थारु गिटके विस्लेसन जरुरि

बिसय प्रवेसः
थारु गिटके प्रकासिट पोस्टाके इटिहास बिल्टैना हो कलेसे थारू कल्याणकारिणी सभा जिल्ला समिति दाङ २०२४ सालओर ‘सखिया गिट’के प्रकासन कैके लोकसाहित्यहे लावा डगर डेखाइल । ओस्टक पुरुबओर २०२५ सालमे प्रो. प्रफुल्ल कुमार सिंह मौन पुरुबओरिक ‘थारू लोकगिट सँग्रह’ प्रकासन कर्ला ।
गिटके अन्य सँग्रहमे थारू युवा परिवार काठमाडौंके ‘सजना’ बिशेषांक (२०५०), जनसरोकार समूह बर्दियाके आधुनिक ओ लोकगिट सँग्रह ‘लौव चलन– भाग १ (२०५७) ओ भाग २ (२०६०), गोकुल चौधरीको ‘देउखुरिया रतनचुवा ओ दिननचवा गिट’ (२०६१) कामता प्रसाद चौधरीक् ‘जुग जुग जिओ’ (२०६३) गिट सँग्रह बा (सर्वहारी, २०७३) । इ बाहेक लोकगिटके आउर फेन संकलन हुइ सेकठ । सुन्दरी माधो, कर्नौटी, कट्घोरी, गोरिया, मैना, पचरा, होरिम गैना गिट, बन्गिट्वा, उरगोट, सिङग्रु, लाखि, साँचि, उडासि, मघौटा, बिरहन, बरमासा, बहला झुलेबेर गैना गिट लगायट महेश चौधरी पस्चिउँहा थारू साहित्यमे ३० मेरिक पद्यात्मक लोक साहित्य रहल चर्चा कर्ले बटाँ (चौधरी २०५६) ।
थारु लोकगित मोटरी
इहे क्रममे थारु आयोग अम्ह्क्किे थारु लोकगित मोटरी (२०७८) पोस्टा प्रकासन कर्ले बा । यम्ने पुरुबसे पस्चिउँटक २५३ ठो गिट संकलिट बा । पोस्टाके भुमिका अन्सार यम्ने मध्य पुर्बिया थारु लेखन सैलि अपना गैल बा । गिटके छोट छोट परिचय डेना बाहेक यम्ने बिस्लेसन भर नैहो ।
इ गिटके पोस्टाके ५ सम्पादक सडस्यमढ्ये इ पंक्टिकार फेन एक रहे । इहे क्रममे अपन जिम्मामे रहल गिटके सम्पाडन कर्ना क्रममे टिपल कुछ टिपोटके सार हो इ लेख ।
इ संकलनमे महेश चौधरीक् चर्चा करलहस जम्मे हस गिट समोट गैल बा । बाँसगढी नगरपालिका–४, लक्ष्मणपुर, बर्दियाके फग्गु थारूसे सङ्कलिट करनौटी गिट करने राजाके खिस्सामे आढारिट बा । गिटके स्रोत ब्यक्ति बुझावन थारूके अन्सार उहाँ २५ चोपाइ सम इ गिट मुखग्रे गाइ सेक्ठाँ । मने समय अभावके कारन यहाँ सङ्कलक जम्मा १४ चोपाइ सङकलन करे सेक्ले बटाँ ।
गौरी जोगिन्यक भेख ढैठि । आघेपाछे खंखार फुलरिया मालिनके सपना अन्सार झकरमकर रहठ । मालिनहे डेलवा भरल फुला लेके करने राजक् ठेन जाके सुरज डेउटाहे चह्राइ कहेबेर राजा छक्क परठाँ । उ पुछ्ँठा, इ फुला झरलपरल हो कि कैसिन हो ? मालिन एकठो जोगिन्या फुला डेलि, टुरके नानल हो कहेबेर करने राजा जोगिन्याहे बलाइ कहठाँ ।
करनौटी गिट भडो महिनम् कैजैना हरेरी पुजासे लेके डस्या सम कैजैना नाचेम् गैटि नाच जाइठ । इ गिट गैनासे पहिले मड ढर्कैना चलन बा । सङ्कलिट गिटके प्रसंग अन्सार गौरी पार्वती फे मन्ड्रक टालेम नच्ले बटि । हुँकारे अग्वाइमे टोली करने राजक् डेस लागठ । हुँखिन राजुल बल्हा साठ डेले बटिन् । बिच डगरेम डुख डेना रक्सा ओ डनुवाहे उ कुवम् ढकेल डेठि । बिचेम पसिया पसिनीया, कलवारीन गाउँक् मनैं भेट हुइठाँ । ओस्टक हाँठी, गोरु, भैंस चहु्रइयनसे डगर पुछ्टि जैठि । कुवम् पनभर्निनसे पानी पिएक माँगेबेर बिना गाउँठाउँ जनाल मनैन् कसिक पानी पियइना हो कहबेर गौरी कहठि, हेँवट राजा मोर बाबा हुइट, ढर्टि माई मडागिन मोर डाइ हुइट । पनभर्निनसे करनेक डुवार यानेकि घर पुँछेबेर ओकर १६ सय फौजफंकर, डरलग्टिक कुक्कुर बटिस कसिक जैबो कहिके चिन्टा करठाँ ।
गौरी जोगिन्यक भेख ढैठि । आघेपाछे खंखार फुलरिया मालिनके सपना अन्सार झकरमकर रहठ । मालिनहे डेलवा भरल फुला लेके करने राजक् ठेन जाके सुरज डेउटाहे चह्राइ कहेबेर राजा छक्क परठाँ । उ पुछ्ँठा, इ फुला झरलपरल हो कि कैसिन हो ? मालिन एकठो जोगिन्या फुला डेलि, टुरके नानल हो कहेबेर करने राजा जोगिन्याहे बलाइ कहठाँ । गौरी करने राजक् ठेन जाके टै यडि मरड हुइस कलेसे इ जुग मेट जाइ कहठि । हुँकार बाट सुनके राजा उडास हो जाइठ ।
बैजनाथ गाउँपालिका–८, गुरदयालपुर, बाँकेक् पवन कुमार थारुक् संकलन करल यहाँ ३ ठो लोकगिट समोट गैल बा । पहिल गिट सिंगारु पानी बर्साइक लग थारु (मरड) मनै खेटवा जोटेबेर गैना गिट हो । इ गिटमे एक युवक गंगा लहाइ जाइक लग अपन डाइसे खराउ, छुरिया, लट्ठी, ढोटि मंग्ले बा । ऐसेबेर घरहिं लहैना मनै आब काजे गंगा लहाइ जाइ परल कहेबेर युवकके कहाइ बटिस, ‘पहिले टे मै छोट रहुँ, ढुर माटिम खेल्नुँ । आ टे गबरु जवान हो गैनुँ ।’ इ कहाइके अर्ठ जवानीम डेस डुन्या खाने परल टब ना अक्किल आइ कना बा । गिटके अन्ट्यओर सिंगारु ओ चेपुवाके लहाइबेर पानी ढिंग्ल्वाइल प्रसंगले इ गिट बहुट लम्मा बा कना डेखाइठ ।
डोसर डफक गिट माघ लगायट जार मैन्हम गा जैना गिट हो । ओस्टक टिसर सजना बा, जिहि लल्ला फेन कहि जाइठ । सजनामे सीताहे ओकर सखिन अजोढ्या नगरके जनकपुर गाउँ ओ कोशिल्या अस सासु, राजा दशरथ हस ससुरा पैम कना मागन करे कले बटिस । का कैलो टे राम हस पिहवा पैलो कहबेर माघ लहैनु, अटवारिक ब्रत बैठनु टब भेटैलुँ कजना जवाफ डेहठ । असिक थारुन्के मौलिक टिउहार माघ ओ अटवारिक महिमा गिटेम बा । इ डेसौरी समुदायके गिट हो । सिंगारु ओ सजना डंगौरा समुदायसे मिलठ कलेसे डफक गिट हिन्दीके लगुच्चे बा ।
लडाइ सजनामे एक रानी हँठियार बन्वाके रज्वाहे लडे पठाइल खिस्सा बा । जोगियाहे मन पराके विडा होके गइल चेरियक खिस्सा जोगिया सजनामे बा । किस्न औटार सजनामे अपने भैनेहे मुँवाइक लग कंश बारि फुलवार कारि नागिनके ठेन रहल फुला टुरे पठाइठ, मने किस्न कारि नागिन सहिट फुला टुरके लन्ठाँ ।
घोराही–१६, भगवानपुर, दाङके भुवन चौधरीक् डर्जनसे बह्रटा गिट संकलन हुइलमे कुछ मन्टर फेन यम्ने संकलिट बा । २०२५ सालमे जो पुरुइया थारुन्के गिट संकलन करुइया प्रफुल्लकुमार सिंह ‘मौन’के कहाइ बटिन्,‘मन्टर फेन लोकगिटके एक प्रकार हो ।’ पहिला सजनामे कसिन ठाउँमे कसिन राइरब्बि लगैना कना भोजहिक चिन्टा बा कलेसे डोसर सजनामे मन नै परल घर डेहलमे बाबक्प्रटि भोजहिक गुनासो बा ।
पानी नैबर्सलेसे गैया/गोरु बेंहे्र जैना पस्चिउँहा थारुन्के पुरान चलन हो । गैया बेहर्ना सजनामे काजे गैया बेहर्ना, गैया बेहे्र जाइबेर के का लेना लगायटके बर्नन संकलिट गिटमे बा । थारु समुदायके गिटमे सजनासे लेके ढुमरुसम जोगीन्के चर्चा बिल्गाइठ । होरि पहर्ना गिट बहुट छिहरफुहर फेन रहठ, ओसिन गिट फेन प्राप्ट हुइलमे हटागैल बा । भुवनके संकलनमे लर्का सुफ्लैना गिट, मैना, उडासी, पैया, महुटिया, बनगिटवासे लेके महिरावनसमके गिट बा ।
लमही नगरपालिका–३, उत्तर मजगाउँ, दाङ देउखुरीके छविलाल कोपिलाके ३४ ठो गिट संकलन हुइल बा । उहाँ दाङ देउखर, बर्दिया ओ कैलालीक् गिट संकलन कर्ले बटाँ । गिट अन्टर्गट सब सजना हो । कुछ सजना सिर्सकसहिट बा कलेसे, बहुटसे फुटकर बा । बरमस्या सजनामे परडेस गइल पिहाहे समझके परटेक महिनक् बर्नन बा । सिकरिया पिहा मुरिलवा मारल चेरियक डरड मुरिलवा सजनामे बा । ओस्टक लडाइ सजनामे एक रानी हँठियार बन्वाके रज्वाहे लडे पठाइल खिस्सा बा । जोगियाहे मन पराके विडा होके गइल चेरियक खिस्सा जोगिया सजनामे बा । किस्न औटार सजनामे अपने भैनेहे मुँवाइक लग कंश बारि फुलवार कारि नागिनके ठेन रहल फुला टुरे पठाइठ, मने किस्न कारि नागिन सहिट फुला टुरके लन्ठाँ ।
एक सजनामे महादेव–पार्वतीक् खेटिसे सम्बन्ढिट बाट बा, पार्वती हुँखिन बर्डा बेंचक जगैठि । इहिसे पौरारिक पात्रहुकन फेन थारु लोककविलोग थारु परिवेसमे लानके गिट सिर्जाइल बिल्गाइठ । डोसर सजनामे भोजहि हो सेकल जन्नि मनै अपन घर डगर गैलमे फेन का करे नैजगैलो कहिके पुरान मनरख्नासे सवाल जवाफ कर्ले बटि । ओस्टक सुबरनि कना बठिन्या डर्जिवासे मिलल् खिस्सा रहल सजना फेन बा । डोसर सजनामे एक टँर्नि कुवम्से पानी भरके आके पिहवक लग टठियक भाट खौकेबेर रकट बनजैठिन, किहु अपन बाट डेलो कि का ? असिन हुइटा कहिके पिहवा संका कर्ठिन् ।बरडा हेरवाके आइल डेउराहे भौजि बरडा गने लगैलक खिस्सा बोकल सजना फेन संकलिट बा यम्ने ।
गैया बेंह्रना सजनामे दाङ ओ बर्दियक कुछ फरक बा, मने गिटके कहे खोजल भाव अक्के बा । बुढनि–बटसिया सजनामे डुइ सखिनके अलफा बैंसके कहानि बा । ओस्टक डोसर सजनामे पिहवा पिके डुब्राइलमे एक टँर्नि गोरु भैंस रहटाँ टे बँढ्टुँ, मुर्गि चिंग्ना रहटाँ टे छोप्टुँ, पिहा कसिक छोपुँ कहिके लाचारि व्यक्ट कर्ले बटि । घटवम पानी भरे गइलमे कुछ वडमासलोगनसे डुव्र्यवहार हुइल घटना रहल सजना फेन बा यम्ने ।
डेसौरीके सिंगारु ओ डंगौराके सिंगरु गिटमे खास फरक नैहो । डंगौरा गिट ढेर संकलन हुइलओर्से गिटके बटकुहि कुछ लम्मा बा । डंगौरा गिटमे लहाइ गैलमे टर्नि सिंगरु ओ चेपवा पात्रके मिलन बा मने डेसौरी गिट अढुरा बा । थारु खेटि किल नाहि व्यापार फेन करिट कना प्रसंग डख्ख्निके बजारमे खइयर सुपारि बेंच्के अपन घरक मनैन्के लग जरावर नानल प्रसंगके गिट बटाइठ । सजनामे काठा (गाउँखाने कथा) डारल गिट फेन आइठ चढि उत्रा सजनामे । यहाँ संकलिट बहुट गिटमे कुवम रहल पनभरनिनसे पानी माँगल प्रसंग बा । एकठो सजनामे कुर्मीक छाइ राजक् छावाहे पानी पियइले बा, मने राजकुमार जोबनके पियासल रहठ । हरिनिया जलम सजनामे हरना, मजोर, चिरै मराके इ सवाज किहि खवइबुँ कना चिन्टन एक टर्निकमे बटिन । ओस्टक लौलिन लैहर सम्झलक बहुट सजना फेन यम्ने संकलिट बा । सीता, राम मिलन ओइनके लछमन सहिटके बनवास प्रसंग फेन सजनामे बा ।
कोपिलाके संकलिट गिटमे मैना सब्से लम्मा १०२ स्लोक बा । नन्डि भौजिक बिच जब फेन झगरा सुन्जाइठ । मने संकलिट मैना गिटमे जोगियक बसिया सुनटि सोहावन कहिके जोगियाहे ठरवा लेहे डँटल नन्डिहे भौजि बहुट सम्झैले बटि । अपन कोल्काहा घेंटरु, मुर्गि सम डेना कले बटि, मने जोगियाइल बठिन्या नै मन्ठि । थारु आयोग लम्मा गिटबाहेकके थारु गिट संकलन कर्ना योजना बनैले रहे । मने संकलिट गिट हेर्ना हो कलेसे बहुटसे गिटके खिस्सा बह्रके छोट छोट गिट फेन लम्मा रहे सेक्ना अवस्ठा डेखाइठ ।
थारु कल्याणकारिणी सभाके पहिलक् केन्द्रिय उपाध्यक्ष रहिसेकल सुर्खेतके मानबहादुर चौधरी मघौटा गिट संकलन कर्ले बटाँ । सुर्खेतीक छोटी परिचय रहल गिट ओ सटरंग्या गिट आढुनिक रहल ओर्से यम्न समेट नै सेकगैल ।
रावल जोगिया साउनी गिटमे आपन डाइक भेंवटमे लागके एक मरद अपन गोसिन्याहे मारडेहठ ओ छ मैन्हक छावाहे अन्जान मनैन्हे सौंप डेहठ । उहे लौंरा रावल जोगियक रुपमे जलम लेहठ, अपन डाइहे जियाके बुडिहे मारके बडला लेहठ ।
शिक्षण पेशामे रहल वीरेन्द्रनगर–२, लौवस्ता, सुर्खेतके मानबहादुर चौधरी ‘पन्ना’ रौनक गिट संकलन कर्ले बटाँ । सख्या नाचेम पैया लागेबेर गा जैना रौनक गिटमे राम, सीता, लछमन, रावनेके खिस्सा बा । मिरगाके रुप लेके आइल रावनहे राम, लछमन मारेगैल बेला रौना सीताहे हरन कैके लैगैले बा । डिक्याइल राम अपन भइवा लछमनहे कि टुँ भौजिक संग लागल रहो कहिके संकान कर्ठा । रिसाइल राम लछमनहे अपन भौजिहे मारके लानो, मै भोजन बनैम कहठाँ । मने लछमन हरना मारके ओकर करजा लैजैठाँ । गउइयन आकुर गिट बिस्रैलक ओर्से हनुमान लगायटके भुमिका रलक गिट अढुरा रहल संकलक जनैले बटाँ । अइसिन ऐतिहासिक गिटके संकलन जरुरि बा ।
थारू जनकविके पहिचान बनाइल कञ्चन गाउँपलिका–१, बकुलगाढ, रुपन्देहीके बमबहादुर थारू अपन क्षेत्रके डेढ डर्जन गिट संकलन कर्ले बटाँ । झर्रा, उलारा, झुमरा, निरौनी, चाँचर, पटेवा, झिझिया, बिरहनी, झमटासे लेके बहला झुलना, बिया बैठौनी गिटसम यम्ने समोटल बा । नरसिंह जेठवा कना बिया बैठौनी गिटमे बहुरियकमे आँख गराइल जेठवा सिकार खेल्ना बहानामे अपन भइवैहे मारडेहठ । मने बहुरिया भइवक चिटामे जरके मुँ जैठिस । रावल जोगिया साउनी गिटमे आपन डाइक भेंवटमे लागके एक मरद अपन गोसिन्याहे मारडेहठ ओ छ मैन्हक छावाहे अन्जान मनैन्हे सौंप डेहठ । उहे लौंरा रावल जोगियक रुपमे जलम लेहठ, अपन डाइहे जियाके बुडिहे मारके बडला लेहठ ।
बिपतल ननदी कना निरौनी गिटमे छोटेम भोज करल एक डुखियक पिहवा परडेससे नै अइठिस टे घरक मनै निकार डेठिस । लैहर गइलबेला भौजि एक मजा नै मन्ठिस । डुखिया घरेसे निक्रठ, खेटवम चाना खाइबेर चाना सोन बनजैठिस । घरबंगला बनाइठ, भौजिहे बलौवा पठाइठ ओ वचनके टिरले मारठ । जस्टे दाङसे पस्चिउँओर मैना गिट गैना चलन बा, ओस्टक रुपन्देहीओर सुगा गिट गैना चलन रहल संकलिट गिट डेखाइठ ।
पुँछ्यावनमे का कहक चाहटुँ कलेसे पुर्खनके जोगाइल गिट संकलन कर्ना क्रमसंगे यकर बिस्लेसन फेन ओट्रे जरुरि बा ।
सन्डर्भ सामग्रीः
चौधरी, महेश । २०५६ । दाङको थारू भाषा र साहित्यको छोटो चिनारी । गोचाली । २८ (१२), पृ. ३७–६० ।
सर्वहारी, कृष्णराज । २०७३ । थारू साहित्यको इतिहास, काठमाडाैंः नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान ।
