अस्टिम्कि, कान्हा ओ थारु लोककला

थारु समुदायके मौलिक टिउहार मढ्ये एक हो अस्टिम्कि । थारु पुर्खनके चलाइल चाहे जौन टिउहार मनैनामे कोनो न कोनो कहकुट नुकल रहठ । एकठो कहाइ बा, उ खास आदिवासी हो, जेकरमे सृस्टिके बटकुहि बा । थारु समुदायमे गुर्वावा इ सृस्टि रच्लाँ कना गुर्वावक् जल्मौटि लोककाव्यसे पटा चलठ । ओहेसे फेन थारु नेपालके खास आदिवासी हुइट कनामे डुइ मट नैहो ।
गुर्वावा इ सृस्टि रच्लाँ कना एकठो सप्रमानके रुपमे अस्टिम्किक अवसरमे बना जैना भिटा चित्र बोलठ । मने आज्कल कृष्ण भगवानके पोस्टर किल टाँसके पुजा कैना मानसिकता डेरा जमैटि बा । थाकस कैलाली, धनगढीस्ठिट थारु छात्रबासमे अस्टिम्किक् चित्र बनाके सजिव बनैले बा । पस्छिउँहा थारु समुदायमे इहे अस्टिम्किक् चित्र किल हो, जिहिसे थारुन्के चित्रकला बँचल बा । मने थारुन्के सझिया घरेम अस्टिम्किक् चित्र बहुट कम बनाइल डेख्जाइठ । बेनसे आब अत्याधुनिक होटलमे अस्टिम्किक् चित्र ठाउँ पाइ लागल बा ।
अस्टिम्किक् चित्रमे जोन्हियाँ ओ डिन (सुरज) चित्रले थारू प्रकृटिपुजक हुइट कना बोलठ । उपरका कोन्टिम पाँच ठो ठारु मनैन् (पुरुस) के चित्र बनाइल् रहठ । उप्रक् चित्र कान्हाके मेरमेरिक समय ओ रुपके प्रतिकके रुपमे बनाइल मानजाइठ । ठारुनके चित्रमे पुट्ठामे मँडरा भिराइल फेन रहठ । यकर कारन आपन सोह्र सय गोहिनहे नचैकलग अर्ठ राखठ । टरक कोन्टिम उप्पर संख्याके बराबर जन्नि मनैन्के चित्र बनाइल रहठ । इ चित्र कान्हक सोह्र सय गोहिनके प्रतिकके रुपमे बनाइल रहठ ।
कोइ पाँच जन्हनके ठारुनके चित्र पाँचो पन्डवनके प्रटिनिढित्व कैल कहठाँ कलेसे जन्निनके चित्रहे डुरपटिक प्रतिक फेन कहठाँ । यकर बिसयम अनुसन्ढान जरुरि बा । अस्टिम्किक् चित्रमे बरमुरुवा (रौना) फेन ठाउँ पैले रहठ । अस्टिम्कक् गिटमे डानु रि डाडा कना सायड इहे डानु टे नै हुइट ? कना बाट अनुसन्ढानिय बा । पहिले संसारमे कि डेउटा रहिट कि डानव । थारु समुदाय डानवके सन्तानले अपन पुर्खाहे अस्टिम्कक् चित्रमे ठाउँ डेलक टे नैहुइट ? इ डोसर अनुसन्ढानके बिसय हो ।
ओस्टक अस्टिम्किक् चित्रमे कजरिक बन्वा, मजोर, रोइनी मछरिया, पुरैनिक पाटा, मुर्गा, सख्ली कुकनिया, हाँठि, घोरि, बाँडर, चिरैचुरंगन, साँप गोजर फेन बनाइल रहठ । कान्हा बनिवास गैल समयमे चिरैचुरंगन सहयोग कैलक ओरसे ओइनके चित्र बनाजाइठ । डोलि, लाउ, हर जोट्टि रहल मनैयाँ फेन चित्रमे रहठ । अस्टिम्किक् गिटमे कान्हक डाइ बाबा इसरु–जासु खेटिपाटि करल डेखागइल बा, जिहिसे हर जोट्टि रहल मनैयाँ चित्रमे अइना स्वभाविक हो ।
बर्का ओ छुट्कि कैके अस्टिम्किक् चित्र डुइ मेरिक रहठ । छुट्कि अस्टिम्किक् चित्र डुठेहरुन बनाइ ओ टिके सेक्ठाँ । छुट्कि अस्टिम्किक् चित्र बन्वाइले पुस्टा हस्टान्टरनके लग सहयोग पुगैले बा ।
कृष्ण भगवान यानेकि कान्हाके बारेम नेपाली, हिन्दीलगायट टमाम भासाके भजन बा । उहे क्रममे एक मेरिक भजन हस हो थारु समुदायके अस्टिम्किम गैना गिट ।
‘पहिले टे सिरिजल जल ठल ढरटि
सिरिजि टे गैला हो कुस कइ डाभ
डुसरे टे सिरिजल अन्नकई पेंरे
सिरिजे टे गैला हो अन्नकइ बिरोग ।’
इ उप्रक स्लोकसे पटा चलठ कि पहिले कौन चिजिक सृस्टि गुर्वावा करलाँ कहिके । ठाउँ अन्सार अस्टिम्किक् गिटमे फरक परे सेकठ मने गिटके मुल खिस्सा अक्के रहठ ।
थारु समुदायमे कान्हा किल ऐसिन भगवान हुइट जेकर चित्र बनाके, गिट गाके, नाचके पुज जाइठ, समझ जा जाइठ । डसैहा सखियम गैना गिट फेन अस्टिम्किक् गिट जो हो, जेम्ने सखि रे ठेगो लगाके रहान फरक पारल रहठ । जसिक अस्टिम्किक् चित्रके एक एक अर्ठ बा, ओस्हक अस्टिम्किक् गिटके हरेक लाइनके अर्ठ ल गैना जरुरि बा, जिहिसे हमार पुर्खा उ समयमे कसिन जिन्गि जिले रहिट कना ब्याख्या हुइ सेकि । सक्हुनके अस्टिम्कि मजा रहे, सुभकामना ।
