थारु राष्ट्रिय दैनिक
भाषा, संस्कृति ओ समाचारमूलक पत्रिका
[ थारु सम्बत १५ चैत २६४७, बिफे ]
[ वि.सं १५ चैत्र २०८०, बिहीबार ]
[ 28 Mar 2024, Thursday ]

थारू लेखक संघः आब यकर डगर

पहुरा | २६ भाद्र २०७८, शनिबार
थारू लेखक संघः आब यकर डगर

थारू जात नेपालके जनजाति अन्तर्गत परठ । यी जाति जबफेन राज्य सत्तासे अपहेलित तथा अपेक्षित जात हो । तथापि ईतिहासके टमान कालखण्डमे हुइल राजनीतिक आन्दोलन ओ यिहिनसे नानल परिवर्तनसंगे यी समसदाय अपन भाषा, संस्कृति, कला, साहित्य, गीत, संगीत तथा पहिचानहे तीब्र रूपसे करटि ओकर संरक्षण तथा सम्वद्र्धन तथा उत्थानके लाग सक्रिय भूमिका निर्वाह करटि आइल बा । यी बाटहे एक्दम सकारात्मक तरिकासे लेहे परठ । यिहे सन्दर्भमे थारू भाषा साहित्य, कला, संस्कृति, गीत, संगीत इत्यादिके उत्थानके निमित्त केन्द्रीय रुपमे थारू भाषा साहित्यके धुर खम्बा डा. कृष्णराज सर्बहारीके संयोजकत्व थारू लेखक संघ गठन हुइल बा । हाल आके थारू लेखक संघ नेपाल विधिवत रुपमे २०७५ फाल्गुन २५ गते सीताराम चौधरीज्यूके अध्यक्षतामे जिल्ला प्रशासन कार्यालय कैलालीमे दर्ता हुसेकल बा । थारू भाषा साहित्य, कला, संस्कृतिका अध्ययन अनुसन्धान तथा लेखन तथा प्रकाशनहे अपन मुख्य उद्देश्य ठहराके यिहिनसे प्रत्येक वर्ष थारू साहित्य सम्मलेन करटि आइल बा ।

थारू लेखक संघमे हालसम ४७ जाने संस्थापक सदस्य बटैं कलेसे यी थारू भाषा साहित्यमे एक्दम महत्वपूर्ण योगदान करुइया स्रस्ता लेखक साहित्यकार पुरस्कृत करेक लाग २ लाख ३५ हजारके अक्षय कोषके स्थापना समेत करले बा । यी अक्षय कोष मार्फत पुरस्कार प्रदान करके लाग थारू साहित्य पुरस्कार निर्देशिका–२०७७ फेन निर्माण करके २०७७ साल चैत २१ ओ २२ गते सुर्खेतके वीरेन्द्रनगरमे आयोजित पाँचौं राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मलेनमे थारू कथा विद्याके उज्जवल उर्वर युवा कथाकारसे लिखल ‘गैयर्वा बुदुक खिस्सा ठाँर्हा’ हे पहिलचो साहित्य पुरस्कार–२०७७ से सम्मान करल बा । यकर राशि ११ हजार ११ सय ११ रुपैयाँ रहल बा । यकर राशि प्रत्येक वर्ष बृद्धि करटि लैजिना फेन लेखक संघके योजना रहल बा ।

थारू लेखक संघ राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मलेनके सुरुवात संगसंगे मानक थारू भाषाहे मुख्य सवालके रुपमे चर्चामे नन्ले बा ओ यकर विषयमे हरेक साहित्य सम्मेलनमे घनीभूत रुपमे छलफल करटि आइल बा यद्यपि निष्कर्ष भर निक्रे सेकल नैहो । कौनो फेन भाषाहे सर्वमान्य विवादरहित बनैना बाट खेलाचीके विषय भर पक्के नैहो । मानक भाषा निर्माणके लाग हरेक दृष्टिकोणसे सब पक्ष संग छलफल, विचार बिमर्स करेपरना रहठ, यिहिनसे नानल प्रमुख असर बारे फेन ख्याल करेपरना अति आवश्यक रहठ । लम्मा गन्थन मन्थन, अटूट मेहनत, अध्ययन अनुसन्धान पश्चात किल कौनो फेन भाषाके टुंगो लागठ । यदि हचुवाके भरमे मानक भाषा लाडे खोज्लेसे भाषिक एकता हुइनाके सट्टा फुटके रेखा देखा परठ ओ अंततः भाषिक, सामाजिक, सद्भावमे समेत खलल पुगे जाइठ । नजरअंदाज नैकरके और व्यापक घनिभूत रुपमे छलफल चलाके यकर टुंगो नाने परना कार्यमे गम्भीर हुइपरना डेखाइठ । राष्ट्रिय थारू सम्मलेन सम्मलेनमे किल सीमित नैहुइना चाहि ।

थारू लेखक संघ नेपाल जोन रुपमे मानक भाषाहे चर्चामे नन्ले बा, ओहे रुपमे आगामी दिनमे यिहिनसे साहित्यिक आन्दोलनहे मुखरित करेपरना आवश्यक डेखाइठ । अइसिन लिख्लेसे कुछलोगहे अनौठो लागे सेकठ । थारू भाषा साहित्य तथा साहित्यिक आन्दोलन काहे आवश्यक बा कलेसे थारू जात तथा समुदाय शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासनिक, राजनीतिक आदि विविध पक्षमे पाछे रहल बा । पाछे परनाके मुख्य कारण राज्यसत्ता तथा राजकीय स्वरुप हो यकर साथसाथे थारू समुदायमे रहल पुरान सोच, संस्कृति, रितिथिति आदि फेन ओत्रे महत्वपूर्ण कारण हो । थारू समुदायमे जबसम विचार ओ संस्कृतिमे बदलाब नैआइ तबसम थारू समुदायमे परिवर्तन ओ विकाश हुइ नैसेकि । तसर्थ थारू समुदायके विद्यमान गलत संस्कृति तथा विचारहे परिवर्तन करेक लाग फेन थारू साहित्यिक आन्दोलनके आवश्कताके महसुस करे सेकजाइ ।

यकर लाग साहित्यिक आन्दोलनके लाग नेटृतवदायी भूमिका निर्वाह करे सेकेपरठ । आन्दोलनके स्पष्ट खाका ओ योजना निर्माण करके आघे बह्रे सेकेपरठ, एकवर्षीय, दुईवर्षीय, त्रीवर्षीय वा पञ्चवर्षीय का कैसिक हुइ ? योजना निर्माण करके सशक्त ढंगसे आघे बह्रे सेकेपरठ । साहित्यिक गतिविधि मार्फत थारू समाज ओ संस्कृतिके उत्थान ओ परिवर्तन करे सेकजाइ । थारु साहित्यिक आन्दोलन मार्फत थारू समाजके कचारा सफा करेपरठ । थारु समुदायभित्तरके विकृति तथा आयतित कुप्रथाहे रोके सेकेपरठ । यी कार्य कठिन रलेसे फेन असम्भव पक्के नैहो । अभिनसमके अभ्यास तथा अनुभवके आधारमे थारू मानक भाषा बाहेक अन्य विषयमे खासे गहन रुपमे छलफलके विषय उठाइल नैहो । यसर्थ आबके दिनके थारू लेखक संघसे साहित्यिक आन्दोलनके बारेमे ध्यान डेना आवश्यक बा । यी आन्दोलन मार्फत राजनीतिक चेतना नन्ना थारु समाज परिवर्तन ओ बिद्रोहके जग बैठाके थारू आन्दोलनके वातावरण सृजना करे सेकेपरठ । वर्तमान साहित्य लेखन तथा गायन केवल कमसल शृंगारिकताके भूलभुलैयामे सीमित रहल पाजाइठ । जिहिनसे थारू समाजहे उप्पर नाहि मने टरेक पथमे लैजाइटि बा । थारू युवाहुक्रे यक्रहे घनचक्करमे फसल बटैं । जिहिनसे थारू समुदाय निकट भविष्यमे थारू समुदाय विकराल समस्या भोगेपरना निश्चित बा । कुछ समयके लाग रलेसे फेन थारू समाजहे परिवर्तन करेक लाग थारू साहित्य ओ गीत संगीत आइ परठ ।

उप्पर उल्लेखित थारू समुदायके पहुँच पुगाइक लाग थारू साहित्य सेतुके रूपमे भूमिका निर्वाह करे सेकठ । जस्टे थारू साहित्य लेखक सर्जकहुकनहे सम्मान, उत्साह तथा भलोके लाग यी संस्था अक्षयकोष खडा करके सम्मान कर सेकल सन्दर्भमे कुछ थारू अगुवाहुकनसे औरे थारू पुरस्कारके लाग आर्थिक संकलनके महाअभियान चलाइल डेखाइठ । यी बाट थारू साहित्य ओ समाजके लाग शुभ संकेत भर पक्के नैहो । थारु साहित्यकारहुकनहे सम्मान डेहेक लाग अक्षय कोष स्थापना हुसेकल खण्डमे ओहे प्रयोजनके लाग आर्थिक संकलनके महाअभियानके कौनो जरुरत नैहो जस्टे लागठ । काहेकि टूटफुट हुके टुक्राटुक्रा पुरस्कार डेनासे एकजूट हुके समग्रमे भारी राशिके पुरस्कार डेनामे थारू साहित्य ओ थारू साहित्यकारहुकनके लाग उत्तम रहि । यी बाटहे थारू साहित्य संघ गम्भीरता पुर्वक सोचे परी ओ सम्बन्धित व्यक्तिहे प्रष्ट करे सेकेपरि ।

यी विषय फेन थारू लेखक संघके भारी चुनौतीके रुपमे उब्जल बा । अस्टे–अस्टे जल्दाबल्दा समस्याके निराकरण उचित रूपसे व्यवस्थापन करे सेक्लेसे किल थारू लेखक संघके सुनौलो भविष्य डेखाइठ । यकर साथसाथे विज्ञान प्रविधिसंग जोरे नैसेक्ना फेन संघके भारी चुनौतीके विषय बनल बा । परिवर्तित समय, अवस्था ओ परिस्थितिके मागसंगे अपन साहित्यिक कार्यक्रम सञ्चालन करे सेकल नैहो । फलस्वरूप यी संस्थाके मूल मर्म ओ उद्देश्य प्राप्त हुइसेकल नैहो । ओ, खोजल जस्टे साहित्यिक जस प्राप्त करे सेकल नैहो । आदि इत्यादि गुनासो चुनौतीहे पार करे सेक्लसे यकर भविष्यके डगर तय करि ।

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