थारु राष्ट्रिय दैनिक
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‘ थारु भाषाहे सरकारी कामकाजी बनैना सिफारिस ’

थारु अगुवाहुकनसे स्वागत, रानाथारु असन्तुष्ट

पहुरा | २२ भाद्र २०७८, मंगलवार
थारु अगुवाहुकनसे स्वागत, रानाथारु असन्तुष्ट

पहुरा समाचारदाता
धनगढी, २२ भदौ ।
भाषा आयोगसे सुदूरपश्चिम प्रदेशमे थारु भाषाहे प्रदेश सरकारी कामकाजी बनैना सिफारिस करलपाछे थारु अगुवाहुक्रे स्वागत करले बटै, कलेसे दुसरओर रानाथारु समुदायसे ओकर विरोध जनैले बटै ।

थारु कल्याणकारिणी सभा कैलालीके आयोजनामे मंगरके रोज धनगढीमे हुइल एक कार्यक्रममे थारु अगुवाहुक्रे भाषा आयोगसे करल सिफारिसके स्वागत करल रहिट ।

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सभाके जिल्ला अध्यक्ष लाहुराम चौधरीके अध्यक्षतामे हुइल कार्यक्रममे थाकसके केन्द्रीय सदस्य प्रभातकुमार चौधरी, थारु बृद्धिजिवी बुन्दीलाल चौधरी, थारु नागरिक समाज कैलालीके संयोजक दिलबहादुर चौधरी, थाकसके जिल्ला उपसभापति माधव चौधरी, सभाके केन्द्रीय पार्षद पुरन चौधरी, थाकसके सल्लाहकार तथा अधिवक्ता जोहरीलाल चौधरी, अधिवक्ता नाथुराम महतों, थारु विद्यार्थी समाजके केन्द्रीय उपाध्यक्ष ठाकुर प्रसाद करियाप्रधान, भल्मन्सा सरोज चौधरीलगायतसे आयोगसे थारु भाषाहे प्रदेश सरकारी कामकाजी बनैना करल सिफारिसके स्वागत करटी कार्यान्वयनके लाग आघे बह्रैना आग्रह करले बटै ।

सुदूरपश्चिम प्रदेशमे १७ दशमलव ०१ प्रतिशत जनसंख्या थारु भाषा बोल्ना ओरसे थारु भाषाहे प्रदेश सरकारी कामकाजी बनैना स्वागतयोग्य रहल थारु अगुवाहुक्रे बटैलै । छलफल कार्यक्रममे थारु अगुवाहुक्रे कैलाली कञ्चनपुरके जौन स्थानीय तह रानाथारुनक् बाहुल्यता बा उ पालिकामे रानाथारु भाषाहे सरकारी कामकाजीके भाषा बनाइ सेक्ना फेन कले रहिट । थारु भाषासंगे सुदूूरपश्चिम प्रदेशमे ३० दशमलव ४५ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल डोट्याली भाषाहेफे प्रदेश सरकारी कामकाजी बनैना सिफारिस करल बा ।

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आयोगसे सिफारिस करेबर अधिक जनसंख्याके आधार, स्तरगत भाषा योजनाके सैद्धान्तिक आधार, लेखन प्रणाली, अभिलेखन, आधारभूत सेवाके आधार, शिक्षाके माध्यम भाषाके आधार, वक्ताके सघनता ओ विस्तार, भाषिक जीवन्तता, सञ्चार प्रयोग, प्रविधिउन्मुख भाषा, भाषाके वक्ता आ भाषिक समुदायजैसिन आधार मानल बा ।

संविधानके कार्यान्वयनके क्रममे गठित भाषा आयोगसे सरकारी कामकाजके भाषाके आधार निर्धारणसहित नेपाल सरकारहे भाषासम्बन्धी सिफारिससहितके प्रतिवेदन सोम्मारके प्रधानमन्त्री निवास बालुवाटारमे प्रधानमन्त्री शेरबहादुर देउवाहे आयोगके अध्यक्ष डा लवदेव अवस्थी हस्तान्तरण करल रहे ।

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नेपालके संविधानके धारा २८७ मे रहल व्यवस्थानुसार २०७३ भदौ २३ गते गठित आयोगसे पाँच बरसभित्रे सरकारी कामकाजके भाषाके सिफारिस कैना मुख्य कार्यादेश पाइल रहे । आयोगसे प्रदेशके सरकारी कामकाजके भाषाके सम्बन्धमे संविधानके धारा ७ ९२० बमोजिम प्रदेशसे नेपाली भाषाके अतिरिक्त आपन प्रदेशभिट्टर बहुसंख्यक जनतासे बोल्ना एक वा एकसे ढिउर अन्य राष्ट्रभाषाहे कानूनबमोजिम प्रदेशके सरकारी कामकाजके भाषा, अन्य राष्ट्रभाषाहे प्रदेश कानूनबमोजिम प्रदेशके सरकारी कामकाजके भाषा निर्धारण करे सेक्ना मेरके संविधानमे व्यवस्था करल बा ।

ओस्टेक लुम्बिनी प्रदेशके लाग १३ दशमलव १५ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल थारु ओ ११ दशमलव ५२ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल अवधि भाषाहे सिफारिस करल बा । इ प्रदेशमे नेपाली भाषाके वक्ता संख्या ५४ दशमलव ७० प्रतिशत रहल बा ।

आयोगके अध्ययनसे थप पहिचान करल आठसहित १३१ भाषा नेपालमे बोलजैना भाषा रहलमे १० हजारसे कम वक्ता संख्या रहल भाषा ७४ बटै । नेपालके जनगणना, २०६८ मे नेपालमे बोलजैना भाषा १२३ रहल तथा नेपाली भाषाके मातृभाषी वक्ता ४४ दशमलव ६४ प्रतिशत ओ डुसरा भाषाके रुपमे नेपाली भाषा प्रयोग कैना ३२ दशमलव २८ प्रतिशत रहल डेखाइल रहे ।

आयोगके प्रतिवेदनप्रति रानाथारु समाजके असन्तुष्टि

सरकारी कामकाजके भाषाके आधारके निर्धारण ओ भाषासम्बन्धी सिफारिसके पञ्चवर्षीय प्रतिवेदनप्रति नेपाल रानाथारु समाज असन्तुष्टि व्यक्त करले बा ।

भाषा आयोगसे तयार करल प्रतिवेदनमे रानाथारु भाषाहे सरकारी कामकाजी भाषाके रुपमे स्थान नैडेहल प्रति असन्तुष्टि जनाइल हो । ‘कैलाली ओ कञ्चनपुरके मूल बासिन्दा राना थारु समुदायहे नेपाल सरकारसे आदिवासी जनजातिके रुपमो अलग्गे सूचीकृत करले,’ समाजके अध्यक्ष कृपाराम राना कहलै, ‘रानाथारु भाषा आयोगमे स्थान पासेकल बा । स्थानीय पाठ्यक्रम ओ तत्सम्बन्धी ब्याकरण तयार कैना कार्यसे मूर्तरुप लेसेकल बा ।’

भाषा आयोगसे सरकारी कामकाजके भाषाके रुपमे स्थान नैडेहल प्रति समाजके आपत्त रहल राना बटैलै । ‘भाषा आयोगके प्रारम्भिक प्रतिवेदनमे सरकारी कामकाजके भाषाके रुपमे राना थारु भाषाहे समेत समेटल रहे,’ संविधानसभाके पूर्व सभासदसमेत रहल राना कहलै, ‘प्रधानमन्त्रीहे बुझाइल अन्तिम प्रतिवेदनमे रानाथारु भाषाहे हटाइल बा । यम्ने आपत्ति बा ।’

शब्दकोष, वर्णविन्यास, भाषा, इतिहास, व्याकरणलगायत बात रहल बावै मने फेन रानाथारु भाषाहे छुट्याइल उहाँके आरोप रहल बा । आयोग निष्पक्ष ओ विश्वसनिय काम कैना निकाय रलेसे फेन रानाथारु भाषाहे पाछे पर्र्र्ना काम हुइल रानाके कहाइ बा । सुदूरपश्चिम प्रदेशके डोटयाली ओ थारु भाषाहे सरकारी कामकाजके भाषाके रुपमे सिफारिस करलप्रति भर समाज सहमती जनैले बा ।

अध्यक्ष रानाके अनुसार कैलाली ओ कञ्चनपुर कैके रानाथारु समुदायके झण्डे तीन लाख जनसंख्या रहल बा । रानाथारु समाजसे भाषा आयोगसे अविलम्ब प्रतिवेदन सच्याके अपान समुदायहे स्थान डेना आग्रह करले बा । संवैधानिक व्यवस्था अनुसार प्रदेशभिट्टर बहुसंख्यक बोल्ना एक वा एकसे ढिउर वा अन्य राष्ट्रिय भाषाहे प्रदेशके सरकारी कामकाजके भाषा निर्धारण कैना प्रावधान रहल बा ।

आयोगसे प्रदेशके भाषाके तथ्यांक विश्लेषण करेबर प्रदेशगत जनसंख्याके एक प्रतिशतसे अधिक वक्ता सङख्या रहल भाषाके आधारमे सरकारी कामकाजके सम्भाव्य सूचीमे नेपाली बाहेक अन्य पाँच भाषाहे छनोट करल बा । डोटयाली, थारु, बैतडेली, अछामी ओ बझाङी भाषाहे स्थान डेहल बा । मने तीन लाख जनसंख्या रहल रानाथारु भाषा भर ओम्ने समेटल नैहो ।

प्रदेशगत सरकारी कामकाजके भाषा निर्धारणके आधार पूरा कैना अवस्थामे रहल डोटयाली ओ थारुहे प्रदेशके सरकारी कामकाजके भाषाके रुपमे आयोगसे सिफासिरस करले बा ।

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