोतरी, धनुषा, झापा, मोरङ, सुनसरी, सप्तरी, उदयपुर ओ सिरहा आदि जिल्लामे फैलल बटैं । आदिम कालसे थारू जातिके सभ्यता फैलल ऐतिहासिक क्षेत्रहे थरुहट कहिजाइठ । आदिवासी जनजातिमध्ये दोसर स्थानमे रहल थारू जाति हाल आके नेपालके अधिकांश जिल्लामे छिट्कल बटैं ।
पछिल्का तथ्यांक (राष्ट्रिय जनगणना २०६८) अनुसार १५,२९,८७५ जनसङख्या रहल थारू भाषी नेपालके कूल जनसंख्याके ५.८ प्रतिशत ओ थारू जातिके जम्मा जनसंख्याके ८८.०५ प्रतिशत रहल बा । यदि अब्बहिन थारू मानक भाषा बनाके कम्तिमे कक्षा ५ सम स्थानीय थारू भाषामे पठनपाठन कराइ नैसेक्लेसे यी संख्या दिनप्रति दिन कम हुइटि जैना पक्के बा । भर्खर किल त्रियोगी नारायण धामी चौधरीज्यूके संयोजकत्व मध्य–पूर्वीय थारू भाषाके लेखनशैली एवं शब्दकोश तयार हुइल बा । सिंगो थारू समुदायअन्तर्गत मध्य–पूर्वीय थारू भाषा समूहमे १२ ठो जिल्लामे रहल बा । उ जिल्ला बारा, पर्सा, रौतहट, सर्लाही, महोत्तरी, धनुषा, सिरहा, सप्तरी, उदयपुर, सुनसरी, मोरङ ओ झापा रहल बा । यी जिल्लामध्ये झापा, धनुषा ओ महोत्तरीमे थारूके जनसंख्या कम बा कलेसे अन्य जिल्लामे ठोरा ढेर बा ।
जस्टेः– झापा (९९८३), धनुषा (४४२२), महोतरी (९९०९), मोरङ (६०५६६), सुनसरी (९१५००), सप्तरी (७३६९७), उदयपुर (२४२४०), सिरहा (२६३८६), सर्लाही (२१७७८), रौतहट (३०८११), बारा (७१९९३) ओ पर्सा (४५६२०) रहल बा ।
अइसिक समग्रमे हेरलेसे मध्य–पूर्वीय थारू भाषाके क्षेत्रमे कूल जनसंख्या ४,७०,९०५ रहल बा । यहाँ मानक भाषा का हो ?, ओ मानकीकरणके प्रक्रियाके छोट चर्चा करना प्रयास करले बटुँ ।
मानक भाषा का हो ?
भाषाके सम्बन्ध संस्कृतिसँग रहठ, जिहिनहे एक संस्कृति प्रपञ्च कहिजाइठ । फरक फरक संस्कृतिके मनै एक भाव ओ विचारहे टमान शब्दमे व्यक्त करे सेक्ठैं । भाषा सम्प्रेषण एक लोकप्रिय माध्यम हो । भाषाके माध्यमसे बालक अपन विचार, इच्छा ओ भावना एकऔरेसँग व्यक्त करना ओ बुझे सेकजाइठ ।
मानक भाषा यकर व्याकरणके हिसाबसे लिख्जाइठ ओ बोलजाइठ । मानक भाषाके स्केल यकर व्याकरण हो । जब हम्रे कौनो अपरिचित व्यक्तिहे भेट्ठी, मानक भाषामे किल बाट करठि । जब हम्रे प्रश्नके उत्तर डेठि, हम्रे मानक भाषा किल प्रयोग करठि ।
मानकीकरणके प्रक्रिया
मानकीकरण सामान्यतया एक प्रक्रियाके रूपमे सोच्जाइठ, जोन चार चरण समावेश करठ । हम्रे उहाँहुकनह कालक्रमके रूपमे सोच्न आवश्यक नैपरठ । वास्तवमे मानकीकरणके प्रक्रिया चलटि बा, ओ शक्तिके एक विस्तृत श्रृंखला कार्यमे बा ।
छनौटः भिन्नता लगभग सब भाषाके लाग जीवनके तथ्य हो । उहाँ टमान क्षेत्रीय बोली, वर्गीय बोली, स्थितियुक्त प्रजाति बटैं । मानकीकरण घटैना प्रयासहे प्रतिनिधित्व करटि, न्यूनतम करि यदि यी उच्चस्तरके परिवर्तनशीलताहे नैहटाइठ । सबसे सहजिल समाधान छनौट हुइना डेखाइठ (मनमानी रूपमे नैहो), यीमध्ये कौनो एक मानकके स्थितिमे पुगेक लाग । हिज्जे, व्याकरण ओ उच्चारणमे भिन्नता– जोन पहिले जीवनके तथ्यके रूपमे स्वीकारल रहे– समाधान हुइना समस्याके रूपमे डेखाइ लागल बा ।
पहिल थारू साहित्य सम्मलेन २०७३ सावन १–३ गतेसम दाङके घोराहीमे आदिवासी जनजाति उत्थान प्रतिष्ठानके आयोजनामे डंगौरा थारु भाषाके वर्ण पहिचान गोष्ठी हुइल रहे । उ गोष्ठीसे थारुके १२ ठो स्वर वर्ण, २५ ठो व्यन्जन वर्ण, महाप्राण व्यन्जन वर्ण ४ ठो प्रस्ताव करल रहे । अस्टेक, ११ ठो थारुमे उच्चारण नैहुइनाहे थारुमे प्रयोग नैकरना प्रस्ताव फेन करल रहे । ओम्ने ञ्, ण्, श, ष्, क्ष्, त्र्, त्, ज्ञ, थ्, द्, ध् बा । यी छनौट प्रक्रियाके पहिल ड्राफ्ट प्रकाशित हुइल, यिबारे बहस दोसर ओ तेसर चरणमे फेन हुइल । मने धेर जहनके लाग चासके विषय नैरहे यी मुद्दा । मने चौथा चरणके छलफल हुइबेर दुई ध्रुव देखा परल ।
स्वीकृतिः प्रतिस्पर्धी प्रजातिहुकनके से ढेर छनौट करल विविधताके मानदण्डके समुदायसे लेहल ‘स्वीकृति’, प्रचारप्रसार, स्थापना ओ मान्यताके कार्यान्वयनके माध्यमसे सम्पन्न हुइठ । यी संस्था, एजेन्सी, अधिकारी जस्टे स्कूल, मन्त्रालय, मिडिया, सांस्कृतिक प्रतिष्ठान, इत्यादिके माध्यमसे करजाइठ । वास्तवमे मानक भाषाहे भाषाके सर्वश्रेष्ठ रूपमे किल नैलेजाइठ, भाषा अपनहे फेन मानजाइठ । सिंगापुरमे मेन्डारिन चिनियाँ हो कना दाबी विचार करि । हिज्जे, व्याकरण ओ उच्चारणमे भिन्नता– जोन पहिले जीवनके तथ्यके रूपमे स्वीकारल रहे– समाधान हुइना समस्याके रूपमे डेखाइ लागल ।
नेपालके सविधान २०७२ के प्रावधानहे अध्ययन करना हो कलेसे संविधानके धारा ३२ के उपधारा ३ मे नेपालमे बसोवास करइया प्रत्येक नेपाली समुदायहे अपन भाषा, लिपि, संस्कृति, सांस्कृतिक सभ्यता ओ सम्पदाके सम्वर्धन ओ संरक्षण करना हक बा कहिके व्यवस्था करल बा । हम्रिहिनहे सरकार स्वीकृति डेले बा, हमारसँग अपन भाषा साहित्य बा, ओ हमार अपन धर्म ओ संस्कृति बा । मने हम्रे अभिन फेन चुनाव ओ स्वीकृतिके चरणमे बटि । हुइ सेकि, समय लागि मने ठोस निर्णयसे आघे बह्रना असल हुइ । थारू भाषाके बहस हम्रे सब थारूहुकनके लाग हो । यी बहसके समाधान सब मिलके करेपरठ । मने बहसके आगी अत्रा बह्रल कि दुई ध्रुवसे व्यक्ति विशेषहे पोलल । यी भर एकदम लाजमरना बाट हो पूरे थारू समाजके लाग ।
विस्तारः चाहल मानदण्डहे प्रतिनिधित्व करना चयन करल विविधताके लाग, अइसिन अमूर्त, बौद्धिक प्रकार्यसहित डिस्चार्ज करना कहल हुइसेक्ना सक्कु प्रकार्य डिस्चार्ज करना सक्षम हुइपरठ । जहाँ यी करना संसाधनके अभाव बा, यी विकसित बा । टबेमारे एक मानक भाषा अक्सर “फर्ममे अधिकतम भिन्नता, फारममे न्यूनतम भिन्नता” के स्वामित्वके रूपमे चिज्हजाइठ ।
कोडिफिकेशनः व्याकरणके मानदण्ड ओ नियम, प्रयोग, आदि । जिहिनसे चयन करल विविधताहे नियन्त्रणमे ढरे परठ, ओ व्याकरण, शब्दकोश, स्पेलर, शैलीके म्यानुअल, पाठ आदिमे निश्चित रूपसे सेट करेपरठ ।
अन्त्यमे, थारू साहित्य पाँचौँ संस्करणसम आपुगटसम कम्तिमे मानकीकरणके तेसर चरण विस्तारमे पुगेपरनामे फेन थारू समुदायके वकालत करना सबसे पुरान संस्था थारू कल्याणकारिणी सभा उल्टा आगीमे तेल डारेजस्टे किल करल । फेर पहिल चरणके विषयवस्तुहे बृहत् छलफल नैकरके दोसर चरणहे आगीसे जराइ खोजल । मौलिकता नाश करे खोजके नेपालीकरणके झोला बोकके नेंगे खोजल । थारू मानक भाषाके बहसमे आगी लगाके थारू मानक भाषाके सूत्रधार आदरणीय डा. कृष्णराज सर्वहारीहे गोरखापत्रके पृष्ठ संयोजकसे हटागिल । औरे सम्मानके लाग यी करल कहिके झूठ आश्वासन थारू कल्याणकारिणी डेहल, अप्ने कुछ थान बहस चलाके श्रेय लेना कोसिस करल । जोन मोर विचारमे अपर्याप्त रहल, ओ यी बाट का इंकित करठ कलेसे राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक ओ व्यक्तिगत श्रेय लेहुइयाहे कुछ साहित्यकार, भाषाविद्हुक्रे औरेहे भुवा बनैना ओ निन्दनीय काम करना बेर नैकरठैं । मने बरल आगीके रापसे नैजलके थारू साहित्यप्रतिके लगाव ओ परिश्रमके लाग रातदिन खटुइया आदरणीय गुरु डा. सर्वहारी ओ सक्कु टिम पाँचौँ संस्करण सुर्खेतके वीरेन्द्रनगरमे कोरोनाके कहरमे सम्पन्न करल । सदाके संस्करण जस्टे थारू मानक भाषाके बहसके काम आघे बह्रगिल । सलाम बा सक्कु टिमहे अप्नेके नाम थारु साहित्य ओ मानक थारु भाषाके देनमे स्वर्ण अक्षरमे पक्के लिखजाइ ।
हम्रे अभिन मानक थारू भाषाके चर्चा करे लागल ढेर हुइल नैहो । आइ सब मिलके थारू मानक भाषा बहसमे बृहत् छलफल चलाइ मने व्यक्ति विशेषहे पेलके, पिट्के, धम्क्याके, चरित्र हत्या करके नाइ । फुटके नाइ जुटके, सब पूर्वमेचीसे महाकालीके थारू समुदाय एकजुट हुइ, ओ राजनीतिक दल फुटाके राज करो सिद्धान्तमे लागल बटैं । ओइनके झोला बोक्ना राजनीतिके गुलाम नैबनि । थारू मानक भाषाके प्रगतिके लाग हम्रे एक हुइहि परि ।
साभारः साहित्यपोष्टसे
